Surrogacy Meaning in Hindi – सरोगेसी का मतलब क्या है हिंदी में ? सरोगेसी में कितना खर्च आता है 2025
सरोगेसी का मतलब हिंदी में? (Meaning of Surrogacy in Hindi) सरोगेसी (Surrogacy) का मतलब है जब एक महिला किसी दूसरी महिला या दंपत्ति के लिए गर्भधारण करती है और बच्चा जन्म देती है। हिंदी में इसे अक्सर “किराए की कोख” या “प्रतिस्थापन मातृत्व” भी कहा जाता है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब कोई दंपत्ति प्राकृतिक तरीके से बच्चा पैदा नहीं कर सकता। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे– बांझपन (Infertility), गर्भाशय से जुड़ी समस्या, बार-बार गर्भपात होना, या ऐसी स्वास्थ्य स्थिति जिसमें महिला के लिए गर्भधारण करना सुरक्षित नहीं होता। सरोगेसी में डॉक्टर इच्छुक माता-पिता के अंडाणु (Egg) और शुक्राणु (Sperm) लेकर लैब में भ्रूण (Embryo) तैयार करते हैं। फिर यह भ्रूण सरोगेट मां (जो गर्भ धारण करेगी) के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। सरोगेट मां नौ महीने तक गर्भ धारण करती है और जन्म के बाद बच्चा इच्छुक माता-पिता को सौंप देती है।भारत में सरोगेसी कानून (Surrogacy Law in India) लागू है। 2021 के कानून के अनुसार, केवल परिवार या परोपकारी (Altruistic Surrogacy) की अनुमति है। यानी सरोगेट मां को केवल मेडिकल खर्च और गर्भ से जुड़ी जरूरतों की पूर्ति दी जाती है, किसी तरह का व्यावसायिक भुगतान नहीं किया जा सकता। सरोगेसी के बारे में सरोगेसी एक ऐसी आधुनिक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें एक महिला (जिसे सरोगेट माँ कहा जाता है) किसी अन्य दंपत्ति या व्यक्ति के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है। यह प्रक्रिया उन दंपत्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो किसी कारणवश प्राकृतिक रूप से संतान प्राप्त नहीं कर पाते। सरोगेसी से ऐसे दंपत्तियों के सपने पूरे होते हैं, जो लंबे समय से माता-पिता बनने की इच्छा रखते हैं। सरोगेसी की प्रक्रिया में इच्छुक माता-पिता (Intended Parents) के अंडाणु (Eggs) और शुक्राणु (Sperm) को मिलाकर भ्रूण (Embryo) बनाया जाता है। यह भ्रूण फिर सरोगेट माँ की गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे का जैविक संबंध (Biological Connection) इच्छुक माता-पिता से ही होता है, सरोगेट माँ सिर्फ गर्भधारण और बच्चे को जन्म देने की भूमिका निभाती है। भारत में सरोगेसी कई परिवारों की उम्मीद बन चुकी है। जिन दंपत्तियों को बार-बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह प्रक्रिया एक नई शुरुआत का रास्ता खोलती है। यह केवल एक चिकित्सा तकनीक नहीं है, बल्कि प्यार, विश्वास और उम्मीद का सुंदर संगम है। सरोगेसी के दौरान कानूनी औपचारिकताओं का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि भारत में अब सरोगेसी को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं। साल 2021 में लागू हुए सरोगेसी (नियमन) अधिनियम के तहत केवल अल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी की अनुमति है, जिसका मतलब है कि सरोगेट माँ को केवल मेडिकल खर्च और बीमा का भुगतान किया जाता है, न कि अलग से आर्थिक मुआवज़ा। इस नियम का उद्देश्य सरोगेसी प्रक्रिया को सुरक्षित, पारदर्शी और नैतिक बनाए रखना है। सरोगेसी न सिर्फ़ एक चिकित्सा