आईयूआई और आईवीएफ में क्या अंतर है? जानिए दोनों प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी
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आईवीएफ, जिसे वैज्ञानिक भाषा में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है, ने लाखों निःसंतान दंपत्तियों को माता-पिता बनने का सुख दिया है। यह तकनीक तब अपनाई जाती है जब सामान्य रूप से गर्भधारण संभव नहीं हो पा रहा हो। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आईवीएफ क्या होता है, यह कैसे काम करता है, किसे इसकी ज़रूरत होती है, इसकी प्रक्रिया क्या होती है, और इससे जुड़े फायदे, नुकसान और सावधानियाँ क्या हैं।

सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं…
- निःशुल्क परामर्श की उपलब्धता
- IVF के लिए आसमान छूती सफलता दर
- IVF के लिए सस्ती लागत
- प्रजनन उपकरणों की उपलब्धता और कार्यक्षमता।
- IUI, ICSI जैसी अन्य ART तकनीकों और अंडे और शुक्राणु को फ्रीज करने जैसी प्रक्रिया की उपलब्धता।
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आईवीएफ क्या होता है?
आईवीएफ का पूरा नाम है इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, जिसका अर्थ है “शरीर के बाहर निषेचन”।
यह एक ऐसी कृत्रिम प्रजनन तकनीक है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर से बाहर लैब में मिलाया जाता है, जिससे भ्रूण (Embryo) बनता है।
इस भ्रूण को फिर महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि गर्भधारण हो सके।
यह प्रक्रिया खासतौर पर उन दंपत्तियों के लिए बनाई गई है जिनमें कोई गंभीर शारीरिक कारण होता है, जैसे:
- महिला की फॉलोपियन ट्यूब बंद या क्षतिग्रस्त होना
- पुरुष में शुक्राणुओं की कमी या दुर्बलता
- ओवुलेशन की समस्या
- हार्मोनल गड़बड़ी
- उम्र बढ़ने के कारण गर्भधारण में कठिनाई
- बार-बार गर्भपात होना
- एंडोमेट्रियोसिस या पीसीओएस
आईवीएफ के माध्यम से चिकित्सा विज्ञान ने एक ऐसा चमत्कार किया है, जिससे वर्षों से संतान सुख की प्रतीक्षा कर रहे परिवारों में खुशी की बहार आई है।
आईवीएफ कैसे काम करता है?
आईवीएफ एक जटिल प्रक्रिया है जो कई चरणों में पूरी होती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर एक मासिक चक्र की शुरुआत से लेकर लगभग 4 से 6 सप्ताह तक चल सकती है।
इसकी प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं:
1. हार्मोनल दवाओं से अंडाणु उत्पन्न करना
सबसे पहले महिला को हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं ताकि उसके अंडाशय में एक बार में एक से अधिक अंडाणु विकसित हो सकें।
प्राकृतिक रूप से हर महीने एक ही अंडाणु बनता है, लेकिन आईवीएफ के लिए कई अंडाणुओं की आवश्यकता होती है।
डॉक्टर समय-समय पर सोनोग्राफी और ब्लड टेस्ट के माध्यम से निगरानी करते हैं कि अंडाणु सही तरह से विकसित हो रहे हैं या नहीं।
2. अंडाणु निकासी (एग रिट्रीवल)
जब अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तो एक छोटे ऑपरेशन द्वारा उन्हें महिला के शरीर से निकाला जाता है।
यह प्रक्रिया अल्ट्रासाउंड मार्गदर्शन में की जाती है और सामान्यतः दर्दरहित होती है।
