आईवीएफ प्रक्रिया क्या है? जानिए स्टेप बाय स्टेप तरीका और जरूरी जानकारी
आईवीएफ प्रक्रिया क्या है IVF यानी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी तकनीक है जिससे संतान नहीं होने पर भी माता-पिता बनने का सपना पूरा किया जा सकता है। इसमें महिला के अंडाणु (एग) और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में मिलाया जाता है। जब अंडाणु और शुक्राणु मिलकर भ्रूण (baby का पहला रूप) बना लेते हैं, तब उसे महिला के गर्भ में डाला जाता है ताकि वह बच्चा बन सके। यह प्रक्रिया उन दंपतियों के लिए होती है जो कई सालों से बच्चा चाह रहे हैं लेकिन किसी कारण से प्राकृतिक रूप से गर्भ नहीं ठहर पा रहा। IVF एक सुरक्षित और सफल तरीका है, जिसने लाखों परिवारों को खुशियाँ दी हैं। यह तकनीक आजकल बहुत आम होती जा रही है और कई लोग इससे माता-पिता बन चुके हैं। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र का चयन कैसे करें? आईवीएफ क्या है? आईवीएफ एक प्रकार का उपचार है उन लोगों के लिए जो बच्चा नहीं कर पाते। बच्चा ना कर पाना मतलब कपल्स इनफर्टिलिटी से परेशान है। बांझपन एक प्रकार की स्थिति है इसमे दम्पति प्राकृतिक गर्भाधान की मदद से बचा नहीं सकते। अगर कपल एक साल से बच्चा करने की कोशिश कर रहा है परंतु नहीं हो पा रहा तो मतलब वे इनफर्टिलिटी से जूझ रहा है। तो आईवीएफ वही एक तरीका है जिससे बांझपन को दूर किया जा सकता है। आईवीएफ में कपल्स से अंडा और स्पर्म लिया जाता है जिसे प्रयोगशाला डिश में मिक्स किया जाता है ताकि भ्रूण मिले। उस एम्ब्र्यो को औरत के गर्भाशय में डाला जाता है. ताकि औरत प्रेग्नेंट हो सके और उसकी लाइफ में बेबी आ जाए। आईवीएफ की भी कुछ स्थितियां होती हैं कि पुरुष बांझपन है या महिला बांझपन। उसी हिसाब से उपचार किया जाता है और दानकर्ता उपयोग होते हैं। आईवीएफ महत्वपूर्ण क्यों है: आईवीएफ प्रक्रिया कैसे होती है? आईवीएफ प्रक्रिया को करने के लिए कुछ चरणों का पालन करना पड़ता है: पहले तो आपको आईवीएफ डॉक्टर से परामर्श लेना पड़ेगा। वो आपके मामले का विश्लेषण करेगा या बताएगा आपको आपकी बांझपन के बारे में पता है और आपके बांझपन के कारण के बारे में मुझे पता है। और साथ-ही-साथ आपको समाधान देगा। दूसरे चरण में आपको हार्मोनल इंजेक्शन लगाए जाएंगे अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए ताकि अंडाशय अंडे ज्यादा पैदा कर सकें। इस चरण में जब अंडे परिपक्व हो जाएं तब अंडों को एक उपकरण की मदद से निकाल लिया जाता है जिसे अंडा पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया कहा जाता है। इसमे कैथेटर का उपयोग किया जाता है अंडा संग्रह के लिए। उसी दिन स्पर्म भी लिया जाता है मेल पार्टनर से। चौथा चरण, अंडे और शुक्राणु को मिक्स किया जाता है एक प्रयोगशाला डिश में ताकि भ्रूण बने। फ़िर उस भ्रूण को महिला को गर्भाशय में डाल दिया जाता है गर्भावस्था विकसित करने के लिए। एम्ब्र्यो ट्रांसफर के 12 या 15 दिन बाद ब्लड टेस्ट किया जायेगा जिससे आईवीएफ की सफलता या विफलता का पता लगेगा. आईवीएफ कितने दिन में होता है? आईवीएफ चक्र को पूरा होने में 4 से 6 सप्ताह लगते हैं। इतने समय में आईवीएफ की सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जैसे परामर्श, अंडा पुनर्प्राप्ति, शुक्राणु संग्रह, निषेचन, भ्रूण स्थानांतरण और गर्भावस्था परीक्षण। आईवीएफ प्रक्रिया हर मरीज के लिए समान होती है लेकिन मरीजों का शरीर अलग होता है। तो अलग-अलग मरीज़ अलग-अलग तरीके से जवाब देते हैं। आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं? आईवीएफ में 10 से 40 इंजेक्शन दिए जाते हैं। एक दिन में एक या दो इंजेक्शन दिया जाता है ये हार्मोनल इंजेक्शन होते हैं अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए। इंजेक्शनों को लेने के बाद अंडों का उत्पादन बढ़ जाता है और जब ये अंडे परिपक्व हो जाते हैं तो इन्हें निषेचन में इस्तमाल किया जाता है। 8 से 14 दिन के लिए लगातर इंजेक्शन लगाया जाता है। इंजेक्शन की संख्या मरीज़ पर भी निर्भर है। मरीज़ के मामले के अनुसार इसमे उतार चढ़ाव हो सकता है। आईवीएफ क्यों करा जाता है? आईवीएफ कराने का एक मुख्य कारण बांझपन है, एक ऐसी स्थिति जिसके कारण दम्पति प्राकृतिक प्रक्रिया से अपने बच्चे को जन्म नहीं दे सकते। यदि दम्पति एक वर्ष से अधिक समय तक प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो वे बांझपन से जूझ रहे हैं। आईवीएफ चुनने का दूसरा कारण क्षतिग्रस्त या अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब, कम डिम्बग्रंथि रिजर्व या जोड़ों की बढ़ती उम्र है। तीसरा कारण एंडोमेट्रियोसिस है, क्योंकि यह अंडे की गुणवत्ता, आरोपण को प्रभावित कर सकता है और संभावित रूप से अवरुद्ध ट्यूबों को जन्म दे सकता है। चौथा कारण अस्पष्टीकृत बांझपन है, जब अन्य जांच के बाद बांझपन का कारण स्पष्ट नहीं होता है, तो आईवीएफ एक सफल उपचार विकल्प हो सकता है। IVF प्रक्रिया में कितना खर्च आता है? IVF प्रक्रिया में लगने वाला खर्च कई बातों पर निर्भर करता है जैसे कि क्लिनिक की लोकेशन, डॉक्टर की विशेषज्ञता, दंपति की हेल्थ कंडीशन और कितने चक्र (cycles) की जरूरत पड़ती है। भारत में एक IVF चक्र का खर्च आमतौर पर ₹70,000 से ₹2,50,000 के बीच होता है। अगर दंपति को दवाइयाँ ज्यादा समय तक लेनी पड़ें, एग डोनर या सरोगेसी की ज़रूरत हो, या फिर दो से ज़्यादा चक्र करने पड़ें, तो कुल खर्च ₹4 से ₹6 लाख या उससे ज्यादा भी हो सकता है। कुछ अस्पताल पैकेज भी देते हैं जिनमें कंसल्टेशन, दवाइयाँ और प्रोसीजर शामिल होते हैं। खर्च जानने के लिए किसी अच्छे IVF क्लिनिक से सलाह लेना सबसे सही रहेगा। निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है: भारत में IVF उपचार के प्रकार भारत में IVF उपचार की लागत (INR) भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 1,50,000 भारत में ICSI के साथ IVF की लागत INR 1,65,000-1,85,000 भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत INR 2,06,000-3,00,000 भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 2,10,000 भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत INR 2,10,000-2,20,000 भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत INR 2,05,000-3,00,000 भारत में PGD तकनीक…
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