आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है? जानिए प्रक्रिया, फायदे और जोखिम

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी और बदलती जीवनशैली के कारण कई दंपति संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में आधुनिक विज्ञान ने एक चमत्कारी उपाय निकाला है, जिसे आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है। यह प्रक्रिया उन जोड़ों के लिए आशा की किरण बन चुकी है जो वर्षों से संतान प्राप्ति की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सफल नहीं हो पाए। आईवीएफ प्रेगनेंसी सामान्य गर्भधारण से कुछ अलग होती है क्योंकि इसमें भ्रूण (एंब्रियो) महिला के शरीर के बाहर प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है और फिर उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तकनीक न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों में भी शुक्राणु की कमी की स्थिति में कारगर सिद्ध होती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है, इसकी प्रक्रिया कैसे होती है, किन लोगों को इसकी आवश्यकता होती है, इसमें कितनी सफलता मिलती है, इसके फायदे और नुकसान क्या हैं, और इसके दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… आईवीएफ प्रेगनेंसी क्या होती है? आईवीएफ एक कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। जब यह निषेचन (फर्टिलाइजेशन) सफल हो जाता है, तो जो भ्रूण बनता है उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया से गर्भधारण की संभावना तब भी बनी रहती है जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव नहीं होता, जैसे फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना, पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस, पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी, या अज्ञात कारणों से गर्भ न ठहरना। आईवीएफ की प्रक्रिया (चरण दर चरण) आईवीएफ प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है: 1. हार्मोनल दवाइयों द्वारा अंडाणु उत्पादन महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके अंडाशय में एक से अधिक अंडाणु विकसित हो सकें। इस प्रक्रिया को “ओवेरियन स्टिमुलेशन” कहते हैं। 2. अंडाणु संग्रह (एग रिट्रीवल) जब अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तो डॉक्टर एक छोटी सर्जरी द्वारा अंडाशय से अंडाणु निकाल लेते हैं। 3. शुक्राणु संग्रह पुरुष के वीर्य से शुक्राणु निकाले जाते हैं। यदि पुरुष में शुक्राणु न हों तो टीईएसए/पीईएसए जैसी तकनीकों से भी लिया जा सकता है। 4. निषेचन (फर्टिलाइजेशन) अंडाणु और शुक्राणु को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है और भ्रूण बनने तक निगरानी की जाती है। 5. भ्रूण स्थानांतरण (एंब्रियो ट्रांसफर) सर्वश्रेष्ठ भ्रूण को महिला के गर्भाशय में एक पतली नली के माध्यम से डाला जाता है। 6. गर्भ की पुष्टि भ्रूण स्थानांतरण के लगभग 12-14 दिन बाद महिला का बीटा एचसीजी टेस्ट किया जाता है जिससे पता चलता है कि वह गर्भवती हुई है या नहीं। किन लोगों को आईवीएफ की आवश्यकता होती है? आईवीएफ प्रेगनेंसी के फायदे आईवीएफ के कुछ संभावित नुकसान आईवीएफ की सफलता दर आईवीएफ की सफलता कई बातों पर निर्भर करती है: आमतौर पर 30 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में सफलता दर 40% तक होती है, जबकि 40 वर्ष की महिलाओं में यह दर घटकर 15-20% रह जाती है। आईवीएफ प्रेगनेंसी में क्या सावधानियां रखनी चाहिए? आईवीएफ प्रेगनेंसी के दौरान सामान्य गर्भ से क्या अंतर होता है? आईवीएफ से गर्भवती महिला और सामान्य तरीके से गर्भवती महिला दोनों में कोई बड़ा अंतर नहीं होता, लेकिन आईवीएफ के दौरान शुरुआत में अधिक निगरानी की जाती है। पहले तीन महीने बहुत नाज़ुक होते हैं और डॉक्टर नियमित रूप से जाँच करते हैं। भारत में आईवीएफ का खर्च भारत में आईवीएफ का खर्च औसतन ₹1,00,000 से ₹2,50,000 प्रति चक्र हो सकता है। यदि किसी को कई चक्रों की आवश्यकता पड़े तो खर्च बढ़ सकता है। अन्य तकनीकों जैसे ICSI, PESA, TESA आदि के जुड़ने से लागत बढ़ती है। आईवीएफ को लेकर आम भ्रांतियाँ भारत में IVF लागत का विवरण परामर्श शुल्क: यह बांझ दंपतियों और प्रजनन विशेषज्ञ के बीच चर्चा है। भारत में परामर्श की औसत लागत ₹500 से ₹2000 के बीच है। हालाँकि, IVF से पहले आवश्यक परामर्शों की संख्या के आधार पर लागत बढ़ सकती है। दवा शुल्क: IVF प्रक्रिया में अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाओं और भ्रूण स्थानांतरण के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। इसलिए IVF के लिए आवश्यक दवाओं और खुराक की लागत प्रति चक्र लगभग ₹15000 से ₹60000 हो सकती है। अंडा पुनर्प्राप्ति और भ्रूण निर्माण: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय से अंडे को निकालना है, और भ्रूण निर्माण एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और शुक्राणु का संयोजन है जिससे भ्रूण बनता है। इस चरण की लागत लगभग 50000 से 100000 रुपये है। भ्रूण स्थानांतरण: गर्भावस्था को विकसित करने के लिए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। तो, इस कारक के लिए, 15000 से 30000 रुपये की आवश्यकता होती है, और यह वास्तविक लागत है। पीजीडी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) और (इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन): पीजीडी और आईसीएसआई दो अतिरिक्त प्रक्रियाएं हैं जो आनुवंशिक मुद्दों और पुरुष बांझपन जैसे मामलों में फायदेमंद हैं। यह कारक 50000 से 100000 के बीच होता है। निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है: भारत में IVF उपचार के प्रकार भारत में IVF उपचार की लागत (INR) भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 1,50,000 भारत में ICSI के साथ IVF की लागत INR 1,65,000-1,85,000 भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत INR 2,06,000-3,00,000 भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 2,10,000 भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत INR 2,10,000-2,20,000 भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत INR 2,05,000-3,00,000 भारत में PGD तकनीक के साथ IVF की लागत INR 3,00,000 नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:  आईवीएफ अलग स्थान पर भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत दिल्ली में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 मुंबई में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹354000 बैंगलोर में आईवीएफ लागत ₹155000 – ₹365000 उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹138000 – ₹310000 उत्तराखंड में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 तेलंगाना में आईवीएफ लागत ₹147000 – ₹310000 पंजाब में आईवीएफ लागत ₹140900 – ₹310000 मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 ओडिशा…

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आईवीएफ फेल होने के बाद क्या करें? जानिए अगला कदम और जरूरी सुझाव