इस दौरान महिला को हल्की बेहोशी दी जाती है।
3. शुक्राणु संग्रहण
उसी दिन पुरुष से शुक्राणु का नमूना लिया जाता है।
अगर पुरुष के शुक्राणु पर्याप्त न हों, तो डोनर स्पर्म या टीईएसई जैसी तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
4. निषेचन (Fertilization)
अब लैब में अंडाणु और शुक्राणु को मिलाया जाता है।
यदि शुक्राणु कमजोर हों, तो आईसीएसआई तकनीक (एक-एक शुक्राणु को अंडाणु में इंजेक्ट करना) का उपयोग होता है।
इस प्रक्रिया के बाद अंडाणु और शुक्राणु मिलकर भ्रूण का निर्माण करते हैं।
5. भ्रूण का विकास
भ्रूण बनने के बाद उसे 3 से 5 दिनों तक लैब में विशेष वातावरण में विकसित होने दिया जाता है।
डॉक्टर सबसे स्वस्थ और मजबूत भ्रूण का चयन करते हैं ताकि उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जा सके।
6. भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer)
अब तैयार भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।
यह एक आसान और दर्दरहित प्रक्रिया होती है, जिसमें एक पतली नली की मदद से भ्रूण को गर्भाशय की दीवार पर रखा जाता है।
इसके बाद महिला को कुछ दिनों तक आराम की सलाह दी जाती है।
7. प्रेगनेंसी की पुष्टि
भ्रूण ट्रांसफर के 12 से 14 दिन बाद रक्त की जांच (बीटा HCG टेस्ट) के ज़रिए यह पता चलता है कि गर्भधारण हुआ है या नहीं।
आईवीएफ किसे करवाना चाहिए?
आईवीएफ उन दंपत्तियों के लिए अनुशंसित है:
- जिनकी फॉलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त या बंद हैं
- जिनमें गंभीर पुरुष बांझपन है
- जिनकी उम्र 35 वर्ष से अधिक है
- जिन्हें पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस जैसी समस्याएं हैं
- जिनका पहले आईयूआई, मेडिकेशन या सर्जरी से गर्भधारण नहीं हो सका
- जो बार-बार गर्भपात का अनुभव कर चुके हैं
- जिनके अज्ञात कारणों से गर्भधारण नहीं हो रहा है
आईवीएफ के फायदे
- गंभीर बांझपन की स्थिति में भी संतान प्राप्ति संभव होती है
- एडवांस तकनीकों से भ्रूण की गुणवत्ता जांची जा सकती है
- डोनर अंडाणु या शुक्राणु का विकल्प होता है
- एग फ्रीजिंग के ज़रिए भविष्य में भी प्रेगनेंसी का विकल्प
- एक से अधिक चक्रों में प्रयास संभव
आईवीएफ के नुकसान
- प्रक्रिया महंगी होती है
- हार्मोनल दवाओं के कारण शरीर पर असर हो सकता है
- हर बार सफलता की गारंटी नहीं होती
- मानसिक तनाव और भावनात्मक उतार-चढ़ाव
- कभी-कभी जुड़वां या अधिक गर्भ की संभावना
आईवीएफ की सफलता दर
आईवीएफ की सफलता दर कई बातों पर निर्भर करती है:
- महिला की उम्र
- अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता
- हार्मोनल स्थिति
- डॉक्टर और क्लिनिक का अनुभव
आमतौर पर, 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में सफलता दर 50% तक हो सकती है, जबकि अधिक उम्र में यह घटकर 30% या उससे भी कम हो जाती है।
आईवीएफ के दौरान सावधानियाँ
- डॉक्टर की हर सलाह का पालन करें
- धूम्रपान और शराब से दूर रहें
- मानसिक रूप से शांत और सकारात्मक रहें
- भारी शारीरिक श्रम न करें
- दवाएं समय पर लें और फॉलो-अप ज़रूर करें
आईवीएफ के दौरान पति-पत्नी का आपसी सहयोग क्यों ज़रूरी होता है?
