आईवीएफ प्रक्रिया क्या है? जानिए स्टेप बाय स्टेप तरीका और जरूरी जानकारी
June 30, 2025आईवीएफ क्या होता है? पूरी जानकारी हिंदी में
July 1, 2025आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में निःसंतानता (Infertility) एक आम चुनौती बन गई है। कई दंपत्ति वर्षों तक प्रयास करने के बाद भी संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। लेकिन चिकित्सा विज्ञान ने ऐसी कई तकनीकें विकसित की हैं, जो दंपत्तियों को माता-पिता बनने की नई आशा देती हैं। इनमें से दो प्रमुख तकनीकें हैं — आईयूआई (IUI) और आईवीएफ (IVF)।
बहुत से लोग इन दोनों शब्दों को सुनकर भ्रमित हो जाते हैं। कुछ को लगता है कि दोनों एक ही प्रक्रिया है, जबकि वास्तव में दोनों में कई बुनियादी अंतर होते हैं — जैसे प्रक्रिया का तरीका, खर्च, सफलता दर, और उपचार का उद्देश्य।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आईयूआई और आईवीएफ में क्या अंतर है, दोनों कैसे काम करती हैं, किस स्थिति में कौन-सी प्रक्रिया बेहतर मानी जाती है, और दोनों के फायदे-नुकसान क्या हैं।

सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं…
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- प्रजनन उपकरणों की उपलब्धता और कार्यक्षमता।
- IUI, ICSI जैसी अन्य ART तकनीकों और अंडे और शुक्राणु को फ्रीज करने जैसी प्रक्रिया की उपलब्धता।
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आईयूआई क्या है?
(इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन)
आईयूआई का पूरा नाम है — इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन (Intrauterine Insemination)। यह एक सरल और कम खर्चीली तकनीक है, जिसमें पुरुष के शुक्राणुओं को साफ़ करके सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। इसका उद्देश्य यह होता है कि शुक्राणु अंडाणु के अधिक करीब पहुंचे और निषेचन की संभावना बढ़े।
इस प्रक्रिया में महिला के मासिक चक्र के अनुसार अंडाणु की परिपक्वता देखी जाती है, और उसी समय पर विशेष उपकरण से शुक्राणु को गर्भाशय में प्रविष्ट कराया जाता है। यदि अंडाणु और शुक्राणु सही समय पर मिल जाते हैं, तो गर्भधारण संभव होता है।
आईयूआई प्रक्रिया दर्दरहित होती है और इसे क्लिनिक में कुछ मिनटों में किया जा सकता है।
आईवीएफ क्या है?
(इन विट्रो फर्टिलाइजेशन)
आईवीएफ का पूरा नाम है — इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization)। यह एक अधिक जटिल, तकनीकी और महंगी प्रक्रिया है। इसमें महिला के शरीर से अंडाणु निकाले जाते हैं और पुरुष के शुक्राणुओं के साथ लैब में निषेचित किए जाते हैं। जब भ्रूण बन जाता है, तो उसे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।
यह प्रक्रिया उन दंपत्तियों के लिए होती है जिनके केस में सामान्य गर्भधारण संभव नहीं होता, जैसे:
- फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना
- गंभीर पुरुष बाँझपन
- हार्मोनल गड़बड़ी
- पीसीओएस
- एंडोमेट्रियोसिस
- उम्र संबंधी बांझपन
आईवीएफ एक नियंत्रित प्रक्रिया है और सफलता की संभावना आईयूआई की तुलना में अधिक होती है।
आईयूआई क्या होता है और यह कैसे काम करता है?
