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June 25, 2025

आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है? जानिए प्रक्रिया, फायदे और जोखिम

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी और बदलती जीवनशैली के कारण कई दंपति संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में आधुनिक विज्ञान ने एक चमत्कारी उपाय निकाला है, जिसे आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है। यह प्रक्रिया उन जोड़ों के लिए आशा की किरण बन चुकी है जो वर्षों से संतान प्राप्ति की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सफल नहीं हो पाए। आईवीएफ प्रेगनेंसी सामान्य गर्भधारण से कुछ अलग होती है क्योंकि इसमें भ्रूण (एंब्रियो) महिला के शरीर के बाहर प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है और फिर उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तकनीक न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों में भी शुक्राणु की कमी की स्थिति में कारगर सिद्ध होती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है, इसकी प्रक्रिया कैसे होती है, किन लोगों को इसकी आवश्यकता होती है, इसमें कितनी सफलता मिलती है, इसके फायदे और नुकसान क्या हैं, और इसके दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है? आईवीएफ एक कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। जब यह निषेचन (फर्टिलाइजेशन) सफल हो जाता है, तो जो भ्रूण बनता है उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया से गर्भधारण की संभावना तब भी बनी रहती है जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव नहीं होता, जैसे फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना, पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस, पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी, या अज्ञात कारणों से गर्भ न ठहरना। आईवीएफ की प्रक्रिया (चरण दर चरण) आईवीएफ प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है: 1. हार्मोनल दवाइयों द्वारा अंडाणु उत्पादन महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके अंडाशय में एक से अधिक अंडाणु विकसित हो सकें। इस प्रक्रिया को “ओवेरियन स्टिमुलेशन” कहते हैं। 2. अंडाणु संग्रह (एग रिट्रीवल) जब अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तो डॉक्टर एक छोटी सर्जरी द्वारा अंडाशय से अंडाणु निकाल लेते हैं। 3. शुक्राणु संग्रह पुरुष के वीर्य से शुक्राणु निकाले जाते हैं। यदि पुरुष में शुक्राणु न हों तो टीईएसए/पीईएसए जैसी तकनीकों से भी लिया जा सकता है। 4. निषेचन (फर्टिलाइजेशन) अंडाणु और शुक्राणु को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है और भ्रूण बनने तक निगरानी की जाती है। 5. भ्रूण स्थानांतरण (एंब्रियो ट्रांसफर) सर्वश्रेष्ठ भ्रूण को महिला के गर्भाशय में एक पतली नली के माध्यम से डाला जाता है। 6. गर्भ की पुष्टि भ्रूण स्थानांतरण के लगभग 12-14 दिन बाद महिला का बीटा एचसीजी टेस्ट किया जाता है जिससे पता चलता है कि वह गर्भवती हुई है या नहीं। किन लोगों को आईवीएफ की आवश्यकता होती है? आईवीएफ प्रेगनेंसी के फायदे आईवीएफ के कुछ संभावित नुकसान आईवीएफ की सफलता दर आईवीएफ की सफलता कई बातों पर निर्भर करती है: आमतौर पर 30 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में सफलता दर 40% तक होती है, जबकि 40 वर्ष की महिलाओं में यह दर घटकर 15-20% रह जाती है। आईवीएफ प्रेगनेंसी में क्या सावधानियां रखनी चाहिए? आईवीएफ प्रेगनेंसी के दौरान सामान्य गर्भ से क्या अंतर होता है? आईवीएफ से गर्भवती महिला और सामान्य तरीके से गर्भवती महिला दोनों में कोई बड़ा अंतर नहीं होता, लेकिन आईवीएफ के दौरान शुरुआत में अधिक निगरानी की जाती है। पहले तीन महीने बहुत नाज़ुक होते हैं और डॉक्टर नियमित रूप से जाँच करते हैं। भारत में आईवीएफ का खर्च भारत में आईवीएफ का खर्च औसतन ₹1,00,000 से ₹2,50,000 प्रति चक्र हो सकता है। यदि किसी को कई चक्रों की आवश्यकता पड़े तो खर्च बढ़ सकता है। अन्य तकनीकों जैसे ICSI, PESA, TESA आदि के जुड़ने से लागत बढ़ती है। आईवीएफ को लेकर आम भ्रांतियाँ भारत में IVF लागत का विवरण परामर्श शुल्क: यह बांझ दंपतियों और प्रजनन विशेषज्ञ के बीच चर्चा है। भारत में परामर्श की औसत लागत ₹500 से ₹2000 के बीच है। हालाँकि, IVF से पहले आवश्यक परामर्शों की संख्या के आधार पर लागत बढ़ सकती है। दवा शुल्क: IVF प्रक्रिया में अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाओं और भ्रूण स्थानांतरण के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। इसलिए IVF के लिए आवश्यक दवाओं और खुराक की लागत प्रति चक्र लगभग ₹15000 से ₹60000 हो सकती है। अंडा पुनर्प्राप्ति और भ्रूण निर्माण: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय से अंडे को निकालना है, और भ्रूण निर्माण एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और शुक्राणु का संयोजन है जिससे भ्रूण बनता है। इस चरण की लागत लगभग 50000 से 100000 रुपये है। भ्रूण स्थानांतरण: गर्भावस्था को विकसित करने के लिए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। तो, इस कारक के लिए, 15000 से 30000 रुपये की आवश्यकता होती है, और यह वास्तविक लागत है। पीजीडी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) और (इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन): पीजीडी और आईसीएसआई दो अतिरिक्त प्रक्रियाएं हैं जो आनुवंशिक मुद्दों और पुरुष बांझपन जैसे मामलों में फायदेमंद हैं। यह कारक 50000 से 100000 के बीच होता है। निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है: भारत में IVF उपचार के प्रकार भारत में IVF उपचार की लागत (INR) भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 1,50,000 भारत में ICSI के साथ IVF की लागत INR 1,65,000-1,85,000 भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत INR 2,06,000-3,00,000 भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 2,10,000 भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत INR 2,10,000-2,20,000 भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत INR 2,05,000-3,00,000 भारत में PGD तकनीक के साथ IVF की लागत INR 3,00,000 नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:  आईवीएफ अलग स्थान पर भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत दिल्ली में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 मुंबई में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹354000 बैंगलोर में आईवीएफ लागत ₹155000 – ₹365000 उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹138000 – ₹310000 उत्तराखंड में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 तेलंगाना में आईवीएफ लागत ₹147000 – ₹310000 पंजाब में आईवीएफ लागत ₹140900 – ₹310000 मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 ओडिशा…

