Articles

June 27, 2025

आईवीएफ का पूरा नाम क्या है और यह कैसे काम करता है

विज्ञान ने आज जीवन के हर क्षेत्र को छू लिया है। चिकित्सा विज्ञान में जो चमत्कारी प्रगति हुई है, उसने उन लोगों के लिए भी उम्मीद जगाई है जो पहले संतान सुख से वंचित रह जाते थे। पहले के समय में यदि कोई दंपति संतान प्राप्त नहीं कर पाता था, तो समाज इसे अभिशाप मान लेता था। लेकिन आज यह केवल एक चिकित्सकीय स्थिति है, जिसका इलाज संभव है। इसी इलाज की एक महत्वपूर्ण तकनीक है — आईवीएफ। आईवीएफ शब्द सुनते ही आम लोगों के मन में कई प्रश्न जन्म लेते हैं। सबसे पहला और स्वाभाविक सवाल यही होता है — आईवीएफ का पूरा नाम क्या है? इस लेख में हम इसी प्रश्न का उत्तर विस्तार से जानेंगे। साथ ही यह भी समझेंगे कि आईवीएफ क्या है, कैसे काम करता है, इसका उद्देश्य क्या है, और यह किस प्रकार लाखों निःसंतान दंपतियों के लिए एक नई किरण बन चुका है। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… आईवीएफ का पूरा नाम क्या है? आईवीएफ एक शॉर्ट फॉर्म है जिसका पूरा नाम है — इन विट्रो फर्टिलाइजेशन।यह नाम अंग्रेजी भाषा से लिया गया है, जिसमें: अर्थात् इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का शाब्दिक अर्थ हुआ — शरीर के बाहर, कृत्रिम रूप से, अंडाणु और शुक्राणु को मिलाकर भ्रूण बनाना। और फिर उसे महिला के गर्भाशय में स्थापित करना ताकि गर्भधारण संभव हो सके। जब महिला और पुरुष के अंडाणु और शुक्राणु आपस में प्राकृतिक रूप से नहीं मिल पाते हैं, तब डॉक्टर यह प्रक्रिया लैब में कृत्रिम रूप से करते हैं। यही प्रक्रिया आईवीएफ कहलाती है। आईवीएफ क्या है? आईवीएफ एक आधुनिक तकनीक है जो निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति की दिशा में सहायता करती है। यह तकनीक उन दंपतियों के लिए एक वरदान है, जो लंबे समय तक प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाते। इसमें महिला के शरीर से अंडाणु (एग्स) और पुरुष से शुक्राणु (स्पर्म) लेकर उन्हें लैब में मिलाया जाता है। लैब में जब निषेचन यानी फर्टिलाइजेशन होता है, तो एक भ्रूण बनता है। इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। यदि सब कुछ सफलतापूर्वक होता है, तो महिला गर्भवती हो जाती है और सामान्य तरीके से उसका गर्भकाल चलता है। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का वैज्ञानिक महत्व प्राकृतिक गर्भधारण की प्रक्रिया महिला के गर्भाशय के अंदर होती है। लेकिन जब किसी कारणवश यह प्रक्रिया बाधित होती है — जैसे फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना, पुरुष में शुक्राणुओं की कमी होना, या महिला में हार्मोनल असंतुलन होना — तब आईवीएफ जैसी तकनीक की सहायता ली जाती है। “इन विट्रो” का प्रयोग इसीलिए किया गया है क्योंकि यह प्रक्रिया शरीर के बाहर की जाती है। पहले भ्रूण को लैब में विकसित किया जाता है और फिर उसे शरीर के भीतर स्थानांतरित किया जाता है। आईवीएफ के चरण आईवीएफ एक लंबी और क्रमबद्ध प्रक्रिया है, जो कई चरणों में पूरी होती है। हर चरण की अपनी विशेषता और उद्देश्य होता है। 