Does Smoking Affect Male Fertility? Uncovering the Impact on Reproductive Health
July 2, 2025आईवीएफ का खर्च कितना है?
July 5, 2025आज के समय में बांझपन एक आम समस्या बन चुकी है, जिससे लाखों दंपति प्रभावित हो रहे हैं। जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव नहीं हो पाता, तब विज्ञान की मदद से चिकित्सा के कई रास्ते खुलते हैं। इन्हीं में से एक है आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन), एक तकनीक, जो निःसंतान दंपतियों को माता-पिता बनने का मौका देती है।
लेकिन जब कोई महिला आईवीएफ की प्रक्रिया से गुजरती है, तो सबसे बड़ा सवाल होता है — क्या यह प्रक्रिया सफल रही?
क्या भ्रूण गर्भाशय में सही से चिपका है? क्या प्रेगनेंसी हो चुकी है?
इन सभी सवालों का जवाब खून की जांच (बीटा HCG) से मिल सकता है, लेकिन उससे पहले शरीर कुछ संकेत देने लगता है जिन्हें हम “आईवीएफ सफलता के लक्षण” कहते हैं।
यह लेख उन्हीं लक्षणों को विस्तार से समझाने के लिए है, जिससे महिलाएं जान सकें कि उनका शरीर क्या संकेत दे रहा है।

सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं…
- निःशुल्क परामर्श की उपलब्धता
- IVF के लिए आसमान छूती सफलता दर
- IVF के लिए सस्ती लागत
- प्रजनन उपकरणों की उपलब्धता और कार्यक्षमता।
- IUI, ICSI जैसी अन्य ART तकनीकों और अंडे और शुक्राणु को फ्रीज करने जैसी प्रक्रिया की उपलब्धता।
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आईवीएफ प्रक्रिया के बाद क्या होता है?
आईवीएफ प्रक्रिया के अंतर्गत महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है, जिससे भ्रूण तैयार होता है। फिर उसे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।
अब यह भ्रूण गर्भाशय की दीवार में जाकर चिपकता है, जिसे “इंप्लांटेशन” कहा जाता है। यदि इंप्लांटेशन सफल होता है, तो महिला गर्भवती हो जाती है।
इस प्रक्रिया के 6 से 14 दिन के भीतर महिला के शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हालांकि ये लक्षण हर महिला में एक जैसे नहीं होते और कभी-कभी बिल्कुल भी महसूस नहीं होते, फिर भी सामान्य अनुभव को समझना ज़रूरी है।
आईवीएफ सफलता के शुरुआती लक्षण
1. हल्का रक्तस्राव (स्पॉटिंग)
आईवीएफ के सफल होने के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है हल्का खून आना या गुलाबी रंग का स्पॉटिंग।
यह गर्भाशय में भ्रूण के चिपकने के कारण होता है और इसे “इंप्लांटेशन ब्लीडिंग” कहा जाता है।
यह आमतौर पर भ्रूण ट्रांसफर के 6 से 10 दिन बाद होता है और कुछ ही घंटों या एक-दो दिन में बंद हो जाता है।
यह सामान्य प्रक्रिया है और डरने की कोई आवश्यकता नहीं होती।
2. पेट में हल्की ऐंठन या खिंचाव
जब भ्रूण गर्भाशय में चिपकता है, तो महिला के पेट के निचले हिस्से में हल्की ऐंठन या भारीपन जैसा महसूस हो सकता है।
यह लक्षण अक्सर पीरियड आने के पहले जैसा लगता है, लेकिन यह गर्भधारण का भी संकेत हो सकता है।
यह ऐंठन 2-3 दिनों तक बनी रह सकती है और यदि बहुत अधिक तेज़ न हो तो यह पूरी तरह सामान्य माना जाता है।
3. स्तनों में संवेदनशीलता
आईवीएफ प्रक्रिया के सफल होने के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं, खासकर प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ता है।
