आईवीएफ फेल होने के बाद क्या करें? जानिए अगला कदम और जरूरी सुझाव
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आईवीएफ प्रेगनेंसी सामान्य गर्भधारण से कुछ अलग होती है क्योंकि इसमें भ्रूण (एंब्रियो) महिला के शरीर के बाहर प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है और फिर उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तकनीक न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों में भी शुक्राणु की कमी की स्थिति में कारगर सिद्ध होती है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है, इसकी प्रक्रिया कैसे होती है, किन लोगों को इसकी आवश्यकता होती है, इसमें कितनी सफलता मिलती है, इसके फायदे और नुकसान क्या हैं, और इसके दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं…
- निःशुल्क परामर्श की उपलब्धता
- IVF के लिए आसमान छूती सफलता दर
- IVF के लिए सस्ती लागत
- प्रजनन उपकरणों की उपलब्धता और कार्यक्षमता।
- IUI, ICSI जैसी अन्य ART तकनीकों और अंडे और शुक्राणु को फ्रीज करने जैसी प्रक्रिया की उपलब्धता।
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आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है?
आईवीएफ एक कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। जब यह निषेचन (फर्टिलाइजेशन) सफल हो जाता है, तो जो भ्रूण बनता है उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
इस प्रक्रिया से गर्भधारण की संभावना तब भी बनी रहती है जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव नहीं होता, जैसे फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना, पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस, पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी, या अज्ञात कारणों से गर्भ न ठहरना।
आईवीएफ की प्रक्रिया (चरण दर चरण)
आईवीएफ प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है:
1. हार्मोनल दवाइयों द्वारा अंडाणु उत्पादन
महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके अंडाशय में एक से अधिक अंडाणु विकसित हो सकें। इस प्रक्रिया को “ओवेरियन स्टिमुलेशन” कहते हैं।
2. अंडाणु संग्रह (एग रिट्रीवल)
जब अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तो डॉक्टर एक छोटी सर्जरी द्वारा अंडाशय से अंडाणु निकाल लेते हैं।
3. शुक्राणु संग्रह
पुरुष के वीर्य से शुक्राणु निकाले जाते हैं। यदि पुरुष में शुक्राणु न हों तो टीईएसए/पीईएसए जैसी तकनीकों से भी लिया जा सकता है।
4. निषेचन (फर्टिलाइजेशन)
अंडाणु और शुक्राणु को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है और भ्रूण बनने तक निगरानी की जाती है।
5. भ्रूण स्थानांतरण (एंब्रियो ट्रांसफर)
सर्वश्रेष्ठ भ्रूण को महिला के गर्भाशय में एक पतली नली के माध्यम से डाला जाता है।
6. गर्भ की पुष्टि
भ्रूण स्थानांतरण के लगभग 12-14 दिन बाद महिला का बीटा एचसीजी टेस्ट किया जाता है जिससे पता चलता है कि वह गर्भवती हुई है या नहीं।
किन लोगों को आईवीएफ की आवश्यकता होती है?
