इंदिरा आईवीएफ में कितना खर्च आता है
July 8, 2025Preserving Fertility Before Cancer Treatment
July 10, 2025हिस्टेरोस्कोपी एक प्रकार का परीक्षण है जो बांझपन के कारण को पहचानने के लिए किया जाता है। यदि आप भारी मासिक धर्म रक्तस्राव, अत्यधिक ऐंठन और दर्द से जूझ रहे हैं, तो आपका डॉक्टर आपको हिस्टेरोस्कोपी उपचार से गुजरने का सुझाव दे सकता है। गर्भाशय संबंधी समस्याएं कई गर्भपात और बांझपन का कारण बन सकती हैं। आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी के उपयोग से गर्भाशय पॉलीप्स या निशान ऊतक को हटाया जा सकता है। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
इसलिए यदि आप आईवीएफ कराने की योजना बना रहे हैं तो डॉक्टर आपको हिस्टेरोस्कोपी कराने की सलाह देंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका गर्भाशय आईवीएफ गर्भावस्था को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्वस्थ है। हिस्टेरोस्कोपी से प्राप्त कोई भी निष्कर्ष आईवीएफ की विफलता को रोक सकता है और आपको वित्तीय या भावनात्मक उथल-पुथल से बचा सकता है।

सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं…
- निःशुल्क परामर्श की उपलब्धता
- IVF के लिए आसमान छूती सफलता दर
- IVF के लिए सस्ती लागत
- प्रजनन उपकरणों की उपलब्धता और कार्यक्षमता।
- IUI, ICSI जैसी अन्य ART तकनीकों और अंडे और शुक्राणु को फ्रीज करने जैसी प्रक्रिया की उपलब्धता।
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हिस्टेरोस्कोपी कैसे करें?
हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर एक पतला, लचीला ट्यूब (जिसे हिस्टेरोस्कोप कहा जाता है) को वजाइना के माध्यम से गर्भाशय के अंदर डालते हैं ताकि गर्भाशय की अंदरूनी दीवार को सीधे देखा जा सके। यह प्रक्रिया महिलाओं में गर्भाशय की समस्याओं की जांच और इलाज दोनों के लिए की जाती है।
1. तैयारी (Preparation):
- प्रक्रिया से पहले महिला को हल्का पेनकिलर या सेडेटिव (नींद लाने वाली दवा) दी जा सकती है।
- कभी-कभी जनरल एनेस्थीसिया (नशा) भी दिया जाता है, खासकर अगर ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी की जा रही हो।
2. स्थिति (Positioning):
- महिला को ऑपरेशन टेबल पर पीठ के बल लेटाया जाता है, दोनों पैर स्टरर पर होते हैं (जैसे पैप स्मीयर टेस्ट में)।
3. स्पेकुलम डालना:
- डॉक्टर वजाइना में स्पेकुलम डालकर सर्विक्स (गर्भाशय का मुंह) को साफ और स्थिर करते हैं।
4. हिस्टेरोस्कोप डालना:
- एक पतली ट्यूब (हिस्टेरोस्कोप) को वजाइना और सर्विक्स के रास्ते गर्भाशय के अंदर डाला जाता है।
- इसमें एक कैमरा और लाइट होती है, जिससे डॉक्टर गर्भाशय के अंदर की लाइव तस्वीरें मॉनिटर पर देख सकते हैं।
5. गैस या लिक्विड का उपयोग:
- गर्भाशय की दीवारों को साफ देखने के लिए उसमें हल्का सा गैस (CO₂) या लवणीय तरल (saline) भरा जाता है ताकि वह थोड़ा फैल जाए।
6. जांच या सर्जरी:
- अगर यह डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी है, तो डॉक्टर सिर्फ निरीक्षण करते हैं।
- अगर यह ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी है, तो डॉक्टर छोटे उपकरणों की मदद से पॉलीप्स, फाइब्रॉइड, सेप्टम, या अन्य समस्याओं का इलाज कर सकते हैं।
7. समाप्ति और रिकवरी:
- प्रक्रिया पूरी होने के बाद हिस्टेरोस्कोप को निकाल लिया जाता है।
- महिला को थोड़ी देर निगरानी में रखा जाता है और फिर घर भेज दिया जाता है।
हिस्टेरोस्कोपी से क्या फायदा है?
हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) महिलाओं के गर्भाशय की जांच और इलाज के लिए की जाने वाली एक आधुनिक और सुरक्षित प्रक्रिया है। यह एक पतली दूरबीन जैसी ट्यूब (हिस्टेरोस्कोप) के माध्यम से गर्भाशय के अंदर झांकने की सुविधा देता है। इससे डॉक्टर को गर्भाशय की असल स्थिति सीधे देखने और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत उपचार करने में मदद मिलती है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख फायदे:
- 1. सटीक निदान: हिस्टेरोस्कोपी से डॉक्टर गर्भाशय की अंदरूनी दीवार को प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं, जिससे पॉलीप्स, फाइब्रॉइड, सेप्टम, चिपकाव (adhesions) जैसी समस्याओं की पहचान जल्दी और सटीक होती है।
- 2. उपचार और जांच एक साथ: अगर प्रक्रिया के दौरान कोई गड़बड़ी दिखती है, जैसे पॉलीप या फाइब्रॉइड, तो उसी समय छोटे उपकरणों की मदद से उसे हटाया भी जा सकता है। इससे अलग सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ती।
- 3. इनफर्टिलिटी की जांच में मदद: बांझपन से जूझ रही महिलाओं के लिए यह प्रक्रिया बहुत लाभकारी है, क्योंकि यह गर्भाशय की बनावट, अंदरूनी जख्म या ब्लॉकेज की जानकारी देती है, जो गर्भधारण में रुकावट बन सकते हैं।
- 4. कम इनवेसिव और जल्दी रिकवरी: हिस्टेरोस्कोपी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है। इसमें पेट पर चीरा नहीं लगाया जाता और महिला कुछ घंटों में घर जा सकती है। रिकवरी भी तेज होती है।
- 5. कम दर्द और कम जोखिम: इस प्रक्रिया में दर्द बहुत कम होता है और जटिलताओं की संभावना भी बहुत ही कम होती है, खासकर जब इसे अनुभवी डॉक्टर द्वारा किया जाए।
- 6. मेंस्ट्रुअल प्रॉब्लम्स के इलाज में सहायक: जिन महिलाओं को अत्यधिक या अनियमित माहवारी की शिकायत रहती है, उनके लिए यह प्रक्रिया मददगार होती है क्योंकि इससे यूटरस में मौजूद कारणों की पहचान की जा सकती है।
आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी क्या है?
आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी एक विशेष प्रक्रिया है जो उन महिलाओं के लिए की जाती है, जिन्हें गर्भधारण में परेशानी हो रही हो या जिनके IVF प्रयास बार-बार असफल हो रहे हों। इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक पतली, लाइट और कैमरा युक्त ट्यूब (जिसे हिस्टेरोस्कोप कहा जाता है) को वजाइना और गर्भाशय के रास्ते गर्भाशय की अंदरूनी सतह तक पहुंचाते हैं। इसका उद्देश्य होता है गर्भाशय की स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण करना।
IVF से पहले हिस्टेरोस्कोपी करवाने का मुख्य उद्देश्य यह जानना होता है कि गर्भाशय की दीवारें सामान्य हैं या नहीं। इसमें देखा जाता है कि कहीं गर्भाशय में फाइब्रॉइड, पॉलीप्स, सेप्टम, चिपकाव या कोई अन्य असामान्यता तो नहीं है, जो भ्रूण के इम्प्लांटेशन में रुकावट बन सकती है। यदि ऐसी कोई समस्या मिलती है, तो उसी प्रक्रिया के दौरान उसका इलाज भी किया जा सकता है, जिसे ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी कहा जाता है।
यह प्रक्रिया IVF की सफलता दर को बढ़ाने के लिए की जाती है। खासकर उन मामलों में जहां बार-बार आईवीएफ फेल हो रहा हो, इम्प्लांटेशन नहीं हो रहा हो, या महिला को पीरियड्स में गड़बड़ी हो रही हो। यह एक मिनिमली इनवेसिव (कम चीर-फाड़ वाली) प्रक्रिया होती है, जिससे जल्दी रिकवरी होती है और महिला जल्द ही अगली IVF साइकल के लिए तैयार हो सकती है।
आईवीएफ के साथ हिस्टेरोस्कोपी की लागत क्या है?