आईयूआई यानी इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन एक सरल और सामान्य प्रजनन तकनीक है, जिसका उपयोग उन दंपत्तियों में किया जाता है जिन्हें गर्भधारण में कठिनाई हो रही हो। इस प्रक्रिया में पुरुष के शुक्राणुओं को पहले साफ़ किया जाता है और उनकी गति और गुणवत्ता को बढ़ाया जाता है। इसके बाद उन्हें एक पतली नली की मदद से महिला के गर्भाशय (यूटरस) में सीधा डाला जाता है।
इसका उद्देश्य यह होता है कि शुक्राणु को अंडाणु के अधिक करीब पहुंचाया जाए ताकि प्राकृतिक रूप से निषेचन (फर्टिलाइजेशन) होने की संभावना बढ़ सके। इस प्रक्रिया के दौरान महिला के अंडाशय (ओवरी) की निगरानी की जाती है, और जब अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तब डॉक्टर उचित समय पर शुक्राणु स्थानांतरित करते हैं।
आईयूआई का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बिना ऑपरेशन और बिना किसी दर्द के, केवल कुछ मिनटों में क्लिनिक में ही पूरी की जा सकती है। यह उन महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है जिनकी फॉलोपियन ट्यूब खुली हुई होती है और जिनका मासिक धर्म चक्र नियमित होता है।
यह प्रक्रिया बहुत ही सहज होती है, लेकिन इसमें सफलता के लिए सही समय, परिपक्व अंडाणु, और स्वस्थ शुक्राणु की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यदि पहले प्रयास में सफलता न मिले, तो डॉक्टर 2–3 आईयूआई चक्रों की सलाह दे सकते हैं।
आईवीएफ क्या होता है और यह कैसे काम करता है?
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत प्रजनन तकनीक है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब अन्य सभी प्राकृतिक या सरल तरीकों से गर्भधारण संभव नहीं हो पा रहा हो। इसमें अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन महिला के शरीर के बाहर, एक विशेष प्रयोगशाला में किया जाता है।
आईवीएफ प्रक्रिया की शुरुआत हार्मोनल दवाओं और इंजेक्शन से होती है, जो महिला के अंडाशय को उत्तेजित करते हैं ताकि एक साथ कई अंडाणु विकसित हो सकें। जब ये अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तब डॉक्टर एक सूक्ष्म सुई की मदद से उन्हें बाहर निकालते हैं। इसी समय पुरुष से भी शुक्राणु लिए जाते हैं।
इसके बाद लैब में अंडाणु और शुक्राणु को एक साथ रखा जाता है ताकि वे आपस में मिलकर भ्रूण का निर्माण करें। कुछ दिनों तक भ्रूण को लैब में विकसित होने दिया जाता है। जब भ्रूण अच्छे से बन जाता है, तब उसे महिला के गर्भाशय में एक पतली नली द्वारा प्रत्यारोपित किया जाता है।
अगर भ्रूण गर्भाशय की दीवार में सफलतापूर्वक चिपक जाए, तो महिला गर्भवती हो जाती है। इस प्रक्रिया में कई बार एडवांस तकनीकों का उपयोग भी किया जाता है जैसे कि:
- भ्रूण की गुणवत्ता जांच (PGD/PGS)
- भ्रूण फ्रीजिंग
- डोनेटेड अंडाणु या शुक्राणु
आईवीएफ प्रक्रिया लंबी और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण होती है, लेकिन यह उन दंपत्तियों के लिए एक आशा की किरण है जो वर्षों से संतान के लिए प्रयासरत हैं। इसके माध्यम से लाखों परिवारों में खुशियां लौटी हैं।
आईवीएफ कराने से पहले कौन-कौन से टेस्ट होते हैं?