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आईवीएफ फेल होने के बाद क्या करें? जानिए अगला कदम और जरूरी सुझाव

आईवीएफ फेल होने के बाद क्या करें आईवीएफ, यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, एक चमत्कारी तकनीक है जो संतान सुख की राह को आसान बनाती है। लेकिन इसकी सफलता की गारंटी नहीं होती। कुछ लोगों के लिए यह पहली बार में सफल हो जाती है, तो कुछ के लिए यह कई प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पाती। जब IVF फेल हो जाता है, तो मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से बड़ा आघात लगता है। यह लेख इसी विषय पर केंद्रित है, जब आईवीएफ फेल हो जाए, तब क्या करें? सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… IVF क्या है?  IVF एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में मिलाकर भ्रूण (Embryo) बनाया जाता है। इसके बाद उस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि वह वहीं विकसित हो और गर्भधारण हो सके। लेकिन कभी-कभी भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपण के बाद भी गर्भधारण नहीं होता और प्रेग्नेंसी टेस्ट नेगेटिव आता है – तब इसे IVF फेल होना कहा जाता है। IVF फेल होने के कारण IVF असफल होने के कई कारण हो सकते हैं। इन्हें समझना जरूरी है ताकि अगली बार की तैयारी बेहतर की जा सके। 1. अंडाणु की गुणवत्ता (Poor Egg Quality) यदि महिला के अंडाणु स्वस्थ नहीं हैं तो भ्रूण बनने या विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। 2. स्पर्म की गुणवत्ता (Poor Sperm Quality) कम गतिशीलता, खराब शेप या DNA fragmentation के कारण भ्रूण कमजोर बन सकता है। 3. भ्रूण की गुणवत्ता (Embryo Quality) कई बार भ्रूण बनने के बाद उसकी कोशिकाएँ सामान्य रूप से नहीं बढ़तीं, जिससे वह गर्भाशय में इंप्लांट नहीं हो पाता। 4. गर्भाशय की स्थिति (Uterine Issues) फाइब्रॉइड्स, पॉलीप्स, पतली एंडोमेट्रियम लाइनिंग या अन्य गर्भाशय समस्याएँ भ्रूण को जगह नहीं लेने देतीं। 5. इम्यूनोलॉजिकल कारण (Immune Response) कभी-कभी महिला का शरीर भ्रूण को बाहरी तत्व मानकर अस्वीकार कर देता है। 6. हॉर्मोनल असंतुलन प्रोजेस्ट्रोन, एस्ट्रोजन, या थायरॉइड में गड़बड़ी भी गर्भधारण में बाधा बन सकती है। 7. एज फैक्टर (Age Factor) 35 की उम्र के बाद अंडाणु की गुणवत्ता में गिरावट आती है। 40 के बाद IVF की सफलता दर काफी घट जाती है। IVF फेल होने के बाद क्या करें? 1. शांत रहें और खुद को समय दें IVF का फेल होना बहुत भावनात्मक क्षति देता है, लेकिन यह अंत नहीं है। पहली बात खुद को दोष न दें। IVF में असफलता आम है, और कई लोग दूसरी या तीसरी बार में सफल होते हैं। कुछ दिन खुद को संभालने के लिए समय दें: 2. अपने डॉक्टर से चर्चा करें IVF फेल होने के बाद डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है। वह आपके केस को दोबारा देखेंगे और यह पहचानने में मदद करेंगे कि असफलता का संभावित कारण क्या हो सकता है। डॉक्टर निम्नलिखित रिपोर्ट्स की समीक्षा कर सकते हैं: 3. बायोकेमिकल प्रेग्नेंसी या इंप्लांटेशन फेल्योर को समझें कई बार HCG पॉजिटिव आता है लेकिन कुछ ही दिनों में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है — इसे बायोकेमिकल प्रेग्नेंसी कहा जाता है। यदि भ्रूण गर्भाशय में इंप्लांट नहीं हो पा रहा है, तो इसे इंप्लांटेशन फेल्योर कहते हैं। दोनों के कारणों और उपचार अलग होते हैं। 