जब किसी महिला को बार-बार IVF फेल हो रहा हो या गर्भधारण में रुकावट आ रही हो, तो डॉक्टर IVF प्रक्रिया से पहले या उसके साथ हिस्टेरोस्कोपी करवाने की सलाह देते हैं। हिस्टेरोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे डॉक्टर गर्भाशय की अंदरूनी स्थिति को सीधे देखकर यह जान सकते हैं कि वहां कोई रुकावट, फाइब्रॉइड, पॉलीप्स या संक्रमण तो नहीं है।
भारत में IVF की एक साइकल की लागत लगभग ₹90,000 से ₹2,50,000 के बीच होती है, जबकि डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी की कीमत ₹15,000 से ₹30,000 के बीच हो सकती है। यदि हिस्टेरोस्कोपी के दौरान किसी समस्या का इलाज भी किया जाता है (जैसे पॉलीप्स हटाना या फाइब्रॉइड निकालना), तो इसे ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी कहा जाता है, जिसकी लागत ₹30,000 से ₹60,000 तक हो सकती है।
इस लागत में कई अन्य बातें भी जुड़ती हैं जैसे अस्पताल की गुणवत्ता, डॉक्टर की विशेषज्ञता, किस प्रकार का एनेस्थीसिया दिया गया है, और प्रक्रिया के बाद दी जाने वाली दवाएं या फॉलोअप विज़िट्स। बड़े शहरों और प्रीमियम फर्टिलिटी क्लिनिक में यह प्रक्रिया महंगी हो सकती है, जबकि छोटे शहरों में कम खर्च में उपलब्ध हो जाती है। IVF के साथ हिस्टेरोस्कोपी करवाने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि यह गर्भाशय की समस्याओं की पहचान और उपचार एक ही प्रक्रिया में कर सकता है। इसलिए यदि डॉक्टर इसे IVF से पहले सुझाएं, तो यह एक आवश्यक और लाभकारी कदम हो सकता है।

लागत को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक:
- क्लिनिक या अस्पताल का स्तर:
बड़े ब्रांडेड फर्टिलिटी सेंटर में ये प्रक्रियाएं महंगी होती हैं, जबकि छोटे शहरों में कम लागत में उपलब्ध होती हैं। - हिस्टेरोस्कोपी का प्रकार:
सिर्फ जाँच की जा रही है या इलाज भी, इस पर लागत निर्भर करती है। - डॉक्टर की विशेषज्ञता और अनुभव:
अनुभवी डॉक्टर या प्रसिद्ध फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट की फीस अधिक हो सकती है। - एनेस्थीसिया और OT चार्ज:
यदि हिस्टेरोस्कोपी जनरल एनेस्थीसिया के तहत की जाती है, तो उसमें ऑपरेशन थिएटर और एनेस्थेटिक शुल्क भी जुड़ता है। - दवाएं और फॉलोअप:
प्रक्रिया के बाद दी जाने वाली दवाएं और फॉलोअप विज़िट्स भी लागत में जुड़ जाती हैं।
IVF लागत का विवरण
- परामर्श शुल्क: यह बांझ दंपतियों और प्रजनन विशेषज्ञ के बीच चर्चा है। भारत में परामर्श की औसत लागत ₹500 से ₹2000 के बीच है। हालाँकि, IVF से पहले आवश्यक परामर्शों की संख्या के आधार पर लागत बढ़ सकती है।
- दवा शुल्क: IVF प्रक्रिया में अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाओं और भ्रूण स्थानांतरण के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। इसलिए IVF के लिए आवश्यक दवाओं और खुराक की लागत प्रति चक्र लगभग ₹15000 से ₹60000 हो सकती है।
- अंडा पुनर्प्राप्ति और भ्रूण निर्माण: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय से अंडे को निकालना है, और भ्रूण निर्माण एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और शुक्राणु का संयोजन है जिससे भ्रूण बनता है। इस चरण की लागत लगभग 50000 से 100000 रुपये है।
- भ्रूण स्थानांतरण: गर्भावस्था को विकसित करने के लिए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। तो, इस कारक के लिए, 15000 से 30000 रुपये की आवश्यकता होती है, और यह वास्तविक लागत है।
- पीजीडी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) और (इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन): पीजीडी और आईसीएसआई दो अतिरिक्त प्रक्रियाएं हैं जो आनुवंशिक मुद्दों और पुरुष बांझपन जैसे मामलों में फायदेमंद हैं। यह कारक 50000 से 100000 के बीच होता है।
नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:
आईवीएफ अलग स्थान पर | भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत |
दिल्ली में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
मुंबई में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹354000 |
बैंगलोर में आईवीएफ लागत | ₹155000 – ₹365000 |
उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹138000 – ₹310000 |
उत्तराखंड में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
तेलंगाना में आईवीएफ लागत | ₹147000 – ₹310000 |
पंजाब में आईवीएफ लागत | ₹140900 – ₹310000 |
मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
ओडिशा में आईवीएफ लागत | ₹126000 – ₹310000 |
राजस्थान में आईवीएफ लागत | ₹154000 – ₹310000 |
झारखंड में आईवीएफ लागत | ₹142000 – ₹310000 |
बिहार में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
असम में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
गुजरात में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
IVF की सफलता दर को प्रभावित करने वाले कारक
निम्नलिखित बिंदु आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करते हैं:
- महिला की आयु: महिला की आयु आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित कर सकती है। आईवीएफ में, बड़ी उम्र की महिलाओं की तुलना में कम उम्र की महिलाओं में गर्भधारण की संभावना अधिक होती है।
- युग्मक गुणवत्ता: अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता भी आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित कर सकती है। यदि अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता खराब है तो अंडे को गर्भ धारण करना या निषेचित करना मुश्किल है। इस मामले में, अंडा दाता और शुक्राणु दाता की आवश्यकता होती है।
- आईवीएफ प्रयासों की संख्या: आईवीएफ प्रयासों की संख्या व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग होती है क्योंकि कुछ जोड़ों को गर्भधारण करने के लिए केवल एक प्रयास की आवश्यकता होती है और अन्य को गर्भधारण करने के लिए 3 से 4 प्रयास करने पड़ सकते हैं।
- अन्य कारक: इसमें डॉक्टरों की विशेषज्ञता और कर्मचारियों के कौशल, पिछली चिकित्सा स्थिति, मामले की जटिलता, रोगी के इलाज के लिए किया गया अभ्यास आदि शामिल हैं।
हिस्टेरोस्कोपी के बाद IVF की सफलता दर में कितना फर्क आता है?
हिस्टेरोस्कोपी एक ऐसा उपकरण है जो डॉक्टर को गर्भाशय की अंदरूनी दीवार को प्रत्यक्ष रूप से देखने और किसी भी असामान्यता को पहचानने और दूर करने की सुविधा देता है। जब IVF (In Vitro Fertilization) की प्रक्रिया बार-बार असफल हो रही हो या इम्प्लांटेशन (भ्रूण का गर्भाशय में चिपकना) न हो रहा हो, तब हिस्टेरोस्कोपी IVF की सफलता दर को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
विभिन्न अध्ययनों और मेडिकल रिसर्च से यह स्पष्ट हुआ है कि हिस्टेरोस्कोपी के बाद IVF की सफलता दर में 20% से 40% तक की बढ़ोतरी हो सकती है, खासकर उन महिलाओं में जिनके पहले IVF प्रयास असफल हो चुके हैं या जिन्हें बार-बार इम्प्लांटेशन फेल्योर का सामना करना पड़ा है।
गर्भाशय की असामान्यताएं जैसे कि:
- पॉलीप्स (Polyps)
- फाइब्रॉइड्स (Fibroids)
- सेप्टम (Uterine Septum)
- चिपकाव (Adhesions)
- सूजन या संक्रमण
ये सभी चीजें भ्रूण के इम्प्लांटेशन को प्रभावित कर सकती हैं। हिस्टेरोस्कोपी के जरिए इन समस्याओं को समय रहते हटाया या ठीक किया जा सकता है, जिससे गर्भाशय एक स्वस्थ और अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
इसके अलावा, कुछ केसों में हिस्टेरोस्कोपी से न केवल भ्रूण के चिपकने की संभावना बढ़ती है, बल्कि भ्रूण की ग्रोथ और गर्भावस्था के टिकाव में भी सुधार होता है।
क्या हिस्टेरोस्कोपी दर्दनाक होती है?