1. महिला के लिए ज़रूरी टेस्ट:
AMH (Anti-Müllerian Hormone) टेस्ट
यह टेस्ट बताता है कि महिला के अंडाशय (ovary) में कितने अंडाणु (eggs) बचे हैं। इसे ओवरी रिज़र्व टेस्ट भी कहते हैं। AMH की मात्रा IVF की सफलता को प्रभावित करती है।
FSH (Follicle Stimulating Hormone) टेस्ट
यह हार्मोन अंडाणु बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। यदि FSH का स्तर बहुत ज़्यादा है, तो अंडाणु की क्वालिटी और संख्या कम हो सकती है।
LH, Estradiol और Prolactin टेस्ट
यह हार्मोन महिला की ओवुलेशन साइकिल को कंट्रोल करते हैं। IVF से पहले इनका बैलेंस ज़रूरी होता है।
Pelvic Ultrasound (TVS)
अल्ट्रासाउंड से यह देखा जाता है कि अंडाशय और गर्भाशय की स्थिति कैसी है — अंडाणु बन रहे हैं या नहीं, और गर्भाशय में कोई गांठ (fibroid), पोलिप या थिकनेस की दिक्कत तो नहीं।
HSG (Hysterosalpingography) या SIS टेस्ट
यह टेस्ट दिखाता है कि फैलोपियन ट्यूब्स खुली हैं या बंद। IVF में ये जरूरी नहीं होता, लेकिन कुछ केस में डॉक्टर देखते हैं कि ट्यूब से कोई fluid गर्भाशय में तो नहीं आ रहा।
Thyroid Function Test और Blood Sugar
थायरॉइड असंतुलन और डायबिटीज IVF में रुकावट बन सकते हैं, इसलिए इनकी जांच भी ज़रूरी होती है।
2. पुरुष के लिए ज़रूरी टेस्ट:
Semen Analysis (वीर्य परीक्षण)
स्पर्म की संख्या, गति (motility), आकार और जीवित स्पर्म की संख्या देखी जाती है। यह IVF के लिए सबसे जरूरी टेस्ट होता है।
Sperm DNA Fragmentation Test
यह टेस्ट दिखाता है कि स्पर्म का DNA कितना स्वस्थ है। अगर DNA में ज़्यादा डैमेज हो तो ICSI या डोनर स्पर्म की जरूरत हो सकती है।
HIV, Hepatitis B & C, VDRL (STD टेस्ट)
दोनों पार्टनर को ये टेस्ट करवाने होते हैं ताकि संक्रमण का खतरा न हो।
कपल के लिए ब्लड ग्रुप और Genetic Test
कुछ मामलों में Thalassemia या अन्य जेनेटिक बीमारियों की जांच की जाती है, खासकर अगर परिवार में हिस्ट्री हो। Blood group mismatch और Rh factor भी IVF में मायने रखते हैं।
आईयूआई और आईवीएफ में क्या अंतर है?
अब आइए विस्तार से दोनों तकनीकों के बीच के मुख्य अंतर जानें:
1. प्रक्रिया की जटिलता
आईयूआई:
यह एक सरल प्रक्रिया है। इसमें अंडाणु शरीर के भीतर ही विकसित होता है और निषेचन भी प्राकृतिक रूप से शरीर में ही होता है। डॉक्टर सिर्फ शुक्राणु को सीधे गर्भाशय में स्थानांतरित करते हैं।
आईवीएफ:
यह अधिक जटिल तकनीक है। इसमें अंडाणु को शरीर से बाहर निकाला जाता है, फिर लैब में निषेचन किया जाता है, और फिर भ्रूण को गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
2. शुक्राणु और अंडाणु का मिलन
आईयूआई:
शरीर के अंदर प्राकृतिक रूप से होता है।
आईवीएफ:
शरीर के बाहर लैब में किया जाता है।
3. उपचार की अवधि
आईयूआई:
इसमें कम समय लगता है। आमतौर पर 1 से 2 सप्ताह में पूरा हो जाता है।
आईवीएफ:
इसकी प्रक्रिया लंबी होती है, जिसमें हार्मोनल इंजेक्शन, अंडाणु संग्रह, भ्रूण ट्रांसफर आदि चरण होते हैं। इसमें 4–6 सप्ताह लग सकते हैं।
4. खर्च (Cost)
आईयूआई:
कम खर्चीली प्रक्रिया है। एक साइकिल का खर्च लगभग ₹8,000 से ₹20,000 तक हो सकता है।
आईवीएफ:
यह महंगी प्रक्रिया है। एक साइकिल का खर्च ₹1,20,000 से ₹2,50,000 तक हो सकता है। अगर एडवांस तकनीकें इस्तेमाल हों, तो खर्च और भी बढ़ सकता है।
5. सफलता दर (Success Rate)
आईयूआई:
प्रत्येक चक्र में सफलता दर 10–15% होती है। यह महिला की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।
आईवीएफ:
प्रत्येक चक्र में सफलता दर 40–60% तक हो सकती है, विशेषकर यदि महिला की उम्र 35 से कम हो।
6. किसे किया जाता है लागू?