इसके कारण स्तनों में सूजन, भारीपन या हल्का दर्द महसूस हो सकता है।
निप्पल अधिक संवेदनशील हो सकते हैं और कभी-कभी उनमें झुनझुनी सी अनुभूति हो सकती है।
4. अत्यधिक थकान महसूस होना
प्रेगनेंसी की शुरुआत में शरीर तेजी से बदलता है, जिससे बहुत सारी ऊर्जा खर्च होती है।
महिला को सामान्य कामों में भी थकान महसूस हो सकती है।
सुबह उठने के बाद भी नींद पूरी नहीं लगती, हर समय सुस्ती बनी रहती है।
यह लक्षण प्रेगनेंसी के बहुत सामान्य और शुरुआती संकेतों में आता है।
5. बार-बार पेशाब आना
गर्भधारण के बाद शरीर में HCG नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो गर्भावस्था का संकेत होता है।
इसके प्रभाव से किडनी अधिक कार्य करने लगती है और महिला को बार-बार पेशाब आने की शिकायत होती है।
यह खासकर रात के समय ज़्यादा महसूस हो सकता है।
6. शरीर का तापमान बढ़ जाना
कुछ महिलाओं में गर्भधारण के बाद शरीर का बेसल तापमान हल्का बढ़ जाता है।
यह तापमान सुबह उठते ही मापा जा सकता है और लगातार कई दिनों तक यदि अधिक बना रहे तो यह सफलता का संकेत हो सकता है।
हालांकि यह मापन एकदम सटीक नहीं माना जाता, फिर भी यह एक सहायक लक्षण हो सकता है।
7. मूड स्विंग और भावनात्मक बदलाव
आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान हार्मोनल दवाओं के कारण भी मूड में बदलाव होते हैं, लेकिन यदि प्रक्रिया सफल रही हो तो गर्भधारण के कारण यह प्रभाव और भी गहरा हो सकता है।
महिला को बार-बार मूड बदलने, चिड़चिड़ापन, अचानक रोने का मन करना या किसी बात पर अत्यधिक भावुकता महसूस हो सकती है।
यह सब हार्मोनल परिवर्तन के संकेत हैं।
8. मतली और उल्टी जैसा महसूस होना
प्रेगनेंसी का एक जाना-पहचाना लक्षण है — मॉर्निंग सिकनेस।
यह लक्षण IVF के सफल होने के लगभग 10–15 दिन बाद शुरू हो सकता है।
महिला को सुबह के समय मतली आना, उल्टी जैसा लगना, भोजन से अरुचि या गंधों से परेशानी महसूस हो सकती है।
हर महिला में यह लक्षण नहीं होता, लेकिन यदि हो तो यह एक सकारात्मक संकेत माना जाता है।
9. भूख और स्वाद में बदलाव
गर्भधारण के बाद कुछ महिलाओं की भूख अचानक बढ़ जाती है, कुछ को मीठा या खट्टा खाने की इच्छा होती है।
वहीं कुछ महिलाओं को अपनी पसंदीदा चीजों से भी घृणा होने लगती है।
गंध और स्वाद में बदलाव गर्भधारण के सामान्य संकेतों में से एक है।
10. कब्ज और गैस की समस्या
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की अधिकता के कारण पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, जिससे कब्ज, गैस, पेट फूलना और भारीपन जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
यह असहजता वाली स्थिति हो सकती है, लेकिन यह भी गर्भावस्था का सामान्य संकेत है।
ये लक्षण हर किसी में क्यों नहीं होते?
यह समझना ज़रूरी है कि आईवीएफ के सफल होने के बाद सभी महिलाओं में यह लक्षण एक जैसे नहीं होते।
कुछ महिलाओं को बहुत सारे लक्षण महसूस होते हैं, जबकि कुछ को एक भी नहीं।
यह पूरी तरह से शरीर की जैविक प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।
लक्षण न होने का मतलब यह नहीं कि प्रक्रिया असफल रही है — इसलिए सबसे भरोसेमंद तरीका यही है कि डॉक्टर की सलाह अनुसार रक्त जांच कराई जाए।
प्रेगनेंसी की पुष्टि कैसे करें?