आईवीएफ फेल होने के बाद क्या करें आईवीएफ, यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, एक चमत्कारी तकनीक है जो संतान सुख की राह को आसान बनाती है। लेकिन इसकी सफलता की गारंटी नहीं होती। कुछ लोगों के लिए यह पहली बार में सफल हो जाती है, तो कुछ के लिए यह कई प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पाती। जब IVF फेल हो जाता है, तो मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से बड़ा आघात लगता है। यह लेख इसी विषय पर केंद्रित है, जब आईवीएफ फेल हो जाए, तब क्या करें? सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… IVF क्या है?  IVF एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में मिलाकर भ्रूण (Embryo) बनाया जाता है। इसके बाद उस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि वह वहीं विकसित हो और गर्भधारण हो सके। लेकिन कभी-कभी भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपण के बाद भी गर्भधारण नहीं होता और प्रेग्नेंसी टेस्ट नेगेटिव आता है – तब इसे IVF फेल होना कहा जाता है। IVF फेल होने के कारण IVF असफल होने के कई कारण हो सकते हैं। इन्हें समझना जरूरी है ताकि अगली बार की तैयारी बेहतर की जा सके। 1. अंडाणु की गुणवत्ता (Poor Egg Quality) यदि महिला के अंडाणु स्वस्थ नहीं हैं तो भ्रूण बनने या विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। 2. स्पर्म की गुणवत्ता (Poor Sperm Quality) कम गतिशीलता, खराब शेप या DNA fragmentation के कारण भ्रूण कमजोर बन सकता है। 3. भ्रूण की गुणवत्ता (Embryo Quality) कई बार भ्रूण बनने के बाद उसकी कोशिकाएँ सामान्य रूप से नहीं बढ़तीं, जिससे वह गर्भाशय में इंप्लांट नहीं हो पाता। 4. गर्भाशय की स्थिति (Uterine Issues) फाइब्रॉइड्स, पॉलीप्स, पतली एंडोमेट्रियम लाइनिंग या अन्य गर्भाशय समस्याएँ भ्रूण को जगह नहीं लेने देतीं। 5. इम्यूनोलॉजिकल कारण (Immune Response) कभी-कभी महिला का शरीर भ्रूण को बाहरी तत्व मानकर अस्वीकार कर देता है। 6. हॉर्मोनल असंतुलन प्रोजेस्ट्रोन, एस्ट्रोजन, या थायरॉइड में गड़बड़ी भी गर्भधारण में बाधा बन सकती है। 7. एज फैक्टर (Age Factor) 35 की उम्र के बाद अंडाणु की गुणवत्ता में गिरावट आती है। 40 के बाद IVF की सफलता दर काफी घट जाती है। IVF फेल होने के बाद क्या करें? 1. शांत रहें और खुद को समय दें IVF का फेल होना बहुत भावनात्मक क्षति देता है, लेकिन यह अंत नहीं है। पहली बात खुद को दोष न दें। IVF में असफलता आम है, और कई लोग दूसरी या तीसरी बार में सफल होते हैं। कुछ दिन खुद को संभालने के लिए समय दें: 2. अपने डॉक्टर से चर्चा करें IVF फेल होने के बाद डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है। वह आपके केस को दोबारा देखेंगे और यह पहचानने में मदद करेंगे कि असफलता का संभावित कारण क्या हो सकता है। डॉक्टर निम्नलिखित रिपोर्ट्स की समीक्षा कर सकते हैं: 3. बायोकेमिकल प्रेग्नेंसी या इंप्लांटेशन फेल्योर को समझें कई बार HCG पॉजिटिव आता है लेकिन कुछ ही दिनों में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है — इसे बायोकेमिकल प्रेग्नेंसी कहा जाता है। यदि भ्रूण गर्भाशय में इंप्लांट नहीं हो पा रहा है, तो इसे इंप्लांटेशन फेल्योर कहते हैं। दोनों के कारणों और उपचार अलग होते हैं। 4. एडवांस टेस्ट करवाएं यदि पहली या दूसरी IVF फेल हो जाए, तो डॉक्टर कुछ विशेष टेस्ट करवा सकते हैं: 5. भ्रूण फ्रीज का इस्तेमाल करें अगर पिछले IVF साइकल में भ्रूण फ्रीज किए गए हैं, तो अगली बार बिना अंडाणु स्टिमुलेशन के भ्रूण ट्रांसफर किया जा सकता है। इसे Frozen Embryo Transfer (FET) कहते हैं और इसकी सफलता दर भी अच्छी होती है। 6. लाइफस्टाइल में सुधार करें कई बार छोटी-छोटी चीजें IVF की सफलता में बड़ा असर डालती हैं। अपनी दिनचर्या में सुधार करें: 7. एग या स्पर्म डोनर का विकल्प यदि बार-बार IVF फेल हो रहा है और डॉक्टर की राय हो कि अंडाणु या स्पर्म की गुणवत्ता खराब है, तो डोनर अंडाणु या स्पर्म का विकल्प अपनाया जा सकता है। 8. सरोगेसी पर विचार करें यदि महिला का गर्भाशय भ्रूण को स्वीकार नहीं कर रहा है या मेडिकल कारणों से गर्भधारण संभव नहीं है, तो सरोगेसी एक वैकल्पिक समाधान हो सकता है। IVF फेल होने पर भावनात्मक समर्थन कैसे लें? 1. काउंसलिंग ले सकते हैं मानसिक दबाव IVF फेल होने के बाद बढ़ सकता है। प्रोफेशनल काउंसलिंग से राहत मिल सकती है। 2. सपोर्ट ग्रुप्स से जुड़ें आज कई ऑनलाइन और ऑफलाइन सपोर्ट ग्रुप्स हैं जहाँ दंपत्तियाँ अपने अनुभव साझा करते हैं। 3. पार्टनर से खुलकर बात करें सिर्फ महिला नहीं, पुरुष भी मानसिक रूप से प्रभावित होता है। दोनों को एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए। अगली बार IVF के लिए तैयारी कैसे करें? IVF फेल होने के बाद विकल्प क्या हैं? विकल्प विवरण पुनः IVF बेहतर रणनीति के साथ अगला साइकल शुरू किया जा सकता है ICSI  यदि स्पर्म की गुणवत्ता खराब है FET जमे हुए भ्रूण को ट्रांसफर किया जा सकता है डोनर एग/स्पर्म यदि अंडाणु या स्पर्म की गुणवत्ता बहुत खराब है सरोगेसी गर्भाशय की समस्या के मामले में एडॉप्शन संतान पाने का आसान तरीका आईवीएफ को कराने में कितना खर्चा आता है ? अगर आपको इंफर्टिलिटी है और आईवीएफ कराने का सोच रहे हो तो इसका लागत जानना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. गर आपको आईवीएफ का रेट पहले से पता होगा तो आप आर्थिक रूप से तैयार रहेंगे। इससे आपको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। इंसान के लिए किसी भी काम को करने में आर्थिक रूप से दिक्कत आती है लेकिन अगर हम इसकी पहले से तयारी रखेंगे तो ऐसा नहीं होगा। आईवीएफ में ऐसा इलाज है जो आपको आर्थिक रूप से दिक्कत नहीं दे सकता क्योंकि आप आईवीएफ की भुगतान किश्त भी ले सकते हैं। भारत में बहुत सारे अस्पताल या केंद्र का मुआजूद है कि किश्तों में भुगतान लेते हैं जैसे की “Select IVF”.  अगर आईवीएफ खर्चे का अनुमान लगाया जाए तो भारत में 1.5 से 2.5 लाख के बीच कराया जाता है. इस खर्चे को बहुत सारी चीजें प्रभावित करती हैं जैसे दवाओं का खर्चा, डॉक्टर की फीस, आईवीएफ सेंटर का पता, उसकी सफलता दर, आईवीएफ…

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सबसे अच्छा आईवीएफ सेंटर कौन सा है? जानिए टॉप फ़र्टिलिटी क्लिनिक की पूरी जानकारी