- जिन महिलाओं की फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो चुकी हो
- पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की समस्या होने पर
- एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित महिलाओं को
- जिन पुरुषों में शुक्राणु की संख्या बहुत कम हो
- जिनका निषेचन कई बार फेल हो चुका हो
- गंभीर यौन रोग वाले दंपति
- गर्भाशय में फाइब्रॉएड या कोई बनावट संबंधी समस्या हो
- जिनकी उम्र अधिक हो और गर्भधारण में कठिनाई हो रही हो
आईवीएफ प्रेगनेंसी के फायदे
- संतान प्राप्ति की आशा: जिन जोड़ों को प्राकृतिक रूप से संतान नहीं हो रही, उनके लिए आईवीएफ एक वरदान है।
- जेनेटिक बीमारियों से बचाव: PGD तकनीक द्वारा जेनेटिक बीमारियों से बचा जा सकता है।
- अकेली महिलाएं और समलैंगिक जोड़े भी इस प्रक्रिया से माता-पिता बन सकते हैं।
- फ्रीजिंग सुविधा: अंडाणु या भ्रूण को भविष्य के लिए फ्रीज किया जा सकता है।
आईवीएफ के कुछ संभावित नुकसान
- लागत अधिक: यह प्रक्रिया महंगी होती है, खासकर भारत के प्रमुख शहरों में।
- सफलता की गारंटी नहीं: पहली बार में गर्भधारण न भी हो सकता है।
- दवाइयों के दुष्प्रभाव: हार्मोनल दवाइयों के कारण सिरदर्द, मिज़ाज में बदलाव आदि हो सकते हैं।
- गर्भपात की संभावना: किसी भी प्रेगनेंसी की तरह आईवीएफ में भी गर्भपात हो सकता है।
- मल्टीपल प्रेगनेंसी: कभी-कभी दो या अधिक भ्रूण बनने से जुड़ी जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
आईवीएफ की सफलता दर
आईवीएफ की सफलता कई बातों पर निर्भर करती है:
- महिला की उम्र
- भ्रूण की गुणवत्ता
- अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता
- डॉक्टर और क्लिनिक का अनुभव
आमतौर पर 30 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में सफलता दर 40% तक होती है, जबकि 40 वर्ष की महिलाओं में यह दर घटकर 15-20% रह जाती है।
आईवीएफ प्रेगनेंसी में क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
- मानसिक तनाव न लें: मानसिक रूप से शांत रहें।
- डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें: दवाइयां समय पर लें।
- शारीरिक मेहनत से बचें: भारी सामान न उठाएं।
- सेहतमंद खानपान रखें: पौष्टिक आहार लें।
- नींद पूरी करें: कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
आईवीएफ प्रेगनेंसी के दौरान सामान्य गर्भ से क्या अंतर होता है?
आईवीएफ से गर्भवती महिला और सामान्य तरीके से गर्भवती महिला दोनों में कोई बड़ा अंतर नहीं होता, लेकिन आईवीएफ के दौरान शुरुआत में अधिक निगरानी की जाती है। पहले तीन महीने बहुत नाज़ुक होते हैं और डॉक्टर नियमित रूप से जाँच करते हैं।
भारत में आईवीएफ का खर्च
भारत में आईवीएफ का खर्च औसतन ₹1,00,000 से ₹2,50,000 प्रति चक्र हो सकता है। यदि किसी को कई चक्रों की आवश्यकता पड़े तो खर्च बढ़ सकता है। अन्य तकनीकों जैसे ICSI, PESA, TESA आदि के जुड़ने से लागत बढ़ती है।
आईवीएफ को लेकर आम भ्रांतियाँ
- आईवीएफ से बच्चे कमजोर होते हैं: गलत है, ये बच्चे भी सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं।
- आईवीएफ केवल अमीरों के लिए है: आज सरकारी योजनाओं और सस्ती क्लीनिकों के कारण यह मध्यम वर्ग के लिए भी संभव है।
- बार-बार फेल होता है: नई तकनीकों से सफलता दर काफी बढ़ चुकी है।
भारत में IVF लागत का विवरण
परामर्श शुल्क: यह बांझ दंपतियों और प्रजनन विशेषज्ञ के बीच चर्चा है। भारत में परामर्श की औसत लागत ₹500 से ₹2000 के बीच है। हालाँकि, IVF से पहले आवश्यक परामर्शों की संख्या के आधार पर लागत बढ़ सकती है।
दवा शुल्क: IVF प्रक्रिया में अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाओं और भ्रूण स्थानांतरण के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। इसलिए IVF के लिए आवश्यक दवाओं और खुराक की लागत प्रति चक्र लगभग ₹15000 से ₹60000 हो सकती है।
अंडा पुनर्प्राप्ति और भ्रूण निर्माण: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय से अंडे को निकालना है, और भ्रूण निर्माण एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और शुक्राणु का संयोजन है जिससे भ्रूण बनता है। इस चरण की लागत लगभग 50000 से 100000 रुपये है।
भ्रूण स्थानांतरण: गर्भावस्था को विकसित करने के लिए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। तो, इस कारक के लिए, 15000 से 30000 रुपये की आवश्यकता होती है, और यह वास्तविक लागत है।
पीजीडी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) और (इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन): पीजीडी और आईसीएसआई दो अतिरिक्त प्रक्रियाएं हैं जो आनुवंशिक मुद्दों और पुरुष बांझपन जैसे मामलों में फायदेमंद हैं। यह कारक 50000 से 100000 के बीच होता है।
निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है:
भारत में IVF उपचार के प्रकार | भारत में IVF उपचार की लागत (INR) |
भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 1,50,000 |
भारत में ICSI के साथ IVF की लागत | INR 1,65,000-1,85,000 |
भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत | INR 2,06,000-3,00,000 |
भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000 |
भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000-2,20,000 |
भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत | INR 2,05,000-3,00,000 |
भारत में PGD तकनीक के साथ IVF की लागत | INR 3,00,000 |
नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:
आईवीएफ अलग स्थान पर | भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत |
दिल्ली में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
मुंबई में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹354000 |
बैंगलोर में आईवीएफ लागत | ₹155000 – ₹365000 |
उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹138000 – ₹310000 |
उत्तराखंड में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
तेलंगाना में आईवीएफ लागत | ₹147000 – ₹310000 |
पंजाब में आईवीएफ लागत | ₹140900 – ₹310000 |
मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
ओडिशा में आईवीएफ लागत | ₹126000 – ₹310000 |
राजस्थान में आईवीएफ लागत | ₹154000 – ₹310000 |
झारखंड में आईवीएफ लागत | ₹142000 – ₹310000 |
बिहार में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
असम में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
गुजरात में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
भारत में IVF की सफलता दर
भारत में 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए औसत IVF सफलता दर प्रति चक्र लगभग 50% से 65% है। बढ़ती उम्र के साथ सफलता दर कम होती जाती है। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि जोड़े की उम्र, खास तौर पर महिलाओं की, IVF की सफलता प्राप्त करने के लिए शामिल IVF प्रयासों की संख्या, उन्नत तकनीक और नवीनतम तकनीकों का उपयोग जो सफलता दर को बढ़ा सकते हैं, और प्रजनन डॉक्टरों या IVF विशेषज्ञों का अनुभव और विशेषज्ञता.
एक अच्छे फर्टिलिटी सेंटर को कैसे चुनें आईवीएफ के लिए?
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सेलेक्ट आईवीएफ (Select IVF) क्यों चुनें?
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Select IVF वर्षों से भारत और विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाली फर्टिलिटी सेवाएं दे रहा है। यहां काम करने वाली डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम केवल मेडिकल एक्सपर्ट नहीं है, बल्कि वो लोग हैं जो मरीज की भावनाओं को समझते हैं और हर कदम पर उन्हें सहयोग देते हैं। चाहे पहली बार परामर्श हो या अंतिम एम्ब्रियो ट्रांसफर, यहां हर प्रक्रिया को अत्यधिक सावधानी और ईमानदारी से पूरा किया जाता है।
यहां की सबसे बड़ी ताकत है – व्यक्तिगत ट्रीटमेंट प्लान, मतलब हर मरीज की हालत, उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इलाज तय किया जाता है। Select IVF में किसी एक ही फॉर्मूले से सभी मरीजों का इलाज नहीं होता, बल्कि यहां इलाज को पूरी तरह पर्सनलाइज किया जाता है।
तकनीकी रूप से भी यह क्लिनिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहां ICSI, IUI, Egg Donation, Embryo Freezing, PESA, TESA और Surrogacy जैसी सभी प्रमुख प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, सभी टेस्ट और स्कैनिंग सुविधाएं भी एक ही छत के नीचे मिल जाती हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
Select IVF की एक और खूबी है – पारदर्शिता। यहां किसी भी तरह की छिपी हुई फीस नहीं होती। हर खर्च और हर प्रक्रिया को पहले से समझाया जाता है ताकि मरीज मानसिक रूप से तैयार हो सके। यही कारण है कि यहां आने वाले मरीज केवल भारत से ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका, नाइजीरिया और अफ्रीका जैसे कई देशों से भी आते हैं।
Select IVF सिर्फ एक फर्टिलिटी क्लिनिक नहीं, बल्कि एक भरोसा है, जो हर दंपति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करता है।
निष्कर्ष
आईवीएफ प्रेगनेंसी आज के समय में उन दंपतियों के लिए एक वरदान है, जो लंबे समय से संतान की राह देख रहे हैं। यह प्रक्रिया हालांकि थोड़ी जटिल और महंगी हो सकती है, लेकिन सही मार्गदर्शन, अनुभवी डॉक्टर और मानसिक सकारात्मकता से इसमें सफलता की संभावना भी बहुत अच्छी होती है।
यदि आप भी लंबे समय से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं और सफलता नहीं मिल रही, तो आईवीएफ आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस प्रक्रिया को लेकर किसी भी प्रकार का संकोच न रखें और योग्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
FAQs: सामान्य सवाल-जवाब
आईवीएफ क्या है और यह कैसे काम करता है?