आईवीएफ के 12 से 14 दिन बाद डॉक्टर “बीटा HCG टेस्ट” कराते हैं, जो यह बताता है कि महिला गर्भवती हुई है या नहीं।
यह रक्त परीक्षण बहुत ही सटीक और भरोसेमंद होता है।
कई महिलाएं घर पर प्रेगनेंसी किट से जांच करती हैं, लेकिन कभी-कभी यह परिणाम गलत भी दे सकती है, क्योंकि शरीर में हार्मोन की मात्रा शुरुआत में कम हो सकती है।
इसलिए केवल डॉक्टर की सलाह पर जांच करना और रिपोर्ट को गंभीरता से लेना आवश्यक होता है।
भारत में IVF लागत का विवरण
- परामर्श शुल्क: यह बांझ दंपतियों और प्रजनन विशेषज्ञ के बीच चर्चा है। भारत में परामर्श की औसत लागत ₹500 से ₹2000 के बीच है। हालाँकि, IVF से पहले आवश्यक परामर्शों की संख्या के आधार पर लागत बढ़ सकती है।
- दवा शुल्क: IVF प्रक्रिया में अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाओं और भ्रूण स्थानांतरण के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। इसलिए IVF के लिए आवश्यक दवाओं और खुराक की लागत प्रति चक्र लगभग ₹15000 से ₹60000 हो सकती है।
- अंडा पुनर्प्राप्ति और भ्रूण निर्माण: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय से अंडे को निकालना है, और भ्रूण निर्माण एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और शुक्राणु का संयोजन है जिससे भ्रूण बनता है। इस चरण की लागत लगभग 50000 से 100000 रुपये है।
- भ्रूण स्थानांतरण: गर्भावस्था को विकसित करने के लिए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। तो, इस कारक के लिए, 15000 से 30000 रुपये की आवश्यकता होती है, और यह वास्तविक लागत है।
- पीजीडी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) और (इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन): पीजीडी और आईसीएसआई दो अतिरिक्त प्रक्रियाएं हैं जो आनुवंशिक मुद्दों और पुरुष बांझपन जैसे मामलों में फायदेमंद हैं। यह कारक 50000 से 100000 के बीच होता है।
निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है:
भारत में IVF उपचार के प्रकार | भारत में IVF उपचार की लागत (INR) |
भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 1,50,000 |
भारत में ICSI के साथ IVF की लागत | INR 1,65,000-1,85,000 |
भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत | INR 2,06,000-3,00,000 |
भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000 |
भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत | INR 2,10,000-2,20,000 |
भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत | INR 2,05,000-3,00,000 |
भारत में PGD तकनीक के साथ IVF की लागत | INR 3,00,000 |
नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:
आईवीएफ अलग स्थान पर | भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत |
दिल्ली में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
मुंबई में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹354000 |
बैंगलोर में आईवीएफ लागत | ₹155000 – ₹365000 |
उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹138000 – ₹310000 |
उत्तराखंड में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
तेलंगाना में आईवीएफ लागत | ₹147000 – ₹310000 |
पंजाब में आईवीएफ लागत | ₹140900 – ₹310000 |
मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹150000 – ₹310000 |
ओडिशा में आईवीएफ लागत | ₹126000 – ₹310000 |
राजस्थान में आईवीएफ लागत | ₹154000 – ₹310000 |
झारखंड में आईवीएफ लागत | ₹142000 – ₹310000 |
बिहार में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
असम में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
गुजरात में आईवीएफ लागत | ₹130000 – ₹310000 |
भारत में IVF की सफलता दर
भारत में 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए औसत IVF सफलता दर प्रति चक्र लगभग 50% से 65% है। बढ़ती उम्र के साथ सफलता दर कम होती जाती है। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि जोड़े की उम्र, खास तौर पर महिलाओं की, IVF की सफलता प्राप्त करने के लिए शामिल IVF प्रयासों की संख्या, उन्नत तकनीक और नवीनतम तकनीकों का उपयोग जो सफलता दर को बढ़ा सकते हैं, और प्रजनन डॉक्टरों या IVF विशेषज्ञों का अनुभव और विशेषज्ञता.
एक अच्छे फर्टिलिटी सेंटर को कैसे चुनें आईवीएफ के लिए?