आईयूआई:
- हल्के पुरुष बांझपन
- अनियमित ओवुलेशन
- सर्वाइकल म्यूकस की समस्या
- बिना कारण बांझपन
आईवीएफ:
- फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक
- गंभीर पुरुष बांझपन
- बार-बार आईयूआई असफल होना
- उम्र से संबंधित समस्याएं
- एंडोमेट्रियोसिस या पीसीओडी
7. गर्भधारण की प्रकृति
आईयूआई:
यह प्राकृतिक गर्भधारण के समान होता है, क्योंकि निषेचन शरीर में होता है।
आईवीएफ:
यह कृत्रिम गर्भधारण होता है, क्योंकि निषेचन लैब में होता है।
कौन-सी तकनीक आपके लिए सही है?
यह निर्णय कई बातों पर निर्भर करता है:
- आपकी उम्र
- बांझपन का कारण
- पिछली चिकित्सा का परिणाम
- हार्मोनल स्थिति
- मेडिकल हिस्ट्री
अक्सर डॉक्टर पहले आईयूआई से शुरुआत करते हैं और यदि यह सफल नहीं होता, तो बाद में आईवीएफ की सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में सीधे आईवीएफ शुरू करना अधिक फायदेमंद होता है, खासकर यदि महिला की उम्र अधिक हो या फॉलोपियन ट्यूब में रुकावट हो।
आईयूआई के फायदे और नुकसान
फायदे:
- प्रक्रिया आसान है
- दर्दरहित
- सस्ती
- जल्दी की जा सकती है
नुकसान:
- सफलता दर कम
- सीमित मामलों में ही प्रभावी
- कई चक्रों की जरूरत पड़ सकती है
आईवीएफ के फायदे और नुकसान
फायदे:
- जटिल मामलों में भी संभव
- सफलता दर अधिक
- भ्रूण जांच (PGD) जैसी एडवांस सुविधाएं
नुकसान:
- प्रक्रिया लंबी
- खर्च अधिकww
- दवाओं के साइड इफेक्ट्स
5. यह एक साझी सफलता होती है
जब बच्चा होता है, तो वो सिर्फ महिला की नहीं, बल्कि दोनों की जीत होती है।
IVF के दौरान जो पति सिर्फ दर्शक बनकर नहीं, बल्कि सहभागी बनते हैं — वो केवल एक पिता नहीं, बल्कि सच्चे जीवनसाथी बन जाते हैं।
निष्कर्ष:
IVF के सफर में हार्मोन, तकनीक और डॉक्टर तो मदद करते हैं, लेकिन सच्चा सहारा वो होता है जो रोज़ साथ खड़ा रहे — बिना शिकायत, बिना दूरी, बस पूरी नर्मी और प्यार से। पति-पत्नी का आपसी सहयोग ही IVF को सफल, सुरक्षित और भावनात्मक रूप से संतुलित बना सकता है।
भारत में IVF लागत का विवरण
परामर्श शुल्क: यह बांझ दंपतियों और प्रजनन विशेषज्ञ के बीच चर्चा है। भारत में परामर्श की औसत लागत ₹500 से ₹2000 के बीच है। हालाँकि, IVF से पहले आवश्यक परामर्शों की संख्या के आधार पर लागत बढ़ सकती है।
दवा शुल्क: IVF प्रक्रिया में अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाओं और भ्रूण स्थानांतरण के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। इसलिए IVF के लिए आवश्यक दवाओं और खुराक की लागत प्रति चक्र लगभग ₹15000 से ₹60000 हो सकती है।
अंडा पुनर्प्राप्ति और भ्रूण निर्माण: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय से अंडे को निकालना है, और भ्रूण निर्माण एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और शुक्राणु का संयोजन है जिससे भ्रूण बनता है। इस चरण की लागत लगभग 50000 से 100000 रुपये है।
भ्रूण स्थानांतरण: गर्भावस्था को विकसित करने के लिए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। तो, इस कारक के लिए, 15000 से 30000 रुपये की आवश्यकता होती है, और यह वास्तविक लागत है।
पीजीडी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) और (इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन): पीजीडी और आईसीएसआई दो अतिरिक्त प्रक्रियाएं हैं जो आनुवंशिक मुद्दों और पुरुष बांझपन जैसे मामलों में फायदेमंद हैं। यह कारक 50000 से 100000 के बीच होता है।
निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है:
भारत में IVF उपचार के प्रकार | भारत में IVF उपचार की लागत (INR) |
भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 1,50,000 |
भारत में ICSI के साथ IVF की लागत | INR 1,65,000-1,85,000 |
भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत | INR 2,06,000-3,00,000 |
भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000 |
भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000-2,20,000 |
भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत | INR 2,05,000-3,00,000 |
भारत में PGD तकनीक के साथ IVF की लागत | INR 3,00,000 |
नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:
आईवीएफ अलग स्थान पर | भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत |
दिल्ली में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
मुंबई में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹354000 |
बैंगलोर में आईवीएफ लागत | ₹155000 – ₹365000 |
उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹138000 – ₹310000 |
उत्तराखंड में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
तेलंगाना में आईवीएफ लागत | ₹147000 – ₹310000 |
पंजाब में आईवीएफ लागत | ₹140900 – ₹310000 |
मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
ओडिशा में आईवीएफ लागत | ₹126000 – ₹310000 |
राजस्थान में आईवीएफ लागत | ₹154000 – ₹310000 |
झारखंड में आईवीएफ लागत | ₹142000 – ₹310000 |
बिहार में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
असम में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
गुजरात में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
भारत में IVF की सफलता दर
भारत में 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए औसत IVF सफलता दर प्रति चक्र लगभग 50% से 65% है। बढ़ती उम्र के साथ सफलता दर कम होती जाती है। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि जोड़े की उम्र, खास तौर पर महिलाओं की, IVF की सफलता प्राप्त करने के लिए शामिल IVF प्रयासों की संख्या, उन्नत तकनीक और नवीनतम तकनीकों का उपयोग जो सफलता दर को बढ़ा सकते हैं, और प्रजनन डॉक्टरों या IVF विशेषज्ञों का अनुभव और विशेषज्ञता.
एक अच्छे फर्टिलिटी सेंटर को कैसे चुनें आईवीएफ के लिए?
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सेलेक्ट आईवीएफ (Select IVF) क्यों चुनें?
जब बात संतान सुख की हो, तो हर दंपति यही चाहता है कि वह एक ऐसे क्लिनिक का चयन करें जो न केवल तकनीकी रूप से सक्षम हो, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उनका साथ दे। Select IVF एक ऐसा ही नाम है जिस पर हजारों परिवारों ने विश्वास किया है और अपनी खुशियों की नई शुरुआत की है।
Select IVF वर्षों से भारत और विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाली फर्टिलिटी सेवाएं दे रहा है। यहां काम करने वाली डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम केवल मेडिकल एक्सपर्ट नहीं है, बल्कि वो लोग हैं जो मरीज की भावनाओं को समझते हैं और हर कदम पर उन्हें सहयोग देते हैं। चाहे पहली बार परामर्श हो या अंतिम एम्ब्रियो ट्रांसफर, यहां हर प्रक्रिया को अत्यधिक सावधानी और ईमानदारी से पूरा किया जाता है।
यहां की सबसे बड़ी ताकत है – व्यक्तिगत ट्रीटमेंट प्लान, मतलब हर मरीज की हालत, उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इलाज तय किया जाता है। Select IVF में किसी एक ही फॉर्मूले से सभी मरीजों का इलाज नहीं होता, बल्कि यहां इलाज को पूरी तरह पर्सनलाइज किया जाता है।
तकनीकी रूप से भी यह क्लिनिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहां ICSI, IUI, Egg Donation, Embryo Freezing, PESA, TESA और Surrogacy जैसी सभी प्रमुख प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, सभी टेस्ट और स्कैनिंग सुविधाएं भी एक ही छत के नीचे मिल जाती हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
Select IVF की एक और खूबी है – पारदर्शिता। यहां किसी भी तरह की छिपी हुई फीस नहीं होती। हर खर्च और हर प्रक्रिया को पहले से समझाया जाता है ताकि मरीज मानसिक रूप से तैयार हो सके। यही कारण है कि यहां आने वाले मरीज केवल भारत से ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका, नाइजीरिया और अफ्रीका जैसे कई देशों से भी आते हैं।
Select IVF सिर्फ एक फर्टिलिटी क्लिनिक नहीं, बल्कि एक भरोसा है, जो हर दंपति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करता है।
निष्कर्ष
आईयूआई और आईवीएफ दोनों ही तकनीकें संतान प्राप्ति की दिशा में वरदान साबित हुई हैं।
आईयूआई एक सरल, सस्ती और शुरुआती इलाज है, जबकि आईवीएफ एक उन्नत और जटिल प्रक्रिया है जो उन मामलों में की जाती है जहाँ सामान्य प्रयास असफल हो जाते हैं।
आपके लिए कौन-सी प्रक्रिया सही है — यह डॉक्टर की सलाह, आपके स्वास्थ्य, उम्र और स्थिति पर निर्भर करता है। सही समय पर सही फैसला और योग्य विशेषज्ञ का मार्गदर्शन ही इस सफर को सफल बना सकता है।
सामान्य सवाल-जवाब (FAQs): आईयूआई और आईवीएफ में क्या अंतर है?