सबसे अच्छा आईवीएफ सेंटर कौन सा है? जानिए टॉप फ़र्टिलिटी क्लिनिक की पूरी जानकारी सबसे अच्छा आईवीएफ सेंटर कौन सा है? ये प्रश्न बहुत लोगो के दिमाग में आता होगा खास कर जो आईवीएफ कराना चाहते है। क्योंकि जब भी आईवीएफ ट्रीटमेंट की बात आती है तो लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि किस आईवीएफ सेंटर से ट्रीटमेंट लिया जाए क्योंकि हर एक सेंटर अपने आप को अच्छा बताता है। इसलिए हम आज आपको अपने आर्टिकल की मदद से एक अच्छे आईवीएफ सेंटर का चयन कराएंगे.  आइए पहले संक्षेप में जानते हैं की एक आईवीएफ केंद्र को कैसे चुने फिर हम सभी महत्वपूर्ण चीजों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम टेस्ट ट्यूब बेबी और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र का चयन कैसे करें? IVF और इसके महत्व को समझना IVF एक प्रजनन उपचार है, जिसमें महिला के अंडे को प्रयोगशाला में शरीर के बाहर पुरुष के शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है। एक बार जब अंडा निषेचित हो जाता है, तो भ्रूण को महिला के गर्भाशय में रखा जाता है ताकि उसे गर्भवती होने में मदद मिल सके। IVF का उपयोग तब किया जाता है जब अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब, कम शुक्राणुओं की संख्या, हार्मोनल मुद्दे, उम्र से संबंधित बांझपन, PCOS या अस्पष्ट बांझपन जैसे कारणों से प्राकृतिक गर्भाधान मुश्किल होता है। IVF उन जोड़ों को माता-पिता बनने का मौका देता है, जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं। यह 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं या जटिल प्रजनन समस्याओं वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। ICSI (पुरुष बांझपन के लिए) या भ्रूण को फ्रीज करने जैसी आधुनिक तकनीकों ने IVF की सफलता दर में सुधार किया है। IVF एक चिकित्सा प्रक्रिया से कहीं बढ़कर है – यह परिवार का सपना देखने वाले जोड़ों को उम्मीद और भावनात्मक राहत देता है। सही IVF केंद्र का चयन उपचार की गुणवत्ता, अनुभव और परिणाम में बड़ा अंतर ला सकता है। आईवीएफ महत्वपूर्ण क्यों है: आईवीएफ कौन चुन सकता है? भारत में बांझपन से पीड़ित व्यक्ति आईवीएफ चुन सकते हैं। हालाँकि, जो चीजें आपको आईवीएफ लेने के लिए मजबूर करती हैं, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: आईवीएफ प्रक्रिया क्या है? अगर आपको एक दम आसान शब्दो में समझाया जाए तो आईवीएफ एक उपचार है उन लोगों के लिए जो बच्चा नहीं कर पाते। तो एक कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। जिसमें कृत्रिम रूप से अंडे और शुक्राणु को निषेचित किया जाता है ताकि एक भ्रूण नामक चीज को लिया जा सके। भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है, डॉक्टर और टूल्स की मदद से। जब ये पूरा प्रोसेस हो जाता है तो 12 या 15 दिन के बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है। आईवीएफ का परिणाम देखने के लिए। आएं इसे और अच्छे से समझते है, उसके लिए आपको निचे के स्टेप्स पर ध्यान देना पड़ेगा:  भारत में IVF के पहले चरण में परामर्श शामिल है। परामर्श में, IVF विशेषज्ञ और बांझ दंपतियों के बीच बांझपन के कारण और बांझपन को दूर करने के लिए उपयुक्त उपचार के बारे में चर्चा की जाती है। अंडाशय उत्तेजना, भारत में IVF का दूसरा चरण जिसमें महिला साथी को कई अंडे बनाने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। अंडे की पुनर्प्राप्ति, एक बार अंडे विकसित हो जाने के बाद इसे कैथेटर की मदद से पुनर्प्राप्त किया जाता है, यह एक ऐसा उपकरण है जो महिला के गर्भाशय से अंडे निकालने में सहायक होता है। निषेचन, इससे पहले कि अंडे और शुक्राणु एक साथ मिलकर भ्रूण उत्पन्न करें। परिणामी भ्रूण को फिर महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद, रक्त परीक्षण की मदद से गर्भावस्था परीक्षण शुरू किया जाता है। यदि गर्भावस्था की पुष्टि हो जाती है, तो दंपति एक बच्चे का स्वागत कर सकते हैं। यदि गर्भावस्था की पुष्टि नहीं होती है, तो एक और IVF प्रयास शुरू किया जाता है। आईवीएफ कितने दिन में होता है? आईवीएफ चक्र को पूरा होने में 4 से 6 सप्ताह लगते हैं। इतने समय में आईवीएफ की सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जैसे परामर्श, अंडा पुनर्प्राप्ति, शुक्राणु संग्रह, निषेचन, भ्रूण स्थानांतरण और गर्भावस्था परीक्षण। आईवीएफ प्रक्रिया हर मरीज के लिए समान होती है लेकिन मरीजों का शरीर अलग होता है। तो अलग-अलग मरीज़ अलग-अलग तरीके से जवाब देते हैं। आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं? आईवीएफ में 10 से 40 इंजेक्शन दिए जाते हैं। एक दिन में एक या दो इंजेक्शन दिया जाता है ये हार्मोनल इंजेक्शन होते हैं अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए। इंजेक्शनों को लेने के बाद अंडों का उत्पादन बढ़ जाता है और जब ये अंडे परिपक्व हो जाते हैं तो इन्हें निषेचन में इस्तमाल किया जाता है। 8 से 14 दिन के लिए लगातर इंजेक्शन लगाया जाता है। इंजेक्शन की संख्या मरीज़ पर भी निर्भर है। मरीज़ के मामले के अनुसार इसमे उतार चढ़ाव हो सकता है। आईवीएफ को कराने में कितना खर्चा आता है ? अगर आपको इंफर्टिलिटी है और आईवीएफ कराने का सोच रहे हो तो इसका लागत जानना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. गर आपको आईवीएफ का रेट पहले से पता होगा तो आप आर्थिक रूप से तैयार रहेंगे। इससे आपको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। इंसान के लिए किसी भी काम को करने में आर्थिक रूप से दिक्कत आती है लेकिन अगर हम इसकी पहले से तयारी रखेंगे तो ऐसा नहीं होगा। आईवीएफ में ऐसा इलाज है जो आपको आर्थिक रूप से दिक्कत नहीं दे सकता क्योंकि आप आईवीएफ की भुगतान किश्त भी ले सकते हैं। भारत में बहुत सारे अस्पताल या केंद्र का मुआजूद है कि किश्तों में भुगतान लेते हैं जैसे की “Select IVF”.  अगर आईवीएफ खर्चे का अनुमान लगाया जाए तो भारत में 1.5 से 2.5 लाख के बीच कराया जाता है. इस खर्चे को बहुत सारी चीजें प्रभावित करती हैं जैसे दवाओं का खर्चा, डॉक्टर की फीस, आईवीएफ सेंटर का पता, उसकी सफलता दर, आईवीएफ चक्र की संख्या, आदि। ये तो आम बात है मैं आपका स्वास्थ्य और केस है. जो कि खर्चो पर प्रभाव डाल सकता है.  भारत में IVF लागत का विवरण परामर्श…

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टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना खर्च आता है? जानिए पूरी लागत और ज़रूरी जानकारी

टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना खर्चा आता है बांझपन बांझ दंपतियों के लिए एक कठिन स्थिति हो सकती है। यह स्थिति गर्भधारण को रोकती है और व्यक्तियों को उनके बांझपन के लिए उपयुक्त उपचार प्राप्त करने के लिए मजबूर करती है। इसलिए बांझपन के लिए, टेस्ट ट्यूब बेबी को सबसे अच्छा बांझपन समाधान माना जाता है जो कि सस्ती कीमत पर बांझपन को दूर कर सकता है। भारत में, टेस्ट ट्यूब बेबी की कीमतें सस्ती हैं। खासकर असम, सिलीगुड़ी, दिल्ली आदि राज्यों में। भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी की लागत बजट से कम है और बांझपन की समस्या का सामना करने वाला हर व्यक्ति आसानी से उपचार प्राप्त कर सकता है। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम टेस्ट ट्यूब बेबी और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है? टेस्ट ट्यूब बेबी, आज उपलब्ध सबसे भरोसेमंद प्रजनन उपचारों में से एक है। यह विशेष रूप से उन जोड़ों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो महीनों या सालों की कोशिशों के बावजूद स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं। इस प्रक्रिया में महिला के अंडाशय से परिपक्व अंडे को निकालना, उन्हें अत्यधिक नियंत्रित प्रयोगशाला वातावरण में शुक्राणु के साथ निषेचित करना और फिर सबसे स्वस्थ भ्रूण को वापस गर्भाशय में स्थानांतरित करना शामिल है। टेस्ट ट्यूब बेबी ने दुनिया भर में अनगिनत जोड़ों को माता-पिता बनने के अपने सपने को पूरा करने में मदद की है – और यह भारत में भी ऐसा ही कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत प्रजनन उपचारों के लिए एक विश्वसनीय और बढ़ते केंद्र के रूप में उभरा है। अत्याधुनिक प्रजनन क्लीनिक, कुशल डॉक्टरों और रोगी देखभाल के साथ, अधिक से अधिक जोड़े अपनी टेस्ट ट्यूब बेबी यात्रा के लिए भारत को चुन रहे हैं। यहाँ के क्लीनिक उन्नत प्रजनन तकनीक, रोगी-अनुकूल सेवाएँ और एक शांतिपूर्ण, किफायती वातावरण प्रदान करते हैं और आपको इन सभी सुविधाओं को पाने के लिए दूर जाने की आवश्यकता नहीं है। चाहे बांझपन का कारण उम्र से संबंधित हो, PCOS या एंडोमेट्रियोसिस जैसी चिकित्सा स्थितियों के कारण हो, या फिर अस्पष्टीकृत हो, भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी केंद्र आपकी ज़रूरतों के अनुरूप व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ प्रदान करते हैं। बढ़ती सफलता दर और विश्व स्तरीय देखभाल के साथ, भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी कई परिवारों को जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने में मदद कर रहा है। टेस्ट ट्यूब बेबी कैसे किया जाता है? भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी की चरण-दर-चरण प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं: भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी के पहले चरण में परामर्श शामिल है। परामर्श में, टेस्ट ट्यूब बेबी विशेषज्ञ और बांझ दंपतियों के बीच बांझपन के कारण और बांझपन को दूर करने के लिए उपयुक्त उपचार के बारे में चर्चा की जाती है। अंडाशय उत्तेजना, भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी का दूसरा चरण जिसमें महिला साथी को कई अंडे बनाने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। अंडे की पुनर्प्राप्ति, एक बार अंडे विकसित हो जाने के बाद इसे कैथेटर की मदद से पुनर्प्राप्त किया जाता है, यह एक ऐसा उपकरण है जो महिला के गर्भाशय से अंडे निकालने में सहायक होता है। निषेचन, इससे पहले कि अंडे और शुक्राणु एक साथ मिलकर भ्रूण उत्पन्न करें। परिणामी भ्रूण को फिर महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद, रक्त परीक्षण की मदद से गर्भावस्था परीक्षण शुरू किया जाता है। यदि गर्भावस्था की पुष्टि हो जाती है, तो दंपति एक बच्चे का स्वागत कर सकते हैं। यदि गर्भावस्था की पुष्टि नहीं होती है, तो एक और टेस्ट ट्यूब बेबी प्रयास शुरू किया जाता है। टेस्ट ट्यूब बेबी करने में कितना समय लगता है? टेस्ट ट्यूब बेबी चक्र को पूरा होने में 4 से 6 सप्ताह लगते हैं। इतने समय में टेस्ट ट्यूब बेबी की सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जैसे परामर्श, अंडा पुनर्प्राप्ति, शुक्राणु संग्रह, निषेचन, भ्रूण स्थानांतरण और गर्भावस्था परीक्षण। टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया हर मरीज के लिए समान होती है लेकिन मरीजों का शरीर अलग होता है। तो अलग-अलग मरीज़ अलग-अलग तरीके से जवाब देते हैं। टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना खर्च आता है? अगर भारत की बात करें तो टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए 1.5 से 2.5 लाख लगते हैं। हा लेकिन भारत में भी कुछ ऐसे शहर या राज्य हैं जो विकसित और उन्नत हैं। ऐसे राज्यों या शहरों में टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए ज्यादा चार्ज करते हैं क्योंकि वहां आपको हर सुविधा उन्नत स्तर पर मिलेगी, उपचार, अस्पताल का बुनियादी ढांचा, उन्नत उपकरण या डॉक्टर, हर सुविधा प्रथम श्रेणी की गुणवत्ता की होगी। भारत के टेस्ट ट्यूब बेबी खर्च में डॉक्टर की फीस, परामर्श शुल्क, दवाई शुल्क, अस्पताल शुल्क, टेस्ट ट्यूब बेबी चक्र शुल्क की संख्या, अन्य शुल्क शामिल हैं। नीचे दी गई टेबल आपको टेस्ट ट्यूब बेबी का रेट जानने में मदद करेगी। टेबल में अलग-अलग लोकेशन है और उनकी टेस्ट ट्यूब बेबी लागत दी गई है। नीचे दी गई टेबल आपको टेस्ट ट्यूब बेबी लागत के बारे में बताएगी:  टेस्ट ट्यूब बेबी अलग स्थान पर भारत के विभिन्न स्थानों में टेस्ट ट्यूब बेबी की लागत दिल्ली में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹150000 – ₹310000 मुंबई में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹150000 – ₹354000 बैंगलोर में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹155000 – ₹365000 उत्तर प्रदेश में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹138000 – ₹310000 उत्तराखंड में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹130000 – ₹310000 तेलंगाना में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹147000 – ₹310000 पंजाब में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹140900 – ₹310000 मध्य प्रदेश में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹150000 – ₹310000 ओडिशा में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹126000 – ₹310000 राजस्थान में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹154000 – ₹310000 झारखंड में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹142000 – ₹310000 बिहार में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹130000 – ₹310000 आंध्र प्रदेश में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹130000 – ₹310000 असम में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹130000 – ₹310000 गुजरात में टेस्ट ट्यूब बेबी लागत ₹130000 – ₹310000 टेस्ट ट्यूब बेबी की लागत को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं? टेस्ट ट्यूब बेबी की लागत को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है: चिकित्सा प्रक्रिया: टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया में परामर्श,…

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आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं? जानिए पूरा प्रोसेस स्टेप बाय स्टेप

आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं अगर आप बांझपन से परेशान हैं और आईवीएफ कराने का सोच रहे हैं तो आपको आईवीएफ के बारे में एक-एक जानकारी होनी चाहिए। आपको यह पता होना चाहिए कि आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं और आईवीएफ क्या है, कितने दिन में होता है और इसका खर्चा कितना आता है। इसलिए हम आपके लिए ये आर्टिकल लेकर आए हैं। जिसकी मदद से पहले हम आपको थोड़ा सा आईवीएफ के बारे में बताएंगे। आईवीएफ एक प्रकार का इलाज है जिस से जोड़ों की बांझपन को ठीक किया जाता है। आईवीएफ में जोड़े से अंडा और शुक्राणु लिया जाता है, जिस से एक भ्रूण बनता है, फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… आईवीएफ से बच्चे कैसे होते हैं? आईवीएफ से बच्चा करने के लिए आपको कुछ चरणों को समझना पड़ेगा जो नीचे दिए गए हैं: आईवीएफ से बच्चा करने के लिए कपल्स को सबसे पहले डॉक्टर से बात करनी पड़ेगी। अपने केस को डॉक्टर को बताना पड़ेगा तब वो आपको समाधान देगा। आपकी बांझपन के कारण को समझेगा, आपको उसी हिसाब से सलाह देगा। आपको IVF का सक्सेस रेट और फीस बताएगा यानि कितना खर्चा बैठेगा IVF करने में.  इसके बाद हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि अंडे का उत्पादन बढ़ जाए महिलाओं में और जब अंडे परिपक्व हो जाएं पूरी तरह से तब उन्हें निकल लिया जाता है उपकरण और डॉक्टर की मदद से। जब अंडे और शुक्राणु निकाल लिए जाते हैं तब उन्हें एक लोबैरेटरी डिश में रखा जाता है भ्रूण बनाने के लिए। जब भ्रूण बनाया जाता है तब उसे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि गर्भधारण हो सके। आईवीएफ कौन चुन सकता है? भारत में बांझपन से पीड़ित व्यक्ति आईवीएफ चुन सकते हैं। हालाँकि, जो चीजें आपको आईवीएफ लेने के लिए मजबूर करती हैं, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: आईवीएफ के लिए एक दिन में कितने इंजेक्शन लगते हैं? आम तौर पर, एक दिन में एक या दो इंजेक्शन लग जाता है आईवीएफ में। हालाँकि, इंजेक्शन लगने का दिन मरीज़ या मरीज़ के मामले पर निर्भर करता है कि उसको कितने दिन इंजेक्शन लगाना है। डिम्बग्रंथि उत्तेजना के दौरान, इंजेक्शन दिए जाते हैं और इसकी अवधि 8 से 14 दिन होती है। आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं? आईवीएफ में 10 से 40 इंजेक्शन दिए जाते हैं। एक दिन में एक या दो इंजेक्शन दिया जाता है ये हार्मोनल इंजेक्शन होते हैं अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए। इंजेक्शनों को लेने के बाद अंडों का उत्पादन बढ़ जाता है और जब ये अंडे परिपक्व हो जाते हैं तो इन्हें निषेचन में इस्तमाल किया जाता है। 8 से 14 दिन के लिए लगातर इंजेक्शन लगाया जाता है। इंजेक्शन की संख्या मरीज़ पर भी निर्भर है। मरीज़ के मामले के अनुसार इसमे उतार चढ़ाव हो सकता है। भारत में आईवीएफ में कितना खर्च आता है? अगर भारत की बात करें तो आईवीएफ के लिए 1.5 से 2.5 लाख लगते हैं। हा लेकिन भारत में भी कुछ ऐसे शहर या राज्य हैं जो विकसित और उन्नत हैं। ऐसे राज्यों या शहरों में आईवीएफ के लिए ज्यादा चार्ज करते हैं क्योंकि वहां आपको हर सुविधा उन्नत स्तर पर मिलेगी, उपचार, अस्पताल का बुनियादी ढांचा, उन्नत उपकरण या डॉक्टर, हर सुविधा प्रथम श्रेणी की गुणवत्ता की होगी। भारत के आईवीएफ खर्च में डॉक्टर की फीस, परामर्श शुल्क, दवाई शुल्क, अस्पताल शुल्क, आईवीएफ चक्र शुल्क की संख्या, अन्य शुल्क शामिल हैं। नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ का रेट जानने में मदद करेगी। टेबल में अलग-अलग लोकेशन है और उनकी आईवीएफ लागत दी गई है। निम्नलिखित आपको भारत में IVF की लागत को समझने में मदद करता है: भारत में IVF उपचार के प्रकार भारत में IVF उपचार की लागत (INR) भारत में स्व-अंडे और शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 1,50,000 भारत में ICSI के साथ IVF की लागत INR 1,65,000-1,85,000 भारत में डोनर अंडे के साथ IVF की लागत INR 2,06,000-3,00,000 भारत में डोनर शुक्राणु के साथ IVF की लागत INR 2,10,000 भारत में लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) के साथ IVF की लागत INR 2,10,000-2,20,000 भारत में डोनर भ्रूण के साथ IVF की लागत INR 2,05,000-3,00,000 भारत में PGD तकनीक के साथ IVF की लागत INR 3,00,000 नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:  आईवीएफ अलग स्थान पर भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत दिल्ली में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 मुंबई में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹354000 बैंगलोर में आईवीएफ लागत ₹155000 – ₹365000 उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹138000 – ₹310000 उत्तराखंड में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 तेलंगाना में आईवीएफ लागत ₹147000 – ₹310000 पंजाब में आईवीएफ लागत ₹140900 – ₹310000 मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 ओडिशा में आईवीएफ लागत ₹126000 – ₹310000 राजस्थान में आईवीएफ लागत ₹154000 – ₹310000 झारखंड में आईवीएफ लागत ₹142000 – ₹310000 बिहार में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 असम में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 गुजरात में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 IVF की सफलता दर क्या है? IVF की सफलता दर लगभग 80 से 97% है। यह सब जोड़ों की उम्र, विशेष रूप से महिलाओं की, IVF की सफलता प्राप्त करने के लिए शामिल IVF प्रयासों की संख्या, उन्नत प्रौद्योगिकी और नवीनतम तकनीकों का उपयोग जो सफलता दर को बढ़ा सकते हैं, और प्रजनन डॉक्टरों या IVF विशेषज्ञों के अनुभव और विशेषज्ञता जैसे कारकों पर निर्भर करता है। भारत में IVF की सफलता दर को कौन प्रभावित करता है? भारत में IVF की सफलता दर को प्रभावित करने वाले कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं: महिला की आयु: महिला की आयु भारत में IVF की सफलता दर को प्रभावित कर सकती है। कम उम्र की महिलाओं में गर्भधारण की संभावना अधिक होती है, जबकि अधिक उम्र की महिलाओं में कम। उम्र बढ़ने के साथ अंडों की गुणवत्ता कम होती जाती है। उन्नत तकनीक: उन्नत प्रजनन तकनीक के उपयोग से भारत में IVF की सफलता दर बढ़ सकती है। डॉक्टर की विशेषज्ञता: डॉक्टर की विशेषज्ञता…