हम समझते हैं कि आपके बांझपन उपचार के लिए सर्वोत्तम विकल्प का चयन करना कितना कठिन हो जाता है, लेकिन चिंता न करें, क्योंकि हमारे पास एक ऐसा उपाय है जो आपकी टेंशन को दूर कर देगा। हम आपको एक ऐसे सेंटर के बारे में बताएंगे जो कम दाम पर अच्छा आईवीएफ प्रदान करता है।
एक ऐसा सेंटर जहां मरीजों को एक अच्छा डॉक्टर से इलाज मिलता है, मरीजों को हमेशा अच्छा महसूस होता है क्योंकि डॉक्टर हमेशा उनके लिए खड़े होंगे। काउंसलिंग की मदद से आपकी सारी चिंताएं दूर हो जाएंगी। हम सभी प्रकार के बांझपन का इलाज देते हैं, तो आज ही हमसे संपर्क करें! भारत में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र का चयन करते समय निम्नलिखित कारकों पर विचार करें:
- आईवीएफ सेंटर जिसका फोकस सिर्फ मरीज की सहायता करना है
- आईवीएफ सेंटर जिस में पढ़े-लिखे डॉक्टर हो
- बुनियादी ढांचा जो अधिकतम आराम और खुशी के लिए अच्छी तरह से बनाया गया हो
- आईवीएफ सेंटर जाहा स्टाफ मरीज का सम्मान करता हो
- शुरुआत से ही पूरी प्रक्रिया में आपकी सहायता करता हो
- आईवीएफ सेंटर जो एक्स्ट्रा चार्ज ना करे
तो आप जब भी आईवीएफ ले तो इन बत्तो का ध्यान दे। तो, हमसे +91-9899293903 पर संपर्क करें ईमेल आईडी: [email protected]

सेलेक्ट आईवीएफ (Select IVF) क्यों चुनें?
जब बात संतान सुख की हो, तो हर दंपति यही चाहता है कि वह एक ऐसे क्लिनिक का चयन करें जो न केवल तकनीकी रूप से सक्षम हो, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उनका साथ दे। Select IVF एक ऐसा ही नाम है जिस पर हजारों परिवारों ने विश्वास किया है और अपनी खुशियों की नई शुरुआत की है।
Select IVF वर्षों से भारत और विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाली फर्टिलिटी सेवाएं दे रहा है। यहां काम करने वाली डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम केवल मेडिकल एक्सपर्ट नहीं है, बल्कि वो लोग हैं जो मरीज की भावनाओं को समझते हैं और हर कदम पर उन्हें सहयोग देते हैं। चाहे पहली बार परामर्श हो या अंतिम एम्ब्रियो ट्रांसफर, यहां हर प्रक्रिया को अत्यधिक सावधानी और ईमानदारी से पूरा किया जाता है।
यहां की सबसे बड़ी ताकत है – व्यक्तिगत ट्रीटमेंट प्लान, मतलब हर मरीज की हालत, उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इलाज तय किया जाता है। Select IVF में किसी एक ही फॉर्मूले से सभी मरीजों का इलाज नहीं होता, बल्कि यहां इलाज को पूरी तरह पर्सनलाइज किया जाता है।
तकनीकी रूप से भी यह क्लिनिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहां ICSI, IUI, Egg Donation, Embryo Freezing, PESA, TESA और Surrogacy जैसी सभी प्रमुख प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, सभी टेस्ट और स्कैनिंग सुविधाएं भी एक ही छत के नीचे मिल जाती हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग जगह भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
Select IVF की एक और खूबी है – पारदर्शिता। यहां किसी भी तरह की छिपी हुई फीस नहीं होती। हर खर्च और हर प्रक्रिया को पहले से समझाया जाता है ताकि मरीज मानसिक रूप से तैयार हो सके। यही कारण है कि यहां आने वाले मरीज केवल भारत से ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका, नाइजीरिया और अफ्रीका जैसे कई देशों से भी आते हैं।
Select IVF सिर्फ एक फर्टिलिटी क्लिनिक नहीं, बल्कि एक भरोसा है, जो हर दंपति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करता है।
निष्कर्ष
आईवीएफ सफलता के लक्षण, भावनात्मक और कठिन सफर होता है। जब भ्रूण ट्रांसफर के बाद महिला इंतजार करती है कि प्रक्रिया सफल हुई या नहीं, तब शरीर में आने वाले लक्षण उसकी आशा और चिंता दोनों को बढ़ा सकते हैं।
हल्का स्पॉटिंग, ऐंठन, स्तनों में बदलाव, थकान, मूड स्विंग, बार-बार पेशाब आना, भूख में बदलाव जैसे लक्षण सकारात्मक संकेत हो सकते हैं, लेकिन इनका न होना किसी भी स्थिति में नकारात्मक नहीं माना जाना चाहिए।
सबसे ज़रूरी बात यह है कि महिला को खुद को मानसिक रूप से शांत और संतुलित रखना चाहिए।
सही समय पर डॉक्टर से जांच कराना और उनकी सलाह के अनुसार चलना सफलता की कुंजी है।
सामान्य सवाल-जवाब (FAQs)
आईवीएफ के सफल होने के कितने दिन बाद लक्षण दिखने लगते हैं?