IVF केवल शारीरिक इलाज नहीं है — यह एक मानसिक, भावनात्मक और रिश्तों की परीक्षा जैसी यात्रा होती है। इस प्रक्रिया में पति-पत्नी दोनों की भूमिका बहुत अहम होती है। जहाँ महिला शारीरिक रूप से IVF की प्रक्रिया से गुजरती है, वहीं पति का भावनात्मक और मानसिक सहयोग उसकी ताकत बन सकता है।
1. महिला की मानसिक स्थिति को समझना बहुत ज़रूरी है
IVF प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को रोज़ हार्मोनल इंजेक्शन, अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट और कई बार दर्द सहना पड़ता है।
इन शारीरिक कष्टों के साथ-साथ, उनके मन में डर, चिंता, और “क्या ये सफल होगा?” जैसे सवाल होते हैं।
ऐसे समय में अगर पति उनका साथ न दे, तो महिला टूट सकती है।
पर अगर पति हर कदम पर साथ हो, तो यही मुश्किल सफर एक “टीम वर्क” बन जाता है।
2. IVF में धैर्य और समझदारी ज़रूरी होती है
IVF में सफलता हमेशा पहली बार में नहीं मिलती। कई बार दो या तीन चक्र भी लग सकते हैं। ऐसे में धैर्य और सकारात्मक सोच दोनों ज़रूरी होती हैं।
पति-पत्नी अगर एक-दूसरे को दोष देने लगें, तो रिश्ते में दूरी आ सकती है। लेकिन अगर दोनों मिलकर ये समझें कि “ये हमारी साझा यात्रा है”, तो वो मानसिक तौर पर भी मज़बूत रहते हैं।
3. मेडिकल फैसलों में साझेदारी
क्लिनिक चुनना, इलाज का तरीका तय करना (जैसे ICSI, डोनर स्पर्म/एग आदि), खर्च की योजना बनाना — ये सब निर्णय मिलकर लेने चाहिए।
जब पति साथ बैठकर सलाह करता है, तो महिला को लगता है कि वो अकेली नहीं है।
4. भावनात्मक समर्थन एक दवा की तरह होता है
IVF का तनाव महिला के मूड, नींद, भूख और मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
पति अगर प्यार, धैर्य और सहानुभूति से पेश आए, तो यही भावना महिला को भावनात्मक रूप से स्थिर बनाए रखती है।
- अगर वो रोना चाहे तो उसे कंधा दें
- अगर वो चुप है तो बिना बोले उसके पास बैठें
- अगर वो डर रही है, तो उसका हाथ थामें और कहें — “हम साथ हैं”
भारत में IVF लागत का विवरण
परामर्श शुल्क: यह बांझ दंपतियों और प्रजनन विशेषज्ञ के बीच चर्चा है। भारत में परामर्श की औसत लागत ₹500 से ₹2000 के बीच है। हालाँकि, IVF से पहले आवश्यक परामर्शों की संख्या के आधार पर लागत बढ़ सकती है।
दवा शुल्क: IVF प्रक्रिया में अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाओं और भ्रूण स्थानांतरण के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। इसलिए IVF के लिए आवश्यक दवाओं और खुराक की लागत प्रति चक्र लगभग ₹15000 से ₹60000 हो सकती है।
अंडा पुनर्प्राप्ति और भ्रूण निर्माण: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय से अंडे को निकालना है, और भ्रूण निर्माण एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और शुक्राणु का संयोजन है जिससे भ्रूण बनता है। इस चरण की लागत लगभग 50000 से 100000 रुपये है।
भ्रूण स्थानांतरण: गर्भावस्था को विकसित करने के लिए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। तो, इस कारक के लिए, 15000 से 30000 रुपये की आवश्यकता होती है, और यह वास्तविक लागत है।
पीजीडी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) और (इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन): पीजीडी और आईसीएसआई दो अतिरिक्त प्रक्रियाएं हैं जो आनुवंशिक मुद्दों और पुरुष बांझपन जैसे मामलों में फायदेमंद हैं। यह कारक 50000 से 100000 के बीच होता है।
निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है:
भारत में IVF उपचार के प्रकार | भारत में IVF उपचार की लागत (INR) |
भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 1,50,000 |
भारत में ICSI के साथ IVF की लागत | INR 1,65,000-1,85,000 |
भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत | INR 2,06,000-3,00,000 |
भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000 |
भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000-2,20,000 |
भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत | INR 2,05,000-3,00,000 |
भारत में PGD तकनीक के साथ IVF की लागत | INR 3,00,000 |
नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:
आईवीएफ अलग स्थान पर | भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत |
दिल्ली में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
मुंबई में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹354000 |
बैंगलोर में आईवीएफ लागत | ₹155000 – ₹365000 |
उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹138000 – ₹310000 |