हिस्टेरोस्कोपी एक सुरक्षित और कम इनवेसिव प्रक्रिया है, लेकिन कई महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि क्या यह प्रक्रिया दर्दनाक होती है। इसका उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि हिस्टेरोस्कोपी किस उद्देश्य से की जा रही है। यदि यह केवल जांच के लिए की जा रही है (डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी), तो इसमें आमतौर पर बहुत कम दर्द होता है। कुछ महिलाओं को हल्का ऐंठन (cramps), खिंचाव या असहजता महसूस हो सकती है, जो पीरियड्स के दर्द जैसी होती है और कुछ मिनटों में खत्म हो जाती है। यह प्रक्रिया अक्सर लोकल एनेस्थीसिया या बिना किसी बेहोशी के की जाती है।
वहीं, अगर हिस्टेरोस्कोपी के दौरान कोई सर्जिकल हस्तक्षेप किया जा रहा हो, जैसे कि फाइब्रॉइड, पॉलीप्स या सेप्टम को हटाना (ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी), तो आमतौर पर जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इस स्थिति में मरीज को प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता, क्योंकि वह बेहोशी की स्थिति में होती है। प्रक्रिया के बाद हल्का पेट दर्द, थकान या कुछ घंटों तक ब्लीडिंग हो सकती है, जो सामान्य मानी जाती है और 1–2 दिनों में ठीक हो जाती है।
इसलिए, हिस्टेरोस्कोपी को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। यह प्रक्रिया अधिकतर महिलाओं के लिए सहनशील होती है और डॉक्टर की सही सलाह, थोड़े आराम और हल्के पेनकिलर्स की मदद से इसे आसानी से सहा जा सकता है।
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जब बात संतान सुख की हो, तो हर दंपति यही चाहता है कि वह एक ऐसे क्लिनिक का चयन करें जो न केवल तकनीकी रूप से सक्षम हो, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उनका साथ दे। Select IVF एक ऐसा ही नाम है जिस पर हजारों परिवारों ने विश्वास किया है और अपनी खुशियों की नई शुरुआत की है।
Select IVF वर्षों से भारत और विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाली फर्टिलिटी सेवाएं दे रहा है। यहां काम करने वाली डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम केवल मेडिकल एक्सपर्ट नहीं है, बल्कि वो लोग हैं जो मरीज की भावनाओं को समझते हैं और हर कदम पर उन्हें सहयोग देते हैं। चाहे पहली बार परामर्श हो या अंतिम एम्ब्रियो ट्रांसफर, यहां हर प्रक्रिया को अत्यधिक सावधानी और ईमानदारी से पूरा किया जाता है।
यहां की सबसे बड़ी ताकत है, व्यक्तिगत ट्रीटमेंट प्लान, मतलब हर मरीज की हालत, उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इलाज तय किया जाता है। Select IVF में किसी एक ही फॉर्मूले से सभी मरीजों का इलाज नहीं होता, बल्कि यहां इलाज को पूरी तरह पर्सनलाइज किया जाता है।
तकनीकी रूप से भी यह क्लिनिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहां ICSI, IUI, Egg Donation, Embryo Freezing, PESA, TESA और Surrogacy जैसी सभी प्रमुख प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, सभी टेस्ट और स्कैनिंग सुविधाएं भी एक ही छत के नीचे मिल जाती हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
Select IVF की एक और खूबी है, पारदर्शिता। यहां किसी भी तरह की छिपी हुई फीस नहीं होती। हर खर्च और हर प्रक्रिया को पहले से समझाया जाता है ताकि मरीज मानसिक रूप से तैयार हो सके। यही कारण है कि यहां आने वाले मरीज केवल भारत से ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका, नाइजीरिया और अफ्रीका जैसे कई देशों से भी आते हैं।