4. एडवांस टेस्ट करवाएं यदि पहली या दूसरी IVF फेल हो जाए, तो डॉक्टर कुछ विशेष टेस्ट करवा सकते हैं: 5. भ्रूण फ्रीज का इस्तेमाल करें अगर पिछले IVF साइकल में भ्रूण फ्रीज किए गए हैं, तो अगली बार बिना अंडाणु स्टिमुलेशन के भ्रूण ट्रांसफर किया जा सकता है। इसे Frozen Embryo Transfer (FET) कहते हैं और इसकी सफलता दर भी अच्छी होती है। 6. लाइफस्टाइल में सुधार करें कई बार छोटी-छोटी चीजें IVF की सफलता में बड़ा असर डालती हैं। अपनी दिनचर्या में सुधार करें: 7. एग या स्पर्म डोनर का विकल्प यदि बार-बार IVF फेल हो रहा है और डॉक्टर की राय हो कि अंडाणु या स्पर्म की गुणवत्ता खराब है, तो डोनर अंडाणु या स्पर्म का विकल्प अपनाया जा सकता है। 8. सरोगेसी पर विचार करें यदि महिला का गर्भाशय भ्रूण को स्वीकार नहीं कर रहा है या मेडिकल कारणों से गर्भधारण संभव नहीं है, तो सरोगेसी एक वैकल्पिक समाधान हो सकता है। IVF फेल होने पर भावनात्मक समर्थन कैसे लें? 1. काउंसलिंग ले सकते हैं मानसिक दबाव IVF फेल होने के बाद बढ़ सकता है। प्रोफेशनल काउंसलिंग से राहत मिल सकती है। 2. सपोर्ट ग्रुप्स से जुड़ें आज कई ऑनलाइन और ऑफलाइन सपोर्ट ग्रुप्स हैं जहाँ दंपत्तियाँ अपने अनुभव साझा करते हैं। 3. पार्टनर से खुलकर बात करें सिर्फ महिला नहीं, पुरुष भी मानसिक रूप से प्रभावित होता है। दोनों को एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए। अगली बार IVF के लिए तैयारी कैसे करें? IVF फेल होने के बाद विकल्प क्या हैं? विकल्प विवरण पुनः IVF बेहतर रणनीति के साथ अगला साइकल शुरू किया जा सकता है ICSI  यदि स्पर्म की गुणवत्ता खराब है FET जमे हुए भ्रूण को ट्रांसफर किया जा सकता है डोनर एग/स्पर्म यदि अंडाणु या स्पर्म की गुणवत्ता बहुत खराब है सरोगेसी गर्भाशय की समस्या के मामले में एडॉप्शन संतान पाने का आसान तरीका आईवीएफ को कराने में कितना खर्चा आता है ? अगर आपको इंफर्टिलिटी है और आईवीएफ कराने का सोच रहे हो तो इसका लागत जानना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. गर आपको आईवीएफ का रेट पहले से पता होगा तो आप आर्थिक रूप से तैयार रहेंगे। इससे आपको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। इंसान के लिए किसी भी काम को करने में आर्थिक रूप से दिक्कत आती है लेकिन अगर हम इसकी पहले से तयारी रखेंगे तो ऐसा नहीं होगा। आईवीएफ में ऐसा इलाज है जो आपको आर्थिक रूप से दिक्कत नहीं दे सकता क्योंकि आप आईवीएफ की भुगतान किश्त भी ले सकते हैं। भारत में बहुत सारे अस्पताल या केंद्र का मुआजूद है कि किश्तों में भुगतान लेते हैं जैसे की “Select IVF”.  अगर आईवीएफ खर्चे का अनुमान लगाया जाए तो भारत में 1.5 से 2.5 लाख के बीच कराया जाता है. इस खर्चे को बहुत सारी चीजें प्रभावित करती हैं जैसे दवाओं का खर्चा, डॉक्टर की फीस, आईवीएफ सेंटर का पता, उसकी सफलता दर, आईवीएफ…

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