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आईवीएफ क्या है? जानिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की पूरी जानकारी हिंदी में

आईवीएफ क्या है आईवीएफ एक प्रकार का इलाज है उन लोगों के लिए जो शादी के बाद गर्भधारण नहीं कर पाए। जब दंपत्ति गर्भधारण नहीं कर पाते तो क्या बांझपन की स्थिति पैदा हो जाती है। बांझपन के लिए बहुत सारा इलाज है लेकिन आईवीएफ उनमें से सबसे अच्छा है क्योंकि ये सस्ता है और साथ ही सकारात्मक परिणाम देता है। भारत में आईवीएफ हर जगह मौजुद है चाहे दिल्ली हो या कोई गांव। हर राज्य में आईवीएफ है लेकिन आईवीएफ की लागत और उसकी गुणवत्ता अलग हो सकती है। चलो एक उदाहरण से समझते हैं आपको, दिल्ली में आईवीएफ की अलग दर है और गुणवत्ता भी बहुत अच्छी है लेकिन वह आईवीएफ किसी गांव के क्षेत्र या एएसआई जगह से लिया जाए जहां का प्रजनन देखभाल अच्छा नहीं है तो आपको सकारात्मक परिणाम देर से मिले या ना भी मिले। लेकिन हां, भारत में ऐसे भी सहर है जहां आईवीएफ की लागत भी कम है और उपचार की गुणवत्ता भी अच्छी है और ऐसे स्थान पर आपको अच्छा परिणाम दे सकता है। आपको बस थोरी सी मेहनत करनी यानि कि थोरी भूत रिसर्च ऐसे जगहो की। सिलीगुड़ी, असम, गोवा, पुणे, आदि। ये सब तो बाद की बात है, सबसे पहले आपको आईवीएफ के बारे में पता होना चाहिए, छोटी से छोटी चीज जान लेनी चाहिए ताकि आगे कोई दिक्कत ना हो इलाज के समय। तो आइये जानते हैं आईवीएफ के बारे में और उससे जुड़ी हर चीज़ के बारे में। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… आईवीएफ क्या है? जैसा कि हमने बताया आपको आईवीएफ एक बांझपन का इलाज है। बांझपन जोड़ों को होती है। जब कपल्स बच्चा नहीं कर पाते तब वो डॉक्टर से सलाह लेते हैं और डॉक्टर उन्हें आईवीएफ के लिए कहते हैं। आईवीएफ में अंडे और शुक्राणु को लिया जाता है कपल्स से फिर अंडे को निषेचित किया जाता है शुक्राणु के साथ। ये करने से भ्रूण मिलता है। फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि गर्भावस्था हो। आईवीएफ, या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, यह विशेष रूप से उन जोड़ों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो महीनों या सालों की कोशिशों के बावजूद स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं।  आईवीएफ ने दुनिया भर में अनगिनत जोड़ों को माता-पिता बनने के अपने सपने को पूरा करने में मदद की है – और यह भारत में भी ऐसा ही कर रहा है। IVF को कैसे किया जाता है?  अगर आपको एक दम आसान शब्दो में समझाया जाए तो आईवीएफ एक उपचार है उन लोगों के लिए जो बच्चा नहीं कर पाते। तो एक कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। जिसमें कृत्रिम रूप से अंडे और शुक्राणु को निषेचित किया जाता है ताकि एक भ्रूण नामक चीज को लिया जा सके। भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है, डॉक्टर और टूल्स की मदद से। जब ये पूरा प्रोसेस हो जाता है तो 12 या 15 दिन के बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है। आईवीएफ का परिणाम देखने के लिए। आएं इसे और अच्छे से समझते है, उसके लिए आपको निचे के स्टेप्स पर ध्यान देना पड़ेगा:  भारत में IVF के पहले चरण में परामर्श शामिल है। परामर्श में, IVF विशेषज्ञ और बांझ दंपतियों के बीच बांझपन के कारण और बांझपन को दूर करने के लिए उपयुक्त उपचार के बारे में चर्चा की जाती है। अंडाशय उत्तेजना, भारत में IVF का दूसरा चरण जिसमें महिला साथी को कई अंडे बनाने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। अंडे की पुनर्प्राप्ति, एक बार अंडे विकसित हो जाने के बाद इसे कैथेटर की मदद से पुनर्प्राप्त किया जाता है, यह एक ऐसा उपकरण है जो महिला के गर्भाशय से अंडे निकालने में सहायक होता है। निषेचन, इससे पहले कि अंडे और शुक्राणु एक साथ मिलकर भ्रूण उत्पन्न करें। परिणामी भ्रूण को फिर महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद, रक्त परीक्षण की मदद से गर्भावस्था परीक्षण शुरू किया जाता है। यदि गर्भावस्था की पुष्टि हो जाती है, तो दंपति एक बच्चे का स्वागत कर सकते हैं। यदि गर्भावस्था की पुष्टि नहीं होती है, तो एक और IVF प्रयास शुरू किया जाता है। आईवीएफ क्यों किया जाता है? आईवीएफ करने का एक ही मुख्य कारण है और वो है बांझपन। जब कपल्स बांझपन का सामना करते हैं तब आईवीएफ किया जाता है। नीचे दिए गए बिंदुओं से आप अच्छे से समझ पाएँगे कि आईवीएफ क्यों किया जाता है: आईवीएफ में कितना खर्च आता है? अगर भारत की बात करें तो आईवीएफ के लिए 1.5 से 2.5 लाख लगते हैं। हा लेकिन भारत में भी कुछ ऐसे शहर या राज्य हैं जो विकसित और उन्नत हैं। ऐसे राज्यों या शहरों में आईवीएफ के लिए ज्यादा चार्ज करते हैं क्योंकि वहां आपको हर सुविधा उन्नत स्तर पर मिलेगी, उपचार, अस्पताल का बुनियादी ढांचा, उन्नत उपकरण या डॉक्टर, हर सुविधा प्रथम श्रेणी की गुणवत्ता की होगी। भारत के आईवीएफ खर्च में डॉक्टर की फीस, परामर्श शुल्क, दवाई शुल्क, अस्पताल शुल्क, आईवीएफ चक्र शुल्क की संख्या, अन्य शुल्क शामिल हैं। नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ का रेट जानने में मदद करेगी। टेबल में अलग-अलग लोकेशन है और उनकी आईवीएफ लागत दी गई है। नीचे दी गई टेबल आपको आईवीएफ लागत के बारे में बताएगी:  आईवीएफ अलग स्थान पर भारत के विभिन्न स्थानों में आईवीएफ की लागत दिल्ली में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 मुंबई में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹354000 बैंगलोर में आईवीएफ लागत ₹155000 – ₹365000 उत्तर प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹138000 – ₹310000 उत्तराखंड में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 तेलंगाना में आईवीएफ लागत ₹147000 – ₹310000 पंजाब में आईवीएफ लागत ₹140900 – ₹310000 मध्य प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹150000 – ₹310000 ओडिशा में आईवीएफ लागत ₹126000 – ₹310000 राजस्थान में आईवीएफ लागत ₹154000 – ₹310000 झारखंड में आईवीएफ लागत ₹142000 – ₹310000 बिहार में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 आंध्र प्रदेश में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 असम में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 गुजरात में आईवीएफ लागत ₹130000 – ₹310000 भारत में IVF लागत को प्रभावित करने वाले कारक भारत में…