ईवीएफ प्रक्रिया में भ्रूण ट्रांसफर के बाद लक्षण आमतौर पर 6 से 10 दिन के अंदर दिखाई देने लगते हैं। यह वह समय होता है जब भ्रूण गर्भाशय की दीवार में चिपकता है, जिसे इंप्लांटेशन कहा जाता है। इंप्लांटेशन सफल होने के बाद शरीर में हार्मोनल परिवर्तन शुरू हो जाते हैं, जिससे कुछ महिलाओं को हल्का स्पॉटिंग, ऐंठन, थकान, स्तनों में भारीपन या मूड स्विंग्स जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। हालांकि हर महिला में ये लक्षण एक जैसे या एक ही समय पर नहीं होते, फिर भी यह एक संभावित संकेत होता है।
क्या आईवीएफ में प्रेगनेंसी के लक्षण सभी महिलाओं में समान होते हैं?
नहीं, आईवीएफ के सफल होने के बाद सभी महिलाओं में लक्षण समान नहीं होते। कुछ महिलाओं को कई लक्षण महसूस होते हैं जैसे स्पॉटिंग, थकान, मतली, या स्तनों में संवेदनशीलता, जबकि कुछ को कोई लक्षण महसूस नहीं होते। शरीर की प्रकृति, हार्मोन की प्रतिक्रिया और मानसिक स्थिति, इन सभी का असर लक्षणों पर पड़ता है। इसीलिए लक्षणों के आधार पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचना चाहिए। केवल बीटा HCG टेस्ट ही यह प्रमाणित कर सकता है कि गर्भधारण हुआ है या नहीं।
क्या बिना किसी लक्षण के भी आईवीएफ सफल हो सकता है?
हाँ, बिल्कुल। बहुत सी महिलाओं में गर्भधारण के बावजूद कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते। शरीर की हर महिला की प्रतिक्रिया अलग होती है। कई बार हार्मोनल दवाओं के कारण लक्षण दब भी जाते हैं या भ्रमित कर सकते हैं। इसलिए अगर लक्षण ना भी महसूस हों, तो भी उम्मीद रखनी चाहिए और रक्त जांच (बीटा HCG टेस्ट) के परिणाम आने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। लक्षण का ना होना, असफलता का संकेत नहीं है।
सबसे पहला और सामान्य लक्षण कौन-सा होता है?
आईवीएफ के सफल होने के बाद सबसे सामान्य और पहला लक्षण होता है, हल्का रक्तस्राव या स्पॉटिंग। यह भ्रूण के गर्भाशय की दीवार से चिपकने पर होता है, जिसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। यह स्पॉटिंग हल्के गुलाबी या भूरे रंग की हो सकती है और आमतौर पर कुछ ही घंटों या एक-दो दिन में बंद हो जाती है। हालांकि हर महिला में यह नहीं होता, लेकिन जहां दिखाई देता है, वहाँ यह गर्भधारण का अच्छा संकेत माना जाता है।
क्या प्रेगनेंसी किट से आईवीएफ के सफल होने का पता चल सकता है?
आईवीएफ के बाद घर पर की जाने वाली प्रेगनेंसी किट (यूरीन टेस्ट) शुरूआती दिनों में बहुत भरोसेमंद नहीं होती। क्योंकि भ्रूण ट्रांसफर के बाद शरीर में HCG हार्मोन का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है, और कभी-कभी दवाओं के कारण भी यह परिणाम को प्रभावित कर सकता है। इसीलिए डॉक्टर आमतौर पर भ्रूण ट्रांसफर के 12 से 14 दिन बाद बीटा HCG रक्त जांच की सलाह देते हैं, जो अधिक सटीक और विश्वसनीय होता है।
क्या IVF सफलता के लक्षण हार्मोनल दवाओं से भी हो सकते हैं?
हाँ, IVF प्रक्रिया में प्रयुक्त हार्मोनल दवाएं जैसे प्रोजेस्टेरोन और HCG, शरीर में गर्भधारण जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकती हैं। इन दवाओं के कारण महिला को थकान, ऐंठन, स्तनों में भारीपन, या मूड स्विंग जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं, चाहे गर्भधारण हुआ हो या नहीं। इसलिए केवल लक्षणों पर भरोसा करना सही तरीका नहीं है। सटीक पुष्टि के लिए रक जांच ही एकमात्र भरोसेमंद उपाय होता है।
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