उत्तराखंड में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
तेलंगाना में आईवीएफ लागत | ₹147000 – ₹310000 |
पंजाब में आईवीएफ लागत | ₹140900 – ₹310000 |
मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
ओडिशा में आईवीएफ लागत | ₹126000 – ₹310000 |
राजस्थान में आईवीएफ लागत | ₹154000 – ₹310000 |
झारखंड में आईवीएफ लागत | ₹142000 – ₹310000 |
बिहार में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
असम में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
गुजरात में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
भारत में IVF की सफलता दर
भारत में 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए औसत IVF सफलता दर प्रति चक्र लगभग 50% से 65% है। बढ़ती उम्र के साथ सफलता दर कम होती जाती है। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि जोड़े की उम्र, खास तौर पर महिलाओं की, IVF की सफलता प्राप्त करने के लिए शामिल IVF प्रयासों की संख्या, उन्नत तकनीक और नवीनतम तकनीकों का उपयोग जो सफलता दर को बढ़ा सकते हैं, और प्रजनन डॉक्टरों या IVF विशेषज्ञों का अनुभव और विशेषज्ञता.
एक अच्छे फर्टिलिटी सेंटर को कैसे चुनें आईवीएफ के लिए?
हम समझते हैं कि आपके बांझपन उपचार के लिए सर्वोत्तम विकल्प का चयन करना कितना कठिन हो जाता है, लेकिन चिंता न करें, क्योंकि हमारे पास एक ऐसा उपाय है जो आपकी टेंशन को दूर कर देगा। हम आपको एक ऐसे सेंटर के बारे में बताएंगे जो कम दाम पर अच्छा आईवीएफ प्रदान करता है।
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- शुरुआत से ही पूरी प्रक्रिया में आपकी सहायता करता हो
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सेलेक्ट आईवीएफ (Select IVF) क्यों चुनें?
जब बात संतान सुख की हो, तो हर दंपति यही चाहता है कि वह एक ऐसे क्लिनिक का चयन करें जो न केवल तकनीकी रूप से सक्षम हो, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उनका साथ दे। Select IVF एक ऐसा ही नाम है जिस पर हजारों परिवारों ने विश्वास किया है और अपनी खुशियों की नई शुरुआत की है।
Select IVF वर्षों से भारत और विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाली फर्टिलिटी सेवाएं दे रहा है। यहां काम करने वाली डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम केवल मेडिकल एक्सपर्ट नहीं है, बल्कि वो लोग हैं जो मरीज की भावनाओं को समझते हैं और हर कदम पर उन्हें सहयोग देते हैं। चाहे पहली बार परामर्श हो या अंतिम एम्ब्रियो ट्रांसफर, यहां हर प्रक्रिया को अत्यधिक सावधानी और ईमानदारी से पूरा किया जाता है।
यहां की सबसे बड़ी ताकत है – व्यक्तिगत ट्रीटमेंट प्लान, मतलब हर मरीज की हालत, उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इलाज तय किया जाता है। Select IVF में किसी एक ही फॉर्मूले से सभी मरीजों का इलाज नहीं होता, बल्कि यहां इलाज को पूरी तरह पर्सनलाइज किया जाता है।
तकनीकी रूप से भी यह क्लिनिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहां ICSI, IUI, Egg Donation, Embryo Freezing, PESA, TESA और Surrogacy जैसी सभी प्रमुख प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, सभी टेस्ट और स्कैनिंग सुविधाएं भी एक ही छत के नीचे मिल जाती हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
Select IVF की एक और खूबी है – पारदर्शिता। यहां किसी भी तरह की छिपी हुई फीस नहीं होती। हर खर्च और हर प्रक्रिया को पहले से समझाया जाता है ताकि मरीज मानसिक रूप से तैयार हो सके। यही कारण है कि यहां आने वाले मरीज केवल भारत से ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका, नाइजीरिया और अफ्रीका जैसे कई देशों से भी आते हैं।
Select IVF सिर्फ एक फर्टिलिटी क्लिनिक नहीं, बल्कि एक भरोसा है, जो हर दंपति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करता है।
निष्कर्ष
आईवीएफ एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है जिसने लाखों निःसंतान दंपत्तियों को संतान सुख दिया है। यह एक जटिल लेकिन प्रभावशाली प्रक्रिया है, जिसमें धैर्य, संकल्प और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। यदि सामान्य प्रयासों से गर्भधारण नहीं हो पा रहा हो, तो निराश होने की बजाय विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और समय रहते आईवीएफ पर विचार करें। आपका यह निर्णय आपके जीवन में एक नई रोशनी ला सकता है, एक संतान के रूप में।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
आईवीएफ का पूरा नाम क्या है?