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PGD vs. PGS in IVF: What You Need to Know

In-vitro fertilization (IVF) is a revolutionary technique that has helped countless couples fulfill their dream of becoming parents. However, not every IVF cycle results in a successful pregnancy, especially when genetic or chromosomal abnormalities are involved. This is where advanced genetic screening methods like PGD and PGS come into play.  These techniques allow doctors to examine embryos before implantation, ensuring that only healthy ones are transferred into the uterus. PGD helps detect specific inherited diseases, while PGS checks for chromosomal abnormalities that could cause miscarriage or failed implantation. By identifying potential issues early, these tests improve IVF success rates, reduce the risk of genetic disorders, and offer couples greater confidence in their fertility journey. In this article, we will explore what PGD and PGS are, how they work, who can benefit from them, and why they are becoming essential tools in modern IVF treatments. Why should you trust SELECT IVF for INDIA? What is PGD (Preimplantation Genetic Diagnosis)? PGD is a technique used during IVF to test embryos for specific genetic diseases or disorders inherited from parents. It helps detect single-gene mutations, like cystic fibrosis or thalassemia, before embryo transfer. In PGD, a few cells are taken from an embryo on day 5 or 6 of development (blastocyst stage). These cells are analyzed for known genetic conditions. Only embryos without those specific diseases are selected for implantation. PGD is most useful for couples with a known family history of genetic disorders and helps prevent the transmission of life-threatening conditions to the child. What is PGS (Preimplantation Genetic Screening)? PGS, now commonly called PGT-A (Preimplantation Genetic Testing for Aneuploidy), checks embryos for chromosomal abnormalities. It ensures the right number of chromosomes are present, reducing the risk of miscarriage or failed implantation. Unlike PGD, PGS doesn’t test for specific diseases. Instead, it looks at whether the embryo has a normal chromosomal number (euploid) or an abnormal number (aneuploid). This is especially helpful for older women, as age increases the chance of chromosomal issues like Down syndrome. PGS helps select the healthiest embryos for transfer, increasing IVF success and reducing pregnancy risks. Difference Between PGD and PGS While both PGD (Preimplantation Genetic Diagnosis) and PGS (Preimplantation Genetic Screening, now referred to as PGT-A) are genetic tests performed during the IVF process, they serve very different purposes and are recommended for different reasons. The most important difference lies in what each test looks for and who it is meant for. PGD is used to identify specific genetic mutations that may be passed from parents to their children. These mutations can cause serious, often life-threatening conditions such as cystic fibrosis, Tay-Sachs disease, muscular dystrophy, thalassemia, or sickle cell anemia. PGD is typically recommended for couples who are known carriers of a genetic disorder or who already have a child affected by such a disease. Through PGD, embryos that carry these defective genes can be avoided during transfer, significantly reducing the risk of the child inheriting a genetic condition. PGS, on the other hand, is not focused on specific diseases but instead checks the overall chromosomal health of embryos. It ensures that each embryo has the correct number of chromosomes 46 in total, arranged in 23 pairs. Embryos with too few or too many chromosomes (aneuploidy) often result in failed implantation, miscarriage, or conditions such as Down syndrome. PGS is especially beneficial for women over 35, couples with a history of recurrent miscarriage, or those who have experienced repeated IVF failures. In simple terms: Both PGD and PGS require embryos to be created through IVF, as the testing is done on embryos outside the body. Depending on a couple’s fertility history and genetic background, doctors may recommend either test or both to help increase the chances of a healthy, successful pregnancy. How Are PGD and PGS Performed? Both procedures start with standard IVF. After egg retrieval and fertilization, embryos grow for about five days. At the blastocyst stage, a few cells are gently removed from each embryo. These cells are sent for genetic analysis. Advanced lab techniques like Next-Generation Sequencing (NGS) or array-CGH (Comparative Genomic Hybridization) are used to detect abnormalities. Once results are ready (usually within a few days), only healthy embryos are chosen for implantation. The remaining embryos may be frozen for future use. This entire process is done under highly controlled conditions by embryologists and genetic specialists to ensure accuracy. Benefits of PGD and PGS in IVF 1. Improved IVF Success Rates By selecting genetically normal embryos, PGS improves the chances of successful implantation and pregnancy. It reduces the number of IVF cycles needed, saving time, emotional energy, and costs in the long run. 2. Lower Risk of Miscarriage Many miscarriages result from chromosomal abnormalities. By transferring only normal embryos, PGS can significantly reduce the chances of miscarriage. 3. Avoidance of Genetic Disorders PGD ensures that embryos carrying severe inherited disorders are not transferred, allowing couples to avoid passing on diseases like Tay-Sachs, thalassemia, or Huntington’s. 4. Healthier Babies The ultimate goal of PGD/PGS is to increase the likelihood of a healthy baby. Selecting embryos with the right genetic makeup reduces health risks during pregnancy and after birth. Who Should Consider PGD and PGS Testing? These tests are particularly recommended in the following cases: While PGD and PGS aren’t required for every IVF cycle, they provide peace of mind and may improve the outcome for many patients with specific risks. Are PGD and PGS Safe? Yes, both tests are considered safe and do not harm the embryo when performed correctly by skilled embryologists. The cell biopsy is done carefully without affecting embryo development. However, like any medical procedure, there is a small risk of damage during cell extraction or errors in analysis. Modern IVF labs follow strict safety protocols. Embryos are monitored closely, and only viable ones are selected for transfer. Over the years, thousands of healthy babies have been born following PGD and PGS, proving their safety and effectiveness. Limitations and Ethical Considerations Despite their benefits, PGD and PGS have some limitations: Clinics…

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आईवीएफ कितने दिन में होता है: पूरी प्रक्रिया और लगने वाला समय

