आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी क्या है
हिस्टेरोस्कोपी एक प्रकार का परीक्षण है जो बांझपन के कारण को पहचानने के लिए किया जाता है। यदि आप भारी मासिक धर्म रक्तस्राव, अत्यधिक ऐंठन और दर्द से जूझ रहे हैं, तो आपका डॉक्टर आपको हिस्टेरोस्कोपी उपचार से गुजरने का सुझाव दे सकता है। गर्भाशय संबंधी समस्याएं कई गर्भपात और बांझपन का कारण बन सकती हैं। आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी के उपयोग से गर्भाशय पॉलीप्स या निशान ऊतक को हटाया जा सकता है। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यदि आप आईवीएफ कराने की योजना बना रहे हैं तो डॉक्टर आपको हिस्टेरोस्कोपी कराने की सलाह देंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका गर्भाशय आईवीएफ गर्भावस्था को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्वस्थ है। हिस्टेरोस्कोपी से प्राप्त कोई भी निष्कर्ष आईवीएफ की विफलता को रोक सकता है और आपको वित्तीय या भावनात्मक उथल-पुथल से बचा सकता है। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… हिस्टेरोस्कोपी कैसे करें? हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर एक पतला, लचीला ट्यूब (जिसे हिस्टेरोस्कोप कहा जाता है) को वजाइना के माध्यम से गर्भाशय के अंदर डालते हैं ताकि गर्भाशय की अंदरूनी दीवार को सीधे देखा जा सके। यह प्रक्रिया महिलाओं में गर्भाशय की समस्याओं की जांच और इलाज दोनों के लिए की जाती है। 1. तैयारी (Preparation): 2. स्थिति (Positioning): 3. स्पेकुलम डालना: 4. हिस्टेरोस्कोप डालना: 5. गैस या लिक्विड का उपयोग: 6. जांच या सर्जरी: 7. समाप्ति और रिकवरी: हिस्टेरोस्कोपी से क्या फायदा है? हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) महिलाओं के गर्भाशय की जांच और इलाज के लिए की जाने वाली एक आधुनिक और सुरक्षित प्रक्रिया है। यह एक पतली दूरबीन जैसी ट्यूब (हिस्टेरोस्कोप) के माध्यम से गर्भाशय के अंदर झांकने की सुविधा देता है। इससे डॉक्टर को गर्भाशय की असल स्थिति सीधे देखने और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत उपचार करने में मदद मिलती है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख फायदे: आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी क्या है? आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी एक विशेष प्रक्रिया है जो उन महिलाओं के लिए की जाती है, जिन्हें गर्भधारण में परेशानी हो रही हो या जिनके IVF प्रयास बार-बार असफल हो रहे हों। इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक पतली, लाइट और कैमरा युक्त ट्यूब (जिसे हिस्टेरोस्कोप कहा जाता है) को वजाइना और गर्भाशय के रास्ते गर्भाशय की अंदरूनी सतह तक पहुंचाते हैं। इसका उद्देश्य होता है गर्भाशय की स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण करना। IVF से पहले हिस्टेरोस्कोपी करवाने का मुख्य उद्देश्य यह जानना होता है कि गर्भाशय की दीवारें सामान्य हैं या नहीं। इसमें देखा जाता है कि कहीं गर्भाशय में फाइब्रॉइड, पॉलीप्स, सेप्टम, चिपकाव या कोई अन्य असामान्यता तो नहीं है, जो भ्रूण के इम्प्लांटेशन में रुकावट बन सकती है। यदि ऐसी कोई समस्या मिलती है, तो उसी प्रक्रिया के दौरान उसका इलाज भी किया जा सकता है, जिसे ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी कहा जाता है। यह प्रक्रिया IVF की सफलता दर को बढ़ाने के लिए की जाती है। खासकर उन मामलों में जहां बार-बार आईवीएफ फेल हो रहा हो, इम्प्लांटेशन नहीं हो रहा हो, या महिला को पीरियड्स में गड़बड़ी हो रही हो। यह एक मिनिमली इनवेसिव (कम चीर-फाड़ वाली) प्रक्रिया होती है, जिससे जल्दी रिकवरी होती है और महिला जल्द ही अगली IVF साइकल के लिए तैयार हो सकती है। आईवीएफ के साथ हिस्टेरोस्कोपी की लागत क्या है? जब किसी महिला को बार-बार IVF फेल हो रहा हो या गर्भधारण में रुकावट आ रही हो, तो डॉक्टर IVF प्रक्रिया से पहले या उसके साथ हिस्टेरोस्कोपी करवाने की सलाह देते हैं। हिस्टेरोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे डॉक्टर गर्भाशय की अंदरूनी स्थिति को सीधे देखकर यह जान सकते हैं कि वहां कोई रुकावट, फाइब्रॉइड, पॉलीप्स या संक्रमण तो नहीं है। भारत में IVF की एक साइकल की लागत लगभग ₹90,000 से ₹2,50,000 के बीच होती है, जबकि डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी की कीमत ₹15,000 से ₹30,000 के बीच हो सकती है। यदि हिस्टेरोस्कोपी के दौरान किसी समस्या का इलाज भी किया जाता है (जैसे पॉलीप्स हटाना या फाइब्रॉइड निकालना), तो इसे ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी कहा जाता है, जिसकी लागत ₹30,000 से ₹60,000 तक हो सकती है। इस लागत में कई अन्य बातें भी जुड़ती हैं जैसे अस्पताल की गुणवत्ता, डॉक्टर की विशेषज्ञता, किस प्रकार का एनेस्थीसिया दिया गया है, और प्रक्रिया के बाद दी जाने वाली दवाएं या फॉलोअप विज़िट्स। बड़े शहरों और प्रीमियम फर्टिलिटी क्लिनिक में यह प्रक्रिया महंगी हो सकती है, जबकि छोटे शहरों में कम खर्च में उपलब्ध हो जाती है। IVF के साथ हिस्टेरोस्कोपी करवाने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि यह गर्भाशय की समस्याओं की पहचान और उपचार एक ही प्रक्रिया में कर सकता है। इसलिए यदि डॉक्टर इसे IVF से पहले सुझाएं, तो यह एक आवश्यक और लाभकारी कदम हो सकता है। लागत को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक: IVF लागत का विवरण नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी: आईवीएफ अलग स्थान पर भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत दिल्ली में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 मुंबई में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹354000 बैंगलोर में आईवीएफ लागत ₹155000 – ₹365000 उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹138000 – ₹310000 उत्तराखंड में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 तेलंगाना में आईवीएफ लागत ₹147000 – ₹310000 पंजाब में आईवीएफ लागत ₹140900 – ₹310000 मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 ओडिशा में आईवीएफ लागत ₹126000 – ₹310000 राजस्थान में आईवीएफ लागत ₹154000 – ₹310000 झारखंड में आईवीएफ लागत ₹142000 – ₹310000 बिहार में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 असम में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 गुजरात में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 IVF की सफलता दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित बिंदु आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करते हैं: हिस्टेरोस्कोपी के बाद IVF की सफलता दर में कितना फर्क आता है? हिस्टेरोस्कोपी एक ऐसा उपकरण है जो डॉक्टर को गर्भाशय की अंदरूनी दीवार को प्रत्यक्ष रूप से देखने और किसी भी असामान्यता को पहचानने और दूर करने की सुविधा देता है। जब IVF (In Vitro Fertilization) की प्रक्रिया बार-बार असफल हो रही हो या इम्प्लांटेशन (भ्रूण का गर्भाशय में चिपकना) न हो रहा हो, तब हिस्टेरोस्कोपी IVF की सफलता…
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