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर एक लैब में मिलाया जाता है। जब दोनों का मिलन सफल होता है और भ्रूण बनता है, तब उस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। यदि भ्रूण गर्भाशय में स्थापित हो जाता है, तो महिला गर्भवती हो जाती है। यह प्रक्रिया उन दंपतियों के लिए फायदेमंद होती है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाते।
क्या आईवीएफ से जन्मे बच्चे सामान्य होते हैं?
हाँ, आईवीएफ से जन्मे बच्चे पूरी तरह से सामान्य होते हैं। उनमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास वही होता है जो सामान्य गर्भधारण से जन्मे बच्चों में होता है। यह सिर्फ गर्भधारण का तरीका अलग होता है, बच्चा वैसा ही होता है जैसा किसी भी दंपति का प्राकृतिक रूप से हो सकता है। आजकल लाखों बच्चे आईवीएफ से जन्म ले चुके हैं और वे स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
आईवीएफ कितनी बार करवाया जा सकता है?
आईवीएफ प्रक्रिया को तब तक दोहराया जा सकता है जब तक महिला की उम्र, स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति इसकी अनुमति देती है। आमतौर पर 3 से 4 चक्र तक आज़माए जाते हैं। कुछ महिलाएं एक बार में गर्भवती हो जाती हैं, जबकि कुछ को दो-तीन प्रयासों की आवश्यकता होती है। हर चक्र के बीच डॉक्टर की सलाह और महिला की शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अंतर रखा जाता है।
आईवीएफ की सफलता दर क्या होती है?
आईवीएफ की सफलता दर महिला की उम्र, अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता, क्लिनिक की तकनीक और डॉक्टर की विशेषज्ञता पर निर्भर करती है। 30 वर्ष से कम उम्र में सफलता दर लगभग 40-45% होती है, जबकि 35 वर्ष के बाद यह घटकर 25-30% हो जाती है। 40 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में सफलता दर और भी कम हो सकती है। फिर भी, सही देखभाल और अनुभवी डॉक्टर के साथ सफलता के अच्छे मौके रहते हैं।
क्या आईवीएफ प्रक्रिया में दर्द होता है?
आईवीएफ प्रक्रिया में थोड़ा असहज महसूस हो सकता है, लेकिन इसे बहुत अधिक दर्दनाक नहीं कहा जा सकता। अंडाणु निकालने (एग रिट्रीवल) के दौरान हल्का बेहोशी दी जाती है जिससे दर्द महसूस नहीं होता। एंब्रियो ट्रांसफर पूरी तरह दर्दरहित होता है। हार्मोनल इंजेक्शन लेने पर कुछ महिलाएं हल्का सिरदर्द या थकावट महसूस कर सकती हैं, लेकिन यह अस्थायी होता है।
आईवीएफ के लिए उम्र सीमा क्या होती है?
आईवीएफ प्रक्रिया के लिए आदर्श उम्र महिला के लिए 23 से 35 वर्ष के बीच मानी जाती है। हालांकि, 40 वर्ष तक की महिलाएं भी इस प्रक्रिया का लाभ ले सकती हैं लेकिन सफलता दर घट जाती है। 45 वर्ष के बाद आईवीएफ मुश्किल हो सकता है, और आमतौर पर ऐसे मामलों में डोनर एग (दानी अंडाणु) की सलाह दी जाती है। पुरुषों के लिए उम्र की सीमा अधिक लचीली होती है।