आज कल के समय में बच्चा ना होना एक आम समस्या बन गई है या ये सब बदलते लाइफस्टाइल, धूम्रपान, शराब पीना या कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के कारण होता है। बच्चा ना होना एक प्रकार की समस्या है जिसे इंग्लिश में इनफर्टिलिटी कहा जाता है। इनफर्टिलिटी का मतलब है बांझपन या एक स्थिति जिसमें आप प्राकृतिक निषेचन के मदद से बच्चे को जन्म नहीं दे सकते। जैसे कि हमने पहले ही बताया है कि बांझपन होने के कारण हो सकते हैं, जैसे कि बढ़ती उम्र, अंडों या शुक्राणुओं की खराब गुणवत्ता, कोई चिकित्सीय समस्या, या बहुत सारे जोड़े अपनी व्यस्त जीवनशैली के कारण पितृत्व को महत्व नहीं देते तो ऐसे में वो लोग अंडा फ्रीजिंग की मदद लेते हैं। सौभाग्य से, चिकित्सा विशेषज्ञता और पेशेवरों ने आईवीएफ नामक उपचार बनाया। इस उपचार की मदद से लोग अपनी बांझपन का उपचार पा सकते हैं। आईवीएफ जो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन है, इसमें अंडे को महिला के अंडाशय से निकाला जाता है और शुक्राणु को पुरुष साथी से लिया जाता है। अंडा और शुक्राणु दोनों को साथ में एक प्रयोगशाला डिश में रखा जाता है निषेचन प्रक्रिया के लिए जो भ्रूण बनाएगी।अब उस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि गर्भधारण हो सके और माता-पिता को बच्चा मिल जाए। तो हम अपने इस आर्टिकल की मदद से आज आपको बताएंगे कि आईवीएफ कितने दिन में होता है, ये होता क्या है, इसे कैसे किया जाता है और तो और इसकी लागत क्या है। हम सारी जानकारी कवर करेंगे जो आईवीएफ के लिए महत्वपूर्ण है। हमारे इस गाइड की मदद से आप बिना हिचकिचाए आईवीएफ ले सकते हैं और एक अच्छे से हॉस्पिटल से और सही दाम पर। सबसे पहले, हम आपको बताना चाहते हैं कि हम IVF और अन्य प्रजनन समाधानों के लिए क्यों अच्छे हैं… आईवीएफ क्या है? आईवीएफ, या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, आज उपलब्ध सबसे भरोसेमंद प्रजनन उपचारों में से एक है। यह विशेष रूप से उन जोड़ों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो महीनों या सालों की कोशिशों के बावजूद स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं। इस प्रक्रिया में महिला के अंडाशय से परिपक्व अंडे को निकालना, उन्हें अत्यधिक नियंत्रित प्रयोगशाला वातावरण में शुक्राणु के साथ निषेचित करना और फिर सबसे स्वस्थ भ्रूण को वापस गर्भाशय में स्थानांतरित करना शामिल है। आईवीएफ ने दुनिया भर में अनगिनत जोड़ों को माता-पिता बनने के अपने सपने को पूरा करने में मदद की है – और यह भारत में भी ऐसा ही कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत प्रजनन उपचारों के लिए एक विश्वसनीय और बढ़ते केंद्र के रूप में उभरा है। अत्याधुनिक प्रजनन क्लीनिक, कुशल डॉक्टरों और रोगी देखभाल के साथ, अधिक से अधिक जोड़े अपनी आईवीएफ यात्रा के लिए भारत को चुन रहे हैं। यहाँ के क्लीनिक उन्नत प्रजनन तकनीक, रोगी-अनुकूल सेवाएँ और एक शांतिपूर्ण, किफायती वातावरण प्रदान करते हैं और आपको इन सभी सुविधाओं को पाने के लिए दूर जाने की आवश्यकता नहीं है। चाहे बांझपन का कारण उम्र से संबंधित हो, PCOS या एंडोमेट्रियोसिस जैसी चिकित्सा स्थितियों के कारण हो, या फिर अस्पष्टीकृत हो, भारत में IVF केंद्र आपकी ज़रूरतों के अनुरूप व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ प्रदान करते हैं। बढ़ती सफलता दर और विश्व स्तरीय देखभाल के साथ, भारत में IVF कई परिवारों को जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने में मदद कर रहा है। आईवीएफ कितने दिन में होता है? आईवीएफ चक्र को पूरा होने में 4 से 6 सप्ताह लगते हैं। इतने समय में आईवीएफ की सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जैसे परामर्श, अंडा पुनर्प्राप्ति, शुक्राणु संग्रह, निषेचन, भ्रूण स्थानांतरण और गर्भावस्था परीक्षण। आईवीएफ प्रक्रिया हर मरीज के लिए समान होती है लेकिन मरीजों का शरीर अलग होता है। तो अलग-अलग मरीज़ अलग-अलग तरीके से जवाब देते हैं। आईवीएफ प्रक्रिया के पहले से दूसरे सप्ताह में परामर्श और अंडा उत्तेजना किया जाता है। अपने बांझपन के मामले में डॉक्टर से परामर्श के बारे में बात करें। डॉक्टर मरीज को आईवीएफ के बारे में जानकारी देते हैं, उसकी लागत, और सफलता दर के बारे में जानकारी देते हैं। ये एक या दो दिन का काम होता है इसके बाद मरीज को दवा दी जाती है। कम से कम एक या दो सप्ताह के लिए। इन दवाओं की मदद से महिला के गर्भाशय में अंडे बढ़ते हैं और परिपक्व होते हैं। जब अंडे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें एक उपकरण की मदद से महिला के गर्भाशय से निकाला जाता है अगली प्रक्रिया के लिए। जिस दिन ये अंडे निकलते हैं उसी दिन शुक्राणु को भी लिया जाता है पुरुष साथी से। ये अंडा पुनर्प्राप्ति और शुक्राणु संग्रह, तीसरे सप्ताह में किया जाता है फिर निषेचन प्रक्रिया शुरू होती है जिसमें अंडा और शुक्राणु को निषेचित किया जाता है प्रयोगशाला डिश पे। ये प्रोसेस भ्रूण देता है जिसे 4 सप्ताह में मॉनिटर किया जाता है भ्रूण कल्चर के लिए। एक अच्छे से भ्रूण को सेलेक्ट किया जाता है ताकि महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जा सके। जब भ्रूण महिला के गर्भाशय में सफलतापूर्वक स्थानांतरण हो जाएगा तब उसके 12 दिन बाद। प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाएगा. इस टेस्ट के लिए ब्लड टेस्ट की जरूरत पड़ती है। अगर परिणाम सकारात्मक आया तब आप 9 माह के बाद बच्चे को घर में स्वागत कर सकते हैं, लेकिन अगर परिणाम नकारात्मक आया तो यही चक्र दोबारा शुरू होगा। आम तौर पर आईवीएफ के लिए 3 चक्र लगते हैं अच्छे परिणाम के लिए। पर बहुत से ऐसे कपल्स भी हैं जिनका फर्स्ट साइकल में ही काम बन जाता है। अगर पहली आईवीएफ साइकिल में काम नहीं बना तो ये कोई टेंशन की बात नहीं है। कपल्स को एकाधिक आईवीएफ चक्र प्रदान किये जाते हैं। ये तबतक चलता है जबतक सफलता ना मिल जाए उनको। ये पूरी प्रक्रिया सिर्फ 4 से 6 सप्ताह में होती है। एक अनुमान की बात करें तो 1 से 1/5 महीने में आईवीएफ प्रक्रिया ख़त्म हो जाती है और सकारात्मक परिणाम के साथ गर्भावस्था के महीने शुरू हो जाते हैं जिसके अंत में आप बच्चे का स्वागत करते हैं। 5 चीजें जो IVF शुरू होने से पहले करें हम आपको वो 5 चीजें बताएंगे जो आपको करने की ज़रूरत है…

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Can IVF Babies Be Twins? Understanding the Chances and Risks