प्रक्रिया है, बल्कि यह उन दंपत्तियों की ज़िंदगी में नई रोशनी और खुशियों का नया अध्याय लेकर आती है। यह एक भावनात्मक सफर है, जहाँ इच्छुक माता-पिता, डॉक्टर और सरोगेट माँ सभी की अहम भूमिका होती है। सही मार्गदर्शन, सही क्लिनिक और सही देखभाल के साथ, सरोगेसी से लाखों परिवारों के सपने साकार हो रहे हैं। सरोगेसी आज माता-पिता बनने की चाह रखने वालों के लिए एक उम्मीद की किरण है। यह केवल विज्ञान की देन नहीं है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं, प्यार और विश्वास का एक सुंदर प्रतीक है, जो परिवारों को जोड़ता है और अधूरे सपनों को पूरा करता है। सरोगेसी क्या है (what is Surrogacy in Hindi)? सरोगेसी निस्संतान दंपती के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, इस प्रक्रिया के तहत उनको जीवन जीने की नयी दिशा मिल जाती है. यदि हम सरोगेसी के पुरे खर्च को देखे तो इस बात को कहने से कोई दोहराये नहीं है की सरोगेसी का खर्च अन्य निस्संतान उपचार या दवा की तुलना से दोगुना या तिगुना है, लेकिन इसकी किसी अन्य चिकित्सीय दर से नहीं की जा सकती क्युकी सरोगेसी की सफलता दर आसमान छू रही है अब आपको स्पस्ट हो गया होगा की सरोगेसी अन्य महिला और एक दम्पति के बिच में किया गया अनुबंधन है जो खुद का बच्चा चाहते है। यह प्रकिर्या उन माता-पिता के लिए लाभकारी है जो किसी कारणवश खुद का बच्चा पैदा करने में समर्थ नहीं है जो महिला अपने कोख में अन्य दम्पति के बच्चे को ९ महीने के लिए पलटी है, उसको सरोगेट मदर कहते है और जो दम्पति सुररोगस्य प्रकिर्या को चुनते है, वह इन्टेन्डेड कपल या बच्चे के बायोलॉजिकल माता-पिता कहलाते है सरोगेसी के प्रकार (Surrogacy Types in Hindi) सरोगेसी दो प्रकार की होती है ट्रेडिशनल सरोगेसी क्या है ट्रेडिशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर कार्यविधि के लिए स्वयं के अंडो का उपयोग करती है, यह सरोगेसी तकनीक आईयूआई के जरिये पूर्ण करा जाता है। ट्रेडिशनल सरोगेसी में एक पुरुष या पिता शिशु का आनुवंशिक या जेनेटिक सम्बन्ध होता है इस सरोगेसी प्रकिर्या में सरोगेट मदर का उस बच्चे के साथ इमोशनल अटैचमेंट हो जाता है और नए जन्मे बच्चे को जोड़े को सौंपते हुए जटिल स्तिथि पैदा कर देता है। सरोगेसी का आसान मतलब और प्रक्रिया क्या है? सरोगेसी एक प्रक्रिया है जिसमें किसी महिला (जिसे सरोगेट मां कहा जाता है) की मदद से किसी अन्य कपल का बच्चा पैदा किया जाता है। यह उन दंपतियों के लिए उपयोगी है जो किसी वजह से खुद से बच्चा नहीं पैदा कर सकते। इसे समझना आसान है – अगर आप अपने बच्चे को जन्म नहीं दे सकते तो आप किसी दूसरी महिला की मदद लेते हैं। सरोगेसी दो तरह की होती है: सरोगेसी की प्रक्रिया बहुत आसान और सुरक्षित है: सरोगेसी की कानूनी प्रक्रिया और नियम भारत में सरोगेसी को सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 के तहत नियंत्रित किया गया है। इस कानून का उद्देश्य सरोगेसी प्रक्रिया को सुरक्षित, कानूनी और नैतिक बनाना है। 1. इंटेंडेड पैरेंट्स की पात्रता 2. सरोगेट मदर की पात्रता 3. कानूनी प्रक्रिया 4. निषिद्ध गतिविधियां 5. सरकारी सुरक्षा और निगरानी गेस्टेशनल सरोगेसी क्या है अब अगर हम गेस्टेशनल सरोगेसी की बात करे तो, इस सरोगेसी में माता और पिता दोनों इन बच्चे से जेनेटिक और बायोलॉजिकल रूप से संग्लग्न होते है क्युकी…