1. डिम्बग्रंथियों की उत्तेजना (Ovarian Stimulation) इस चरण में महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके अंडाशय (ओवरी) अधिक संख्या में अंडाणु तैयार कर सकें। सामान्य रूप से हर मासिक चक्र में एक अंडाणु बनता है, लेकिन आईवीएफ के लिए कई अंडाणुओं की आवश्यकता होती है। 2. अंडाणु का संग्रह (Egg Retrieval) जब अल्ट्रासाउंड द्वारा यह देखा जाता है कि अंडाणु परिपक्व हो चुके हैं, तो उन्हें एक छोटी शल्य प्रक्रिया द्वारा निकाला जाता है। इस प्रक्रिया को एग रिट्रीवल कहते हैं और यह बेहोशी के साथ की जाती है। 3. शुक्राणु संग्रह (Sperm Collection) इस प्रक्रिया में पुरुष से उसके शुक्राणु लिए जाते हैं। यदि किसी कारणवश पुरुष से शुक्राणु प्राप्त नहीं हो पा रहे हों, तो डोनर स्पर्म का भी उपयोग किया जा सकता है। 4. निषेचन (Fertilization) महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में एक विशेष माध्यम में मिलाया जाता है। सामान्यतः 16 से 18 घंटों के भीतर निषेचन होता है और भ्रूण बनने लगता है। 5. भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer) जब भ्रूण 3 से 5 दिन पुराना हो जाता है, तो उसे महिला के गर्भाशय में एक पतली नली के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है। यह प्रक्रिया लगभग दर्दरहित होती है। 6. प्रेगनेंसी टेस्ट भ्रूण स्थानांतरण के 12 से 14 दिन बाद महिला का रक्त परीक्षण (बीटा HCG टेस्ट) किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि गर्भधारण हुआ है या नहीं। आईवीएफ और सामान्य प्रेगनेंसी में क्या फर्क होता है? आईवीएफ (In Vitro Fertilization) और सामान्य गर्भधारण (Natural Pregnancy) दोनों का लक्ष्य एक ही होता है — एक स्वस्थ शिशु का जन्म। लेकिन इन दोनों के बीच कुछ अहम अंतर होते हैं, खासकर गर्भधारण की प्रक्रिया, देखभाल, और भावनात्मक अनुभव के मामले में। 1. गर्भधारण की प्रक्रिया यानी, IVF में कृत्रिम तरीके से गर्भधारण कराया जाता है, जबकि सामान्य प्रेगनेंसी में ये प्रकृति द्वारा स्वत: होता है। 2. शारीरिक देखभाल और मेडिकल निगरानी IVF में जोखिम थोड़ा ज़्यादा माना जाता है, जैसे गर्भाशय में ब्लीडिंग, ट्विन प्रेगनेंसी, या इम्प्लांटेशन की समस्या, इसलिए ज़्यादा निगरानी की जाती है। 3. भावनात्मक और मानसिक स्थिति IVF से बनी प्रेगनेंसी अक्सर भावनात्मक रूप से ज़्यादा जुड़ी होती है, क्योंकि इसके पीछे लम्बी कोशिशें, इलाज, पैसा और समय लगता है।माँ और परिवार IVF के दौरान ज़्यादा चिंता, उम्मीद और डर का सामना करते हैं।सामान्य प्रेगनेंसी में ये भावनाएँ होती हैं, लेकिन IVF में वो भावनात्मक स्तर कहीं अधिक होता है। 4. खर्च और समय IVF एक महंगी प्रक्रिया होती है, जिसमें लाखों रुपये लग सकते हैं। एक IVF चक्र में 4 से 6 सप्ताह का समय लगता है और कभी-कभी दो से तीन चक्र भी लगते हैं।वहीं, सामान्य प्रेगनेंसी में कोई विशेष खर्च नहीं होता, और समय वही 9 महीने का होता है। 5. गर्भावस्था और बच्चे में कोई अंतर? एक बहुत बड़ा मिथक है कि IVF से पैदा होने वाले बच्चे सामान्य नहीं होते।सच्चाई यह है कि IVF से जन्मा बच्चा पूरी तरह सामान्य, स्वस्थ और प्राकृतिक बच्चों की तरह ही होता है। आईवीएफ की आवश्यकता किन लोगों को होती है? आईवीएफ उन दंपतियों के लिए सबसे अधिक सहायक होती है, जिन्हें नीचे दिए गए कारणों…

View details