Can IVF Babies Be Twins? Chances & Risks Starting a family through IVF is a deeply personal and emotional journey. For many hopeful parents, the idea of having twins is both thrilling and overwhelming. The thought of double the laughter, double the tiny clothes, and double the love brings a special kind of excitement. But with that joy also comes questions: Is it really possible to have twins with IVF? What are the chances, and are there any risks involved?  Whether you’ve just begun considering IVF or are already on your way, understanding how twin pregnancies work through fertility treatment can help you make informed, heartfelt decisions. This article explores the beautiful yet complex possibility of having twins through IVF—from how it happens to what it means emotionally, physically, and medically. If you’ve ever dreamed of holding two little hands instead of one, you’re in the right place. Let’s walk through this journey together. Why should you trust SELECT best IVF center in Gujarat? Understanding IVF and Its Importance In Vitro Fertilization (IVF) is one of the most widely known and trusted forms of assisted reproductive technology (ART). It is a carefully designed process where a woman’s egg is fertilized with a man’s sperm outside the body, in a highly controlled laboratory environment. Once the egg is successfully fertilized, the resulting embryo is transferred into the woman’s uterus with the hope of establishing a healthy pregnancy. IVF is not just a treatment—it’s a lifeline for couples who have struggled with infertility and faced the emotional weight of disappointment and failed attempts. It offers renewed hope for those who thought parenthood was out of reach. Whether you’re a couple trying for several years or an individual planning to start a family on your own, IVF can open the door to new possibilities. Who Needs IVF? There are many reasons why someone might consider IVF, including: What’s the process of IVF? The In-Vitro Fertilisation (IVF) process is a carefully designed medical procedure aimed at assisting couples who are dealing with infertility issues. In India, leading fertility centres offer a structured and patient-friendly IVF journey that typically includes the following steps: Initial Consultation & Evaluation Ovarian Stimulation Egg Retrieval (Ovum Pick-up) Sperm Collection Fertilisation in the Lab Embryo Transfer Luteal Phase Support Pregnancy Test   Follow-up and Support   Can IVF Really Lead to Twins? Yes, IVF can indeed lead to twin pregnancies — and the chances are significantly higher compared to natural conception. In a natural pregnancy, the chance of having twins is around 1 in 80 births. But with IVF, the likelihood jumps to 20%–40%, depending on the number of embryos transferred and the individual’s fertility background. This increase happens because, during IVF, fertility specialists sometimes transfer more than one embryo into the uterus to boost the chances of a successful pregnancy. This is particularly common for older women or those who have had failed IVF cycles in the past. If both embryos implant successfully, the result is fraternal twins (two separate babies with different genetic codes). However, IVF can also lead to identical twins, even when only one embryo is transferred. This occurs when the single fertilized embryo splits into two after implantation, creating two babies with identical DNA. While less common than fraternal twins, it still happens and adds to the surprise for many couples. Several factors influence the chances of having twins through IVF: IVF cost in India The typical IVF cost in India falls between ₹1,10,000 and ₹2,20,000 for each cycle. But keep in mind, that’s just the starting point. Depending on what you need, extra procedures and tests can bump up the total cost. It really hinges on several factors, like the age of the couple, especially the woman, the number of IVF attempts needed to achieve success, the use of cutting-edge technology and techniques that can boost the success rate, and the experience and skill of the fertility doctors or IVF specialists involved. Here’s a quick breakdown of the costs: The following helps you understand the cost of IVF in India:  Types of IVF treatment in India The cost of IVF treatment in India (INR) IVF with self-egg and sperm cost in India  INR 1,50,000 IVF with ICSI cost in India INR 1,65,000-1,85,000 IVF with donor egg cost in India INR 2,06,000-3,00,000 IVF with donor sperm cost in India  INR 2,10,000 IVF with Laser Assisted Hatching (LAH) cost in India  INR 2,10,000-2,20,000 IVF with donor embryo cost in India  INR 2,05,000-3,00,000 IVF with PGD technique cost in India INR 3,00,000 The following will help you to understand the IVF treatment cost in different states of :  States of India Cost of IVF in different states of  (INR) IVF cost in India  INR 1,50,000 to INR 1,80,000  IVF cost in Raipur INR 1,40,000 to INR 2,00,000  IVF cost in Delhi  INR 1,40,000 to INR 2,30,000  IVF cost in Mumbai  INR 1,50,000 to INR 2,40,000  IVF cost in Punjab  INR 1,00,008 to INR 2,00,000  IVF cost in Haryana INR 1,40,000 to INR 2,00,000  IVF cost in Rajasthan  INR 1,50,000 to INR 2,00,000  IVF cost in Uttar Pradesh  INR 1,40,000 to INR 2,10,000  IVF cost in Madhya Pradesh  INR 1,40,000 to INR 2,20,000  IVF cost in Dehradun  INR 1,40,000 to INR 2,00,000  IVF cost in Bihar  INR 1,30,000 to INR 2,00,000  IVF cost in Jharkhand  INR 1,40,000 to INR 2,00,000 IVF cost in Assam  INR 1,20,000 to INR 1,80,000  IVF cost in Gujarat  INR 1,40,000 to INR 2,80,000  IVF cost in Tamil Nadu  INR 1,40,000 to INR 2,30,000  IVF cost in Andhra Pradesh  INR 1,40,000 to INR 2,00,000  IVF cost in Himachal Pradesh  INR 1,40,000 to INR 2,20,000  Difference Between IVF Twin Pregnancy and Natural Twin Pregnancy Twin pregnancies, whether conceived naturally or through IVF, bring unique joys and challenges. However, there are important differences between twins conceived naturally and those born via IVF, especially in terms of how they occur, medical management, and risks involved. 1. How Twins Are Conceived 2. Control Over Embryo Transfer 3. Medical Monitoring and…

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Choosing the Right Surrogacy Clinic in India: A Complete Guide

Infertility affects millions of couples, leading many to seek help through assisted reproductive technologies like Surrogacy. With the rise in fertility challenges, the demand for surrogacy centres across the country has grown rapidly. However, choosing the right surrogacy centre can be confusing and emotionally draining, especially when you’re already dealing with the stress of infertility. Each centre offers different facilities, success rates, and treatment approaches, so how do you decide which one is truly the best for you? This guide is designed to help you navigate the selection process with confidence. Whether you’re just beginning your fertility journey or looking for a second opinion, we’ll walk you through the essential factors to consider, red flags to avoid, and questions to ask. By the end, you’ll be equipped with the knowledge you need to choose the best surrogacy centre in India, one that’s safe, ethical, affordable, and most importantly, right for your needs. So, with the help of our article, we will tell you how to select the right surrogacy clinic in India.  Why should you trust SELECT best IVF center in Gujarat? Understanding surrogacy & its types  Surrogacy is a fertility treatment where a woman, called the surrogate, agrees to carry and deliver a baby for another person or couple known as the intended parents. There are 4 types of surrogacy in India that are mentioned below: Gestational surrogacy: it’s the most commonly used form of surrogacy available in India. It involves the extraction of eggs from the intended mother and sperm from the intended father. Both eggs and sperm are fertilised to create an embryo, which is implanted into the uterus of the gestational surrogate mother.  Altruistic surrogacy: It’s another commonly used form of surrogacy available in India. It involves the surrogate mother from the side of the intended couple. Additionally, there is no compensation given to the surrogate mother.  Traditional surrogacy: It’s an uncommon form of surrogacy that involves the egg from the surrogate mother and the sperm from the intended father. It includes the direct insertion of sperm into the uterus of a surrogate mother. This surrogacy creates a genetic relationship between the surrogate mother and child.  Commercial surrogacy: It includes the compensation provided to the surrogate mother. However, this surrogacy is banned in India as it exploits the surrogate mothers.  What’s the process of surrogacy in India? The process of surrogacy in India is described below in some steps:  The first step of surrogacy is consultation, in which a surrogacy specialist consults with the intended couple. In consultation, couples discuss their issue with the doctor then a solution is found. The consultation includes the discussion of the issue, the cause of infertility, cost and the success rate.  The second step of surrogacy includes the screening and testing of intended parents and the surrogate mother. Based on these tests, eligibility to perform surrogacy by surrogate mothers and intended couples is determined. They will go through physical, emotional and psychological tests to become eligible for surrogacy.  The third step of surrogacy includes the legal framework. A contract will be signed between the surrogate mother and the intended parents to prevent future conflicts that can occur due to custody or legal parenthood of the child.  The fourth step of surrogacy includes the procedure. The medical procedure of surrogacy includes egg retrieval, sperm collection, fertilisation, embryo transfer, and pregnancy test.    In egg retrieval, a small catheter is inserted into the uterus of the intended mother or egg donor to retrieve eggs from the uterus. However, before this step, the ovaries are stimulated with the help of hormonal injections to produce multiple eggs.  On the day of egg retrieval, sperm are gathered from the male partner or sperm donor. After that, both eggs and sperm are fertilised in the laboratory dish to form an embryo, which is implanted into the uterus of the surrogate mother to develop a pregnancy for the intended couple.  After successfully transferring the embryo into the uterus, a pregnancy test is performed after 12 days to see the results.  How to choose the right surrogacy clinic in India? To choose the right surrogacy clinic in India, the individual needs to follow the factors that are mentioned below:  Reputation and experience: It is advised to see the reputation and experience of a fertility centre in the fertility industry before choosing a centre for a surrogacy procedure. The reputation and experience build trust in the hearts of infertile couples.  Highly qualified doctors: Couples should look for a centre that comes with highly qualified fertility doctors who can ensure their success rate for surrogacy.  Affordability: We think this is the factor that everyone knows we should look for. If your budget is tight and looking for a pocket-friendly then India will be the best option for those. In India, there are cities like Guwahati, Goa, Chennai, etc. Here, surrogacy services are affordable.  Success rate: This is also one of the main factors that is crucial to look for in a fertility centre. A surrogacy centre with a high success rate can ensure you a successful treatment.   Testimonials & reviews: Surrogacy centres with good testimonials or positive reviews are the best options, as testimonials or reviews will help the person to get an idea about the services and quality of work of that fertility centre.  Support services: This is also important to get a better quality of surrogacy without worries. Check if the surrogacy centre provides legal assistance, and emotional and psychological counselling.    Best cities that offer the best quality surrogacy  To get high-quality surrogacy services, India offers cities that are well-known for their surrogacy services. These cities come with top-notch surrogacy, a high success rate for surrogacy and affordable prices for surrogacy. The cities have advanced medical facilities, are supported legally, and have experienced IVF specialists who can ensure a positive outcome. The following are the cities that offer the best quality surrogacy:  Delhi: It’s the capital of India, comes with an advanced medical infrastructure. The capital has numerous IVF…

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