आईवीएफ का पूरा नाम “इन विट्रो फर्टिलाइजेशन” है। इसका अर्थ है, शरीर के बाहर निषेचन। इस प्रक्रिया में महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर से बाहर प्रयोगशाला में मिलाया जाता है, जिससे भ्रूण बनाया जाता है। यह भ्रूण बाद में महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि गर्भधारण हो सके।
आईवीएफ की प्रक्रिया कितने दिनों में पूरी होती है?
आईवीएफ की प्रक्रिया एक मासिक चक्र की शुरुआत से लेकर लगभग 4 से 6 सप्ताह में पूरी होती है। इसमें अंडाणु विकास, अंडाणु निकासी, निषेचन, भ्रूण विकास और भ्रूण ट्रांसफर जैसे चरण शामिल होते हैं। कभी-कभी अधिक समय भी लग सकता है यदि महिला के हार्मोनल स्तर या स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर अतिरिक्त तैयारियाँ की जाएँ।
क्या आईवीएफ में दर्द होता है?
आईवीएफ की प्रक्रिया अधिकतर दर्दरहित होती है। अंडाणु निकासी के दौरान महिला को हल्की बेहोशी दी जाती है, जिससे कोई विशेष दर्द महसूस नहीं होता। भ्रूण ट्रांसफर भी एक सरल प्रक्रिया है जो कुछ मिनटों में बिना किसी चीरा या टांके के की जाती है। दवाओं के कारण हल्के साइड इफेक्ट जैसे पेट फूलना या ऐंठन हो सकती है, लेकिन वे अस्थायी होते हैं।
क्या आईवीएफ से जुड़वां बच्चे हो सकते हैं?
हाँ, आईवीएफ के दौरान यदि दो या अधिक भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरित किए जाएं, तो जुड़वां या तीन बच्चों का गर्भधारण संभव है। हालांकि अब डॉक्टर अधिकतर मामलों में एक ही स्वस्थ भ्रूण ट्रांसफर करने की सलाह देते हैं ताकि जोखिम कम हो और प्रेगनेंसी सामान्य रहे। जुड़वां प्रेगनेंसी में जटिलताओं की संभावना अधिक होती है, इसलिए सतर्कता आवश्यक होती है।
आईवीएफ की सफलता किस बात पर निर्भर करती है?
आईवीएफ की सफलता कई बातों पर निर्भर करती है, महिला की उम्र, अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता, हार्मोनल संतुलन, डॉक्टर का अनुभव, लैब की सुविधा, और महिला के शरीर की भ्रूण को स्वीकार करने की क्षमता। यदि महिला की उम्र 35 से कम है और उसकी सेहत अच्छी है, तो सफलता की संभावना अधिक होती है।
आईवीएफ से गर्भपात का खतरा कितना होता है?
आईवीएफ से गर्भपात का खतरा सामान्य गर्भधारण की तुलना में थोड़ा अधिक हो सकता है, खासकर यदि महिला की उम्र अधिक हो या पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या हो। लेकिन डॉक्टर की निगरानी, समय पर जांच और उचित दवाओं से इस जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। भ्रूण की गुणवत्ता और गर्भाशय की स्थिति भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।