आईयूआई और आईवीएफ में सबसे बड़ा अंतर क्या है?
आईयूआई और आईवीएफ दोनों ही गर्भधारण में सहायता करने वाली तकनीकें हैं, लेकिन इनकी प्रक्रिया और जटिलता में बड़ा अंतर है।
आईयूआई में पुरुष के शुक्राणु को महिला के गर्भाशय में सीधे डाला जाता है और निषेचन शरीर के अंदर ही होता है।
वहीं आईवीएफ में अंडाणु और शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में मिलाया जाता है, जिससे भ्रूण बनता है और फिर उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
इस तरह, आईयूआई एक सरल प्रक्रिया है जबकि आईवीएफ अधिक उन्नत और तकनीकी प्रक्रिया है।
खर्च के मामले में कौन-सी प्रक्रिया सस्ती है?
खर्च के दृष्टिकोण से देखा जाए तो आईयूआई एक कम खर्चीली प्रक्रिया है, जिसका प्रति चक्र खर्च लगभग ₹10,000 से ₹20,000 तक हो सकता है।
इसके विपरीत, आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है, जिसमें एक चक्र का खर्च ₹1,20,000 से ₹2,50,000 या उससे अधिक हो सकता है।
इसलिए डॉक्टर अक्सर पहले आईयूआई की सलाह देते हैं और यदि वह सफल न हो तो आईवीएफ की ओर बढ़ते हैं।
किसकी सफलता दर अधिक होती है — आईयूआई या आईवीएफ?
सफलता दर की बात करें तो आईवीएफ की सफलता दर आईयूआई से कहीं अधिक होती है।
आईयूआई की सफलता दर प्रत्येक चक्र में लगभग 10% से 20% के बीच होती है, जबकि आईवीएफ की सफलता दर महिला की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करते हुए 40% से 60% या अधिक हो सकती है।
आईवीएफ में भ्रूण की गुणवत्ता जांचने और चयन करने की सुविधा होती है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
किस प्रक्रिया में समय कम लगता है?
आईयूआई में समय कम लगता है। यह प्रक्रिया ओवुलेशन (अंडोत्सर्ग) के आसपास 1–2 बार क्लिनिक विजिट में पूरी हो जाती है और किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती।
आईवीएफ में अधिक समय लगता है, क्योंकि इसमें कई चरण होते हैं — जैसे हार्मोनल दवाएं, अंडाणु संग्रह, लैब में निषेचन, भ्रूण विकास और भ्रूण स्थानांतरण।
इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 3 से 6 सप्ताह तक का समय लग सकता है।
आईयूआई किसके लिए उपयुक्त होती है?
आईयूआई उन दंपत्तियों के लिए उपयुक्त होती है:
जिनमें पुरुष का शुक्राणु थोड़ी मात्रा में कमजोर हो
महिला की फॉलोपियन ट्यूब खुली हों
ओवुलेशन अनियमित हो
सर्वाइकल म्यूकस में बाधा हो
और उन मामलों में जहां कोई विशेष कारण नहीं मिल रहा हो (अनएक्सप्लेंड इंफर्टिलिटी)
यह एक प्रारंभिक विकल्प है, जो आसान और सस्ता होता है।
आईवीएफ कब किया जाता है?
आईवीएफ उन मामलों में किया जाता है जहां:
महिला की फॉलोपियन ट्यूब बंद हो या क्षतिग्रस्त हो
पुरुष में गंभीर शुक्राणु समस्या हो
महिला को पीसीओएस या एंडोमेट्रियोसिस हो
कई बार आईयूआई विफल हो चुकी हो
महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक हो
पहले गर्भपात या असफल गर्भधारण हो चुका हो