Select IVF सिर्फ एक फर्टिलिटी क्लिनिक नहीं, बल्कि एक भरोसा है, जो हर दंपति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करता है।
अंत में
आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी करवाना उन दंपतियों के लिए एक उपयोगी और समझदारी भरा कदम है, जो लंबे समय से गर्भधारण में असफल हो रहे हैं। यह प्रक्रिया गर्भाशय की अंदरूनी स्थिति को स्पष्ट रूप से दिखाकर वहां मौजूद किसी भी रुकावट, संक्रमण या बनावट संबंधी समस्या की पहचान और उपचार दोनों में मदद करती है। हालाँकि इससे कुल लागत बढ़ जाती है, लेकिन यदि इससे IVF की सफलता दर बढ़ती है, तो यह खर्च पूरी तरह से न्यायसंगत और आवश्यक माना जा सकता है।
भारत में IVF और हिस्टेरोस्कोपी दोनों की लागत अस्पताल, डॉक्टर और स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती है, इसलिए यह जरूरी है कि प्रक्रिया शुरू करने से पहले पूरी लागत, शामिल सेवाएं और संभावित अतिरिक्त खर्चों की जानकारी ले ली जाए। IVF एक भावनात्मक और आर्थिक रूप से बड़ा निर्णय होता है, और अगर हिस्टेरोस्कोपी के ज़रिए उसकी सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है, तो यह एक महत्वपूर्ण निवेश बन जाता है, माता-पिता बनने की उम्मीद को एक नई दिशा देने वाला।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. IVF से पहले हिस्टेरोस्कोपी क्यों की जाती है?
हिस्टेरोस्कोपी से गर्भाशय की अंदरूनी दीवार, पॉलीप्स, फाइब्रॉइड, सेप्टम या चिपकाव जैसी समस्याएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं, जो IVF की सफलता में बाधा बन सकती हैं। इन्हें पहचानकर इलाज करना गर्भधारण की संभावना बढ़ाता है।
2. क्या हिस्टेरोस्कोपी से IVF की सफलता दर बढ़ती है?
जी हां, शोध से पता चला है कि हिस्टेरोस्कोपी के बाद IVF की सफलता दर बढ़ सकती है, खासकर उन महिलाओं में जिनका IVF बार-बार फेल हो चुका है या जिन्हें इम्प्लांटेशन में दिक्कत आ रही थी।
3. IVF के साथ हिस्टेरोस्कोपी की कुल लागत कितनी होती है?
भारत में IVF की एक साइकल ₹90,000 से ₹2,50,000 तक हो सकती है, जबकि हिस्टेरोस्कोपी की लागत ₹15,000 से ₹60,000 के बीच होती है, इस पर निर्भर करता है कि यह जांच है या इलाज।
4. क्या हिस्टेरोस्कोपी दर्दनाक होती है?
डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी में हल्का दर्द या असहजता हो सकती है, जबकि ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी आमतौर पर एनेस्थीसिया के साथ की जाती है, जिससे दर्द महसूस नहीं होता।
5. हिस्टेरोस्कोपी के बाद कितने समय तक आराम की ज़रूरत होती है
अधिकतर मामलों में महिला को उसी दिन घर भेज दिया जाता है और एक-दो दिन के आराम के बाद सामान्य गतिविधियाँ की जा सकती हैं। यदि ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी हुई है, तो डॉक्टर की सलाह अनुसार थोड़ा अधिक आराम जरूरी हो सकता है।
6. क्या IVF के हर केस में हिस्टेरोस्कोपी जरूरी होती है?
नहीं, हिस्टेरोस्कोपी तभी की जाती है जब डॉक्टर को संदेह हो कि गर्भाशय में कोई रुकावट या समस्या है। यदि महिला की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट्स सामान्य हों और पहले कोई गर्भाशय संबंधी शिकायत न हो, तो यह प्रक्रिया आवश्यक नहीं